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आज से इतिहास के पन्नों में रह जाएगी श्रमिक ट्रेन

आज से इतिहास के पन्नों में रह जाएगी श्रमिक ट्रेन
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-155 साल पुरानी इस ट्रेन का आखिरी सफर, 1862 में अंग्रेजों ने की थी शुरू
नई दिल्ली। एक नवंबर से समय सारिणी और कई ट्रेनों के नंबर में बदलाव के साथ ही रेल मंत्रालय ने और भी कई अहम फैसले लिए हैं। इसके अलावा मंत्रालय ने एक 155 साल पुरानी ट्रेन का सफर भी बंद करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के पीछे रेलवे ने अभी कोई कारण नहीं बताया गया है। न ही लोगों की तरफ से किसी तरह का विरोध इस फैसले के खिलाफ किया गया है। जिस ट्रेन को रेलवे ने 1 नवंबर से बंद करने का फैसला किया है उसका नाम 'श्रमिक ट्रेन' है। यह ट्रेन जमालपुर से कजरा और जमालपुर से सुलतांगज के बीच चलाई जाती है। मंगलवार (31 अक्टूबर) को इस ट्रेन ने अपना आखिरी सफर पूरा किया।

मालदा डिवीजन के एक बड़े अधिकारी ने इस फैसले की पुष्टि भी की है। आपको बता दें कि जमालपुर में रेलवे का एशिया प्रसिद्ध कारखाना है। यहां डीजल इंजन का निर्माण और मरम्मत का काम होता है। इस कारखाने को यह 8 फरवरी 1862 में अंग्रेजों ने शुरू किया था। जानकार बताते हैं कि यहां पर ब्रिटिश शासन में पहले तोपों का निर्माण किया जाता था। यह आयुध कारखाना था। बाद में यहां पर रेलवे इंजन का निर्माण किया जाने लगा। कारखाने के रूप में अंग्रेजों ने ही बदलाव किया था। उस समय यहां पर काम करने वाले श्रमिकों की सहूलियत के लिए दो रूटों पर ट्रेनें चलाई गई थीं। जो अभी भी चलती हैं। इस कारण ही दोनों ट्रेनों का नाम श्रमिक ट्रेन पड़ गया। इन ट्रेनों में सफर करने के लिए अन्य लोगों को इजाजत नहीं है। यह ट्रेन केवल रेलवे कर्मचारियों को घर से ड्यूटी जाने और आने के लिए है। श्रमिक ट्रेन बंद करने की रेलवे की तरफ से कोई वजह नहीं बताई गई है। रेलवे ने इस रूट पर दूसरा अहम बदलाव मालदा-जमालपुर एक्सप्रेस इंटरसिटी ट्रेन को पहली नवंबर से जमालपुर तक ही चलाने का फैसला कर किया है।

Updated : 1 Nov 2017 12:00 AM GMT
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