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2030 तक देश में 55 नए हवाई अड्डों की जरूरत

2030 तक देश में 55 नए हवाई अड्डों की जरूरत
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मुंबई। देश में मुंबई, दिल्ली और चेन्नै जैसे बड़े हवाई अड्डों पर यात्रियों की संख्या का भारी दबाव है तो अगरतला, देहरादून, गुवाहाटी, जयपुर, कोझिकोड, लखनऊ, पुणे, श्रीनगर और त्रिची जैसे छोटे हवाई अड्डा भी अपनी क्षमता से अधिक यात्रियों को संभाल रहे हैं। संभावना है कि भारतीय एयरपोर्ट सिस्टम वित्त वर्ष 2022 तक अधिकतम संरचनात्मक क्षमता को पार कर जाएगा और यदि नए हवाई अड्डा परियोजना में देरी हुई तो यह पहले भी हो सकता है।

सभी संभव ढांचागत और आॅपरेशनल सुधार के बाद अधिकतम यात्रियों को संभालने की हवाईअड्डा की क्षमता को अधिकतम संरचनात्मक क्षमता कहते हैं। इसके बाद एक मात्र विकल्प है अलग-अलग जगहों पर नए हवाईअड्डा बनाना। हवाई अड्डे के लिए सबसे बड़ी चुनौती आगमन/प्रस्थान के लिए समय और पार्किंग का स्थान हासिल करना है। भारतीय विमानन कंपनियां अगले 5 साल में 350-400 नए विमान लाएंगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, 'इन विमानों को भी कहीं उड़ाया जाएगा। मेट्रो शहरों के हवाईअड्डे के अति व्यस्त होने की वजह से हवाईअड्डा कंपनियों को अगले 3 साल में टियर-2 शहरों पर फोकस करना होगा।' इसके अलावा पार्किंग की समस्या है। कंपनियां ए320 और बा 737 जैसे विमानों को रात में कहां पार्क करेंगी? रातभर के लिए पार्किंग स्पेस पाना अभी ही हवाईअड्डा कंपनियों के लिए चुनौती है। अगले 5 साल में इतने नए विमान आने से यह समस्या और भी बढ़ेगी।

सीएपीए-साउथ एशिया के सीईओ और डायरेक्टर कपिल कौल इसे 'निकटतम संकट की स्थिति' बताते हैं। उन्होंने कहा, 'इतने बड़े हवाईअड्डा ढांचा विकास के वास्तविक प्लान को तैयार करने के लिए कुछ सालों का समय लगेगा। संकट जैसी स्थिति में भी भारत का बर्ताव अनौपचारिक और अपर्याप्त है। 2030 तक 5-6 करोड़ अतिरिक्त यात्रियों को संभालने के लिए नए हवाईअड्डा के निर्माण की जरूरत है।' 2030 तक भारत में 55 नए हवाईअड्डा की आवश्यकता है। इसके लिए करीब 150,000-200,000 एकड़ जमीन की चाहिए। इस पर करीब 36-45 अरब डॉलर निवेश की आवश्यकता है।

Updated : 13 Nov 2017 12:00 AM GMT
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