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स्वच्छता अभियान और हम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तीन वर्ष पूर्व गांधी जयंती के अवसर पर जिस जोरदार तरीके से स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी। आज उसके कितने सार्थक परिणाम दिख रहे हैं, यह मोदी के बयान से साफ झलक रहा है। मोदी ने कहा है कि एक हजार महात्मा गांधी और एक लाख मोदी भी स्वच्छ भारत की संकल्पना को साकार नहीं कर सकते। इसे पूरा करने के लिए जनता का जुड़ना बहुत आवश्यक है। हालांकि प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि देश का कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है, जो गंदगी को पसंद करता हो। सभी सफाई चाहते हैं। क्योंकि हमारी प्रवृत्ति स्वच्छता के प्रति है, परंतु वास्तविकता यह भी है कि कुछ लोग आज भी इस अभियान से जुड़ नहीं पा रहे हैं, लेकिन जब पूरा देश इस अभियान से जुड़ने के लिए प्रेरित हो रहा है, तब सभी लोगों को इससे जुड़ना ही होगा। केन्द्र सरकार का यह अभियान किसी और के लिए नहीं है, बल्कि जनता को स्वस्थ रखने का एक रास्ता भी है। अपने आसपास की गंदगी को हटाने के लिए हम स्वयं सकारात्मक रुख नहीं अपनाएंगे तो स्वाभाविक है कि यही गंदगी हमारी बीमारी का कारण भी बनेगी। यह भी सही है केन्द्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत अभियान को साकार रुप देने के लिए जनता से जुड़ने का आव्हान किया था, जिसके परिणाम स्वरुप जनता में स्वच्छता के प्रति चेतना भी आई है। स्वच्छता अभियान आज सरकार का ही नहीं, बल्कि भारत की आम जनता का अभियान बनने की ओर है। मोदी इस बारे में साफ कहते हैं कि स्वच्छता अभियान को जो गति मिली है, वह सरकार की सफलता कम, बल्कि आम जनता की सफलता ज्यादा मानी जाएगी, क्योंकि जनता धीरे-धीरे इस अभियान को अपने जीवन का हिस्सा बनाती जा रही है।

वर्तमान में हम देखते हैं कि कई लोग छोटी सी बात के लिए भी सरकार को जिम्मेदार ठहराने में बहुत जल्दबाजी करते हुए दिखाई देते हैं। हमारे मोहल्ले में कूडेÞ का ढेर लगा हो तो हम कहते हैं कि सरकार क्या कर रही है। ऐसी बातों पर हमें सोचना चाहिए कि जो कूड़े के ढेर हमने ही लगाए हैं, उसके लिए हमारी जिम्मेदारी भी तो बनती है। हम क्यों नहीं एक जिम्मेदार नागरिक की तरह अपनी भूमिका निर्वाह कर रहे। हम जानते हैं कि आलोचना करना बहुत ही आसान है, लेकिन किसी समस्या का समाधान बनना कठिन है। आज यह कठिन स्थिति जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई दे रही है। स्वच्छता अभियान के रास्ते में जो भी समस्या बन रही है, उसके लिए हम ही जिम्मेदार हैं, क्योंकि इसका वास्तविक समाधान हमारे पास है। हम समाधान बन भी सकते हैं और बनना भी चाहिए। अभी हो सकता है कि स्वच्छता अभियान को पूरी तरह से सफलता नहीं मिल रही हो, लेकिन आने वाले समय में हर व्यक्ति इस अभियान से जुड़ेगा, यह विश्वास भी दिखाई देने लगा है। आज से पांच वर्ष पूर्व विद्यालय में छात्र सफाई करते थे, तब नकारात्मक समाचार बन जाता था, लेकिन आज स्थिति में परिवर्तन आया है, आज विद्यालय के छात्र सफाई करते हैं तो वही स्वच्छता अभियान का हिस्सा बनकर सकारात्मक समाचार बन रहा है।

यह केवल मानसिक बदलाव के कारण ही हुआ है। भविष्य के पांच वर्षों में यह भी हो सकता है कि सफाई अभियान व्यक्ति की प्रवृत्ति में समाहित हो जाए और गंदगी का स्थान समाचार बनता दिखाई दे। वर्तमान में सफाई करने वाला हर व्यक्ति अत्यंत ही सम्मान का पात्र है। इस बारे में एक छोटी सी कहानी स्मरण आती है। जिसमें एक महिला अपने पति से कहती है कि बाहर कचरे वाला आया है, उसे कचरा दे आओ। इतनी बात सुनकर घर में छोटा सा बालक बोलता है कि मां कचरे वाले तो हम हैं, वह तो हमारे कचरे की सफाई करता है, वह सफाई वाला है। छोटे से बच्चे ने बड़ों को सीख देने का काम किया और इस वास्तविकता से परिचय कराया कि गंदगी हम ही करते हैं। हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम गंदगी नहीं बल्कि स्वच्छता का हिस्सा बनेंगे। तभी स्वच्छ भारत अभियान को सफलता मिल सकेगी।

Updated : 3 Oct 2017 12:00 AM GMT
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