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मैं तेरा शहर छोड़ जाऊंगा

मैं तेरा शहर छोड़ जाऊंगा
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-रूपला ने विदाई की बेला पर सुनाए संस्मरण, कहा कि
ग्वालियर/ विशेष प्रतिनिधि। सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद मैं शहर छोड़ जाऊंगा, ताकि किसी को यह न लगे कि मैं यही डटा हूं और पिछली तारीखों में काम निपटा रहा हूं। मेरे लिए ग्वालियर में पौने दो साल का कार्यकाल बेहद सहयोग और प्यारभरा रहा, मैंने अधिकतम सेवाएं देकर पक्षकारों के लिए काम किया। इसलिए आज मैं यह कह सकता हूं कि हमने यदि दो कदम आगे बढ़ाए तो जनता ने दस कदम बढ़ाकर पूरा साथ दिया। यह बात संभागीय आयुक्त पद से 30 नवम्बर को सेवानिवृत्त होने जा रहे एस.एन. रूपला ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है और हमने भी सामने वाले को कभी नजर अंदाज नहीं किया, इसलिए सकारात्मकता के कारण कार्य करने में कोई दिक्कत नहीं आई। श्री रूपला ने कहा कि उन्होंने छोटे बडेÞ का भेद न करते हुए सभी को समान समझा। साथ ही नए तरीके से काम करने की प्रणाली अपनाई सोमवार को कोर्ट लगती थी, और अगले सोमवार को सुनवाई का परिणाम सामने होता था। इस तरह पौने दो साल में उन्होंने 750 मामले राजस्व प्रकरण एवं कर्मचारियों से जुड़े सैकड़ों मामले निपटाने में सफलता मिली। इस दौरान उन्होंने मीडिया से कभी मुंह नहीं चुराया कई खबरें उन्हें अखबारों के जरिए पता लगती थीं।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वे कभी भी दवाब में नहीं रहे, क्योंकि पारदर्शिता से काम किया जाए तो कभी दिक्कत नहीं होगी। एक अन्य सवाल पर श्री रूपला बेवाकी से बोले कि कलेक्टर को कमिश्नरी और एस.पी. आईजी गिरी नहीं करना चाहिए। तो इन दो बडेÞ अधिकारियों के बीच कभी टकराव नहीं होगा। साथ ही कमिश्नर और आईजी को भी जरूरत न होने तक ज्यादा दखलदांजी नहीं करना चाहिए। दोनों ही अधिकारी जिम्मेदार होते है, इसलिए इन्हें सीमा में रहकर कार्य करना चाहिए। श्री रूपला ने कहा कि आखिरी महीने उन्होंने न तो कोर्ट लगाई और न ही किसी फाइल पर आदेश पारित किया, क्योंकि कहा जाता है कि अधिकारी जाते-जाते फाइलें निपट जाते हैं। वे 30 नवम्बर को रिटायरमेंट के बाद इसी दिन रात जीटी एक्सप्रेस से भोपाल चले जाएंगे।

इन्हें देखकर होती है खुशी

एक व्यक्ति का हिप्स रिप्लेसमेंट होना था, पैसे नहीं थे यह बात पता लगते ही उसे ढूंढा और जे.ए.एच. में आपरेशन कराया, वह चलने फिरने लगा। इसी तरह पैसों के अभाव में एक शख्स अपना आॅटो बेचने जा रहा था, उसकी रोजी रोटी न छिने इसलिए उसे एक लाख रुपए की मदद दिलाकर काफी प्रसन्नता हुई।


बी.एम. शर्मा की 10 साल बाद वापसी

वरिष्ठ आईएएस बी.एम. शर्मा की 10 साल बाद ग्वालियर में वापसी हो रही है। वर्ष 2002 और फिर पुन: जून 2007 में निगमायुक्त पद से वे यहां से स्थानांतरित होकर गए थे और अब 10 साल बाद वरिष्ठ आईएएस होकर संभागायुक्त के पद पर आ रहे हैं। ‘स्वदेश’ से बातचीत में श्री शर्मा ने कहा कि ग्वालियर उनके लिए जाना पहचाना है,उनकी प्राथमिकता सरकार की जनोन्मुखी योजनाओं का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन कराने का होगा।
श्री शर्मा वर्ष 1998 में ग्वालियर में एडीएम और फिर 24 दिसम्बर 2001 से 7 फरवरी 2002 एवं 21 मार्च से 13 जून 2007 तक निगमायुक्त के पद पर रहे थे। वे मूलत: मुरैना जिले के पड़ावली के हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा में आने के बाद उनकी पहली पदस्थापना भिण्ड जिले के गोहद में वर्ष 2001 में हुई थी। इसके बाद वर्ष 2008 में उन्हें आईएएस अवार्ड मिला। श्री शर्र्मा उज्जैन और धार में लगभग तीन-तीन साल तक कलेक्टर और वर्तमान में शहडोल में संभागायुक्त के पद पर पदस्थ हैं। श्री शर्मा एक दो दिन में शहडोल से रिलीव होकर इसी सप्ताह ग्वालियर संभागायुक्त का पदभार ग्रहण कर लेंगे। श्री शर्मा का कहना है कि सरकार ने गर्भावस्था से लेकर मृत्यु तक अनेक जनोन्मुखी योजनाएं बनाई हैं,जिनका लाभ जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर उनके लिए जाना पहचाना शहर है,सबको साथ लेकर काम किया जाएगा।

Updated : 30 Nov 2017 12:00 AM GMT
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