बस्ते के बोझ से बच्चे होंगे मुक्त
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-योजना के तहत किताबें तीन महीनों के कोर्स के हिसाब से बनाई जाएंगी
भोपाल। स्कूल जाते मासूम बच्चों के कंधों पर बस्तों का बोझ देखकर दुखी होने वाले परिजनों के लिए यह खबर राहत देने वाली है। बस्तों का बोझ कम करने के लिए जल्दी ही नई योजना लागू होने जा रही है।
प्रदेश सरकार अब स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने जा रही है। जिसके तहत बच्चों को साल भर पढ़ाई जाने वाली किताबों को एक साथ नहीं ले जाना पड़ेगा। बच्चों का कोर्स तीन महीनों के हिसाब से बांट दिया जाएगा जिससे एक किताब के तीन हिस्से हो जाएंगे और बच्चों को हर तीन महीनों में एक हिस्सा ही ले जाना पड़ेगा।
प्रदेश सरकार की बस्ते का बोझ कम करने की नीति अगर बन गई तो प्रदेश देश का पहला राज्य होगा। सरकार हर किताब को तीन हिस्से में बांटकर बच्चों का कोर्स तय कर देगी इसके कई फायदे होंगे। शिक्षकों को पता रहेगा कि अगले तीन महीने उसे एक किताब पढ़ानी है वहीं अभिभावकों को भी छोटी किताबों से पता चलता रहेगा कि बच्चे को अगले तीन महीने क्या पढ़ना है और वो क्या पढ़ रहा है, साथ ही इससे बच्चों के बस्ते का एक तिहाई बोझ भी कम होगा।
ऐसे में जहां प्रदेश में 65 हजार से ज्यादा शिक्षकों की कमी हो 90 प्रतिशत स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट न हो, तमाम तरह की असुविधाओं से स्कूल जूझ रहे हों, वहां अगर छात्रों के बस्ते का बोझ कम करने के लिए सरकार अगर गंभीर है तो ये कदम प्रशंसनीय है। लेकिन सवाल फिर भी उठता है कि सरकार का ये कदम शिक्षा के क्षेत्र में उठाये गए बाकी कदमों की तरह कागजी साबित न हो जाये।
योजना अच्छी पर कागजों में ही नहींंं रह जाए
योजना तो अच्छी है मगर उम्मीद नहींंं कि धरातल पर आ पाएगी। बाकी योजनाओं की तरह यह भी कागजी रह जाने वाली है।
के के मिश्रा
मुख्य प्रवक्ता कांग्रेस
बस्तों का बोझ कम करने के लिए काफी समय से प्रयास कर चल रहा था। शिक्षाविदों के सुझावों के बाद तीन महीने के हिसाब से कोर्स बनाया गया है। इस कोर्स के हिसाब से तीन महीने की किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी जिससे बच्चों को साल भर के कोर्स को रोज स्कूल ले जाने से मुक्ति मिल जायेगी।
दीपक जोशी स्कूली
शिक्षा राज्य मंत्री