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कहां तक जाएगी अगस्ता की उड़ान

कुछ दिन पहले कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कालेधन व नोटबन्दी पर राज्यसभा में हमले की कमान सौंपी थी। तब भी यह माना गया था कि उनके बोलने से भूचाल जैसी स्थिति आ जाएगी। पार्टी ने सोचा होगा कि मनमोहन ईमानदार छवि के हैं, दस वर्ष प्रधानमंत्री रहे, विद्वान अर्थशास्त्री हैं, इसलिए उनकी बातों का बड़ा असर होगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वह खूब बोले। जितना हमला सरकार पर कर सकते थे, उसमें कसर नहीं छोड़ी, लेकिन न सरकार पर कोई असर हुआ, न जन सामान्य ने उस ओर ध्यान दिया। वस्तुत: संप्रग सरकार से परोक्ष - अपरोक्ष रूप में जुड़े लोगों की एक सीमा बन चुकी है। कालेधन पर भूचाल लाने की हैसियत इनमें नहीं रही। क्योंकि सर्वाधिक कालाधन इसी सरकार के कार्यकाल में एकत्र होने का अनुमान लगाया जाता है।

संयोग देखिए मनमोहन के कालेधन पर बोलने के कुछ दिन बाद उन पर ही आरोप लगे। अगस्ता वेस्टलैण्ड हेलीकॉप्टर घोटाले में पूर्व वायु सेनाध्यक्ष त्यागी गिरफ्तार हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सौदे की पूरी जानकारी तत्कालीन प्रधान मंत्री कार्यालय को थी। वैसे मनमोहन सिंह के लिए ऐसे आरोप कोई नए नहीं थे। इसके पहले टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य आरोपी पूर्व संचार मंत्री राजा ने भी यही शब्द दोहराए थे। उनका कहना था कि टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की पूरी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को थी। कोयला घोटाले के आरोप ज्यादा संजीदा थे। क्योंकि चार वर्षों तक इस मंत्रालय का प्रभार मनमोहन के पास था।
एस.पी. त्यागी ने वकील के माध्यम से बताया कि अगस्ता वेस्टलैण्ड हेलीकॉप्टर खरीद का निर्णय उन्होंने अकेले नहीं लिया था। इसकी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को थी। त्यागी की इस दलील में दम है। यह अन्य रक्षा सौदों के मुकाबले छोटा था। किन्तु इसका महत्व व संवेदनशीलता कम नहीं थी। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि अतिविशिष्ट लोगों के लिए हेलीकॉप्टर की आपूर्ति होनी थी। यह कहा जा रहा है कि यह घोटाला बड़ी साजिश का हिस्सा है, जिसका अन्तरराष्ट्रीय प्रभाव है। इसमें कई अन्य दिग्गजों के शामिल होने की संभावना है। आरोप है कि हेलीकॉप्टर खरीद टेण्डर में अगस्ता वेस्टलैण्ड को शामिल करने के लिए शर्तो में ढील दी गयी, जबकि इसका कोई औचित्य नहीं था। यह फैसला त्यागी की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान लिया गया था। यह माना जा रहा है कि त्यागी के ऊपर अन्य लोगों का भी दबाव था। भारतीय वायुसेना ६ हजार मीटर ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हेलीकॉप्टर खरीदना चाहती थी, जो सियाचिन और टाइगर हिल जैसे स्थानों पर भी उड़ान भर सके। लेकिन अप्रत्याशित रूप से ६ हजार की सीमा को मात्र पैंतालीस सौ में बदल दिया गया। ऐसा केवल इस लिए किया गया, जिससे अगस्ता वेस्टलैण्ड टेण्डर में शामिल हो सके। जाहिर है कोई न कोई ऐसा अवश्य था जो इटली की इस कंपनी को टेण्डर प्रक्रिया में शामिल करने का दबाव बना रहा था। इसका वास्तविक उद्देश्य प्रक्रिया में शामिल होने तक सीमित नहीं रहा होगा। वरन् उसे ही सौदा सौंपने की व्यवस्था की जा रही थी, अन्यथा जिस प्रकार के हेलीकॉप्टर लाने की आवश्यकता समझी गयी थी, उसकी शर्तों में इस प्रकार ढील न दी जाती।

देश में पहली बार इतने बड़े पूर्व सैन्य अधिकारी को गिरफ्तार किया गया। यह भूचाल जैसी खबर हो सकती थी किन्तु संप्रग सरकार के दौरान हुए घोटालों की सूची इतनी लम्बी है कि इसे भी सामान्य प्रक्रिया माना गया।
पूर्व वायुसेना अध्यक्ष शशिन्द्रपाल त्यागी पर अगस्ता वेस्टलैण्ड हेलीकॉप्टर खरीद में रिश्वत लेने का आरोप पुराना है। सी.बी.आई. के अनुसार पुख्ता सबूत मिलने के बाद ही उनको गिरफ्तार किया गया। बताया गया कि पांच देशों से आए लेटर रोगेटरी के जवाबों के आधार पर सी.बी.आई. को अभी तक पचास मिलियन यूरो की दलाली के सबूत मिले हैं। आठ देशों को लेकर रोगेटरी भेजे गए थे। करीब ६ महीने पहले प्रवर्तन निदेशालय ने इस संबंध में तीन कंपनियों के छियायी करोड़ रूपये के शेयर जब्त किए थे। १२ हेलीकॉप्टर खरीद में चार सौ तेईस करोड़ की रिश्वत लेने के आरोप हैं। इसमें एक बिचौलिए के मार्फत आई रिश्वत की रकम का पता लगा लिया गया है।
इससे कई बातें स्पष्ट हैं। एक यह कि अगस्ता वेस्टलैण्ड हेलीकॉप्टर खरीद में बड़ा घोटाला हुआ। इसमें पूर्व वायुसेना अध्यक्ष त्यागी, उनके भाई व वकील की संलिप्तता थी। दूसरा यह कि सी.बी.आई. ने इतना बड़ा कदम उठाने में कोई जल्दीबाजी नहीं की। कई महीने तक उसने पुख्ता सबूत जुटाने के प्रयास किये। सेना के प्रति देश के लोगों का भावनात्मक रिश्ता होता है। उनके प्रति विशेष सम्मान की भावना होती है। ऐसे में पूर्व वायुसेना अध्यक्ष की भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तारी असाधारण फैसला था। सी.बी.आई ने सतही तौर पर इतना बड़ा कदम नहीं उठाया होगा। उसके दावों पर विश्वास किया जा सकता है। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ने इसे ध्यान बंटाने वाली कार्रवाई बताया, किन्तु जांच प्रक्रिया में जो तथ्य उपलब्ध हुए, उसके बाद इस गिरफ्तारी पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी की इस मसले पर परेशानी को समझा जा सकता है। आरोप केवल पूर्व वायुसेना प्रमुख व उनके सहयोगियेां तक सीमित होते तो कांग्रेस को ऐसी परेशानी नहीं होती, किन्तु इसके तार दस जनपथ तक पहुंचते दिखाई दे रहे हैं।
किसी जॉच को केवल समय के आधार पर नकारा नहीं जा सकता। महत्वपूर्ण यह है कि वेस्टलैण्ड हेलीकाप्टर खरीद में घोटाला हुआ। इसमें शीर्ष स्तर के लोग शामिल थे। इसके अलावा यह घोटाला वायु सेना प्रमुख व उनके भाई आदि तक सीमित नहीं था।
संविधानेत्तर सत्ता केन्द्रों की भूमिका भी सन्देह के घेरे में मानी जा रही है। अतिविशिष्ट लोगों के लिए बारह हेलीकॉप्टर खरीदने का समझौता इटली की रक्षा कंपनी - फिनमेकानिका से हुआ था। अगस्ता वेस्टलैण्ड इसी की शाखा है। एसपी त्यागी के वायुसेना अध्यक्ष कार्यकाल में इसे अंतिम रूप दिया गया था। जबकि समझौते पर हस्ताक्षर उनके सेवानिवृत्त होने के तीन वर्ष बाद हुए थे, लेकिन वास्तविक खेल उनके सेवा में रहते हुए हो गया था। मूल टेण्डर शर्तो में बदलाव ने ही संदेह बढ़ाया था।
यह सही है कि आरोप सिद्ध होने तक किसी को दोषी नहीं माना जा सकता, किन्तु इस पूरे प्रकरण में जो तथ्य उभरे है, उनमें इस सौदे को सामान्य नहीं माना जा सकता ऐसी कई कडिय़ां हैं जो मामले को बेहद गंभीर प्रभावित करती हैं। इनको नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता। त्यागी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री कार्यालय को जानकारी होने की बात कहीं। उधर इटली की मिलान अदालत ने यह माना कि सौदे में बड़ी रिश्वत ली गयी थी। रिश्वत की रकम तीन बिचौलियों के माध्यम से भारत पहुंचाई गयी थी। शुरूआती जांच में त्यागी के करीबी लोगों को रकम मिली। इटली की इस अदालत ने सिग्नोटा गांधी का उल्लेख भी किया है।
इटालियन में सिग्नोटा का मतलब श्रीमती होता है। इन्हें डील का ड्राइविंग फोर्स बताया गया इस संबंध में अंतिम फैसला भारतीय न्याय पालिका को करना है, तब तक किसी को दोषी नहीं कहा जा सकता। किन्तु संप्रग सरकार में जिस प्रकार एक के बाद एक घोटाले सामने आते रहे, उन्हें देखते हुए सन्देह तो उत्पन्न होता है। निष्पक्ष जांच से ही सच्चाई सामने आ सकती है।

Updated : 20 Dec 2016 12:00 AM GMT
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