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कांग्रेस नेता पी. चिदम्बरम से खुश हुआ पाकिस्तान

कांग्रेस नेता पी. चिदम्बरम से खुश हुआ पाकिस्तान
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पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस दिग्गज पी. चिदम्बरम के जम्मू कश्मीर सम्बन्धी बयान से पाकिस्तान खुश हुआ। बताया जाता है कि वहां उनके बयान को बड़ी तवज्जो मिली, खैरमकदम किया गया। चिदम्बरम ने जम्मू कश्मीर को अधिक स्वायत्तता देने की बात कही थी। देश की अखंडता एकता चाहने वाले इस बयान से नाराज हुए। दूसरी ओर पाकिस्तान, सीमापार के आतंकवादी और हुर्रियत के अलगाववादी खुश हुए। पिछले कुछ दिनों से हुर्रियत नेता बड़े दबाव में थे। पाकिस्तान से रकम लेकर अराजकता फैलाने की उनकी असलियत खुल कर सामने आ गई थी। जांच दायरे से इनका बचना मुश्किल था। इनका मनोबल गिरा हुआ था, लेकिन इधर चिदम्बरम का बयान आया,उधर इनका भी हौसला बढ़ गया। उन्होंने तत्कार सरकार द्वारा शुरू की गई संवाद प्रक्रिया का विरोध शुरू कर दिया।

पाकिस्तान को भी मौका मिला। उसने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों को आजादी का अधिकार मिलना चाहिए। चिदम्बरम ने इसका भी विरोध नहीं किया था। नेशनल कांफ्रेंस भी मुखर हुई। उसने चिदम्बरम के बयान का न केवल समर्थन किया, बल्कि इसे पार्टी के अधिवेशन में प्रमुखता दी गई। वैसे भी फारुख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर समस्या के समाधान के लिए पाकिस्तान से वार्ता की मांग करते रहे हैं। ऐसे बयान उन्हें चर्चा में ले आते हैं लेकिन अनुभवी फारुख भी यह जानते हैं कि पाकिस्तान से वार्ता का कोई मतलब नहीं है। इससे कोई समाधान निकलने की उम्मीद करना बेमानी है। फारुख यह भी नहीं बता सकते कि पाकिस्तान में वार्ता किसके साथ की जाए। वहां निर्वाचित सरकार है लेकिन सेना का उस पर नियंत्रण रहता है। इसीलिए वार्ता के सभी प्रयास विफल हुए हैं। वहां सेना और गुप्तचर संस्था आईएसआई के सहयोग से आतंकियो के प्रशिक्षण शिविर चलते हैं।

फारुख इतने नादान नहीं कि इस हकीकत में वार्ता से समस्या का समाधान निकलने की उम्मीद करें। फिर भी अपनी राजनीति चलाने के लिए ये नेता ऐसे बयान देते हैं। चिदम्बरम ने भी यही किया है। उनके पुत्र घोटाले में जांच का सामना कर रहे हैं। एनरॉन को लेकर भी गम्भीर आरोप लगाए जा रहे हैं। क्यों न माना जाए कि चिदम्बरम इन सबसे ध्यान हटाना चाहते हैं। इसलिए जम्मू कश्मीर पर अनावश्यक और असमय बयान दिया। यह भी जाहिर हुआ कि ऐसे नेता अपनी राजनीति और स्वार्थ के लिए देश की एकता और अखंडता की अवहेलना करने वाले बयान दे सकते हैं। इन्हें इसमें रंचमात्र संकोच नहीं होता है, जबकि देश की एकता- अखण्डता को राजनीति से ऊपर होना चाहिए। केवल भारत ही नहीं, पूरे विश्व में एकता का सन्देश जाना चाहिए। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। खासतौर पर पाकिस्तान को कुछ कहने का अवसर नहीं मिलना चाहिए, लेकिन कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस के दिग्गज नेता समय- समय पर ऐसे बयान देते हैं, जो भारत विरोधी तत्वों का मनोबल बढ़ाते हैं। यदि कोई इस पर आपत्ति व्यक्त करता है तो असहिष्णुता बढ़ने का आरोप लगाया जाता है। कहा जाता है कि कुछ लोग देशभकक्ति का प्रमाणपत्र बांट रहे हैं।
जाहिर है कि चिदम्बरम के बयान की गूंज पाकिस्तान तक हुई।

उन्होंने दबाब के बाद लीपापोती का प्रयास भी किया, लेकिन बयान के शब्द बहुत स्पष्ट थे। इनका कोई अन्य मतलब नहीं था। चिदम्बरम ने कश्मीर को आजाद कराने वालों के प्रति सहानुभूति दिखाई। स्वायत्तता देने की मांग की। ऐसी बात कोई सामान्य व्यक्ति करता तो बात अलग थी। चिदम्बरम देश के गृह मंत्री रहे हैं, लेकिन उस समय उन्होंने स्वायत्तता देने का कार्य नही किया। यह क्यों न माना जाए कि आज उनका बयान कश्मीर समस्या को उलझाने के लिए आया है। सरकार ने वहां वार्ता की प्रक्रिया शुरू की है। इसी दौरान चिदम्बरम का बयान आया। समय के चुनाव के पीछे भी नेकनीयत नहीं थी। कांग्रेस पर दबाब बढ़ा तो उसने अपने को चिदम्बरम के बयान से अलग कर लिया, लेकिन बिडंबना देखिये कि कश्मीर में भेजे जाने वाले प्रतिनिधि मंडल में चिदम्बरम शामिल हैं। ऐसे लोग केवल राजनीति करने का अवसर तलाशते हैं। जो अलगाववादी जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने से संतुष्ट नहीं हुए, वह स्वायत्तता से कैसे सन्तुष्ट होंगे। क्या चिदम्बरम जैसे नेता यह गारंटी लेंगे कि इसके बाद सीमापार के आतंकवादी अलगाववादी शान्त हो जायेंगे। वह अहिंसा के रास्ते पर चलने लगेंगे, जबकि हकीकत यह है कि इन्हें जितने अधिकार मिलेंगे,उतना ही इनका दुस्साहस बढ़ेगा। ऐसे में विशेष दर्जे को ही समाप्त करने पर विचार होना चाहिए।

Updated : 4 Nov 2017 12:00 AM GMT
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