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ग्यारहवें राष्ट्रपति की जयंती विशेष पर कई अनसुने किस्से

ग्यारहवें राष्ट्रपति की जयंती विशेष पर कई अनसुने किस्से
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नई दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्रेरणादायक व्यक्ति, महान कर्मयोगी, भारतरत्न, मिसाइलमैन के नाम से लोकप्रिय भी थे। जो आज भी हमारे लिए प्रेरणादास्पद हैं। उनकी जिंदगी से जुड़े कई अहम किस्से हैं, जो हमारा हमेशा मार्गदर्शन करते हैं। आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ प्रेरणादायक प्रसंग है जो हमे प्रेरित करते है।

हम आपको बता दें कि उनका जन्म तमिलनाडु के मध्यमवर्गीय परिवर में हुआ था। डॉ. कलाम एक ऐसे राष्ट्रपति बने जिनके जीवन का सफर झोपड़ी से प्ररम्भ हुआ और भारत को सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं में आत्मनिर्भर बनाते हुए विकास के नए मिशन को देश की जनता के सामने प्रस्तुत किया। अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें राष्ट्रपति बने थे। राष्ट्रपति के रूप में देश की पांच साल तक सेवा करने के बाद कलाम शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने जीवन में लौट आए। उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।

डॉ. कलाम की आज 86वीं पर कुछ अनकहे किस्सें-

-अब्दुल कलाम ना सिर्फ अच्छे वैज्ञानिक थे, बल्कि बहुत अच्छे इंसान भी थे। सभी को साथ लेकर चलने वाले कलाम साहब जानवरों से भी उतना ही प्यार करते हैं, जितना इंसानों से करते हैं। एक बार डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) में उनकी टीम बिल्डिंग की सुरक्षा को लेकर चर्चा कर रही थी। टीम ने सुझाव दिया कि बिल्डिंग की दीवार पर कांच के टुकड़े लगा देने चाहिए। लेकिन डॉ कलाम ने टीम के इस सुझाव को ठुकरा दिया और कहा कि अगर हम ऐसा करेंगे तो इस दीवार पर पक्षी नहीं बैठेंगे।

-डॉ कलाम जब डीआरडीओ के डायरेक्टर थे तो उसी दौरान एक दिन एक जूनियर वैज्ञानिक ने डॉ कलाम से आकर कहा कि मैंने अपने बच्चों से वादा किया है कि उन्हें प्रदर्शनी घुमाने ले जाऊंगा। इसलिए आज थोड़ा पहले मुझे छुट्टी दे दीजिए। कलाम ने खुशी-खुशी हामी भर दी। लेकिन काम में मशगूल वैज्ञानिक ये बात भूल गया.. जब वो रात को घर पहुंचा तो ये जानकर हैरान रह गया कि डॉ कलाम वक्त पर उसके घर पहुंच गए और बच्चों को प्रदर्शनी घुमाने ले गए।

-2002 में राष्ट्रपति बनने के बाद डॉक्टर पहली बार केरल गए थे। उस वक्त केरल राजभवन में राष्ट्रपति के मेहमान के तौर पर दो लोगों को न्योता भेजा गया। पहला था जूते-चप्पल की मरम्मत करने वाला और दूसरा एक ढाबा मालिक तिरुवनंतपुरम में रहने के दौरान इन दोनों से उनकी मुलाकात हुई थी।

-कुछ नौजवानों ने डॉ कलाम से मिलने की इच्छा जताई. इसके लिए उन्होंने उनके ऑफिस में एक पत्र लिखा। कलाम ने राष्ट्रपति भवन के पर्सनल चैंबर में उन युवाओं से न सिर्फ मुलाकात की बल्कि काफी समय उनके साथ गुजार कर उनके आइडियाज भी सुनें। आपको बता दें कि डॉ कलाम ने पूरे भारत में घूमकर करीब 1 करोड़ 70 लाख युवाओं से मुलाकात की थी। और साहस पर डॉ कलाम ने अपनी एक किताब में एक घटना का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि जब वो एसयू-30 एमकेआई एयर क्राफ्ट उड़ा रहे थे। तो एयर क्राफ्ट के नीचे उतरने पर कई नौजवान और मीडिया के लोग उनसे बातें करने लगे। एक ने कहा कि आपको 74 साल की उम्र में सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट चलाने में डर नहीं लगा? इस पर डॉ कलाम का जवाब था, '40 मिनट की फ्लाइट के दौरान मैं यंत्रों को कंट्रोल करने में व्यस्त रहा और इस दौरान मैंने डर को अपने अंदर आने का समय ही नहीं दिया।

-डॉ कलाम ने कभी अपने या परिवार के लिए कुछ बचाकर नहीं रखा। राष्ट्रपति पद पर रहते ही उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी और मिलने वाली तनख्वाह एक ट्रस्ट के नाम कर दी। उन्होंने कहा था कि चूंकि मैं देश का राष्ट्रपति बन गया हूं, इसलिए जबतक जिंदा रहूंगा सरकार मेरा ध्यान आगे भी रखेगी ही। तो फिर मुझे तनख्वाह और जमापूंजी बचाने की क्या जरूरत।

-डीआरडीओ के पूर्व चीफ की मानें तो 'अग्नि' मिसाइल के टेस्ट के समय कलाम काफी नर्वस थे। उन दिनों वो अपना इस्तीफा अपने साथ लिए घूमते थे। उनका कहना था कि अगर कुछ भी गलत हुआ तो वो इसकी जिम्मेदारी लेंगे और अपना पद छोड़ देंगे। डीआरडीओ में काम का काफी दवाब रहता था। एक बार साथ में काम करने वाला एक वैज्ञानिक उनके पास आया और बोला कि उसे समय से पहले घर जाना है। दरअसल वैज्ञानिक को अपने बच्चों को प्रदर्शनी दिखानी थी। डॉ कलाम ने उसे अनुमति दे दी। लेकिन काम के चक्कर में वह भूल गया कि उसे जल्दी घर जाना है। बाद में उसे बड़ा बुरा लगा कि वो अपने बच्चों को प्रदर्शनी दिखाने नहीं ले जा सका। जब वह घर गया तो पता चला कि कलाम के कहने पर मैनेजर उसके बच्चों को प्रदर्शनी दिखाने ले जा चुका था।



Updated : 15 Oct 2017 12:00 AM GMT
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