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प्लास्टिक करेंसी के जरिए लेनदेन में उछाल

प्लास्टिक करेंसी के जरिए लेनदेन में उछाल
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नई दिल्ली। लोगों के भुगतान करने की जो आदत बरसों से नहीं बदली थी, नोटबंदी ने बीते एक साल में उसे काफी हद तक बदल दिया है। 8 नवंबर 2016 को एक हजार और पांच सौ रुपये के नोट अवैध घोषित होने के बाद डिजिटल लेनदेन की संख्या डेढ़ गुना बढ़ गई है। एक साल पहले जब नोटबंदी का ऐलान हुआ था उससे पहले अक्टूबर 2016 में 70.21 करोड़ सौदे डिजिटल लेनदेन के जरिए हुए थे। इन लेनदेन में क्रेडिट डेबिट कार्ड से होने वाले भुगतान के अलावा आनलाइन बैंकिंग के आंकड़े भी शामिल थे।लेकिन सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक करीब नौ महीने बाद जुलाई 2017 में डिजिटल लेनदेन की यह संख्या 113 करोड़ पहुंच चुकी है। यानी डिजिटल माध्यमों से लेनदेन करने के मामलों में 60 फीसद इजाफा हुआ है।सरकार मानती है कि लोगों में डिजिटल भुगतान के न केवल रुझान बढ़ रहा है बल्कि लोग इसके फायदों को भी समझ रहे हैं।

बीते एक साल में सिर्फ डेबिट क्रेडिट कार्ड के जरिए भुगतान करने के मामले बढ़े हैं बल्कि बड़ी संख्या में लोगों ने मोबाइल वालेट और अन्य मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए भुगतान की व्यवस्था को अपनाया है। इस अवधि में मोबाइल वालेट से होने वाले लेनदेन की संख्या ही 9.96 करोड़ से बढ़कर 23.55 करोड़ हो गई है। सरकार ने नोटबंदी के वक्त और बाद में भी बार बार इस बात पर जोर दिया कि अब समय अर्थव्यवस्था को लेस कैश अर्थव्यवस्था में तब्दील करने का है। नोटबंदी ने इस दिशा में आगे बढ़ने में मदद की। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी पहले यूपीआइ और फिर बाद में भीम एप के जरिए देश के दूरदराज के इलाकों के लोगों को भी डिजिटल लेनदेन के प्रति प्रोत्साहित करने का काम किया।

डेबिट कार्ड के जरिए भुगतान में 140 फीसद का इजाफा : नोटबंदी से पहले अक्टूबर 2016 में 12.88 करोड़ लेनदेन में भुगतान डेबिट कार्ड के जरिए हुआ। यह जुलाई 2017 में बढ़कर 20.98 करोड़ पहुंच गया है। यानी करीब 140 फीसद का इजाफा। इनमें रुपे कार्ड के आंकड़े शामिल नहीं हैं। डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाले लेनदेन की संख्या में इजाफा होने की एक वजह यह भी रही कि बीते एक साल कार्ड स्वाइप करने वाली मशीन पीओएस की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई। सरकार की तरफ से पीओएस मशीनों पर कर छूट की घोषणा की ताकि ज्यादा से ज्यादा मशीनों को इस्तेमाल में लाया जा सके। इसका नतीजा हुआ कि अक्टूबर 2016 में जहां करीब 15 लाख पीओएस मशीने इस्तेमाल में लायी जा रही थीं, जुलाई 2017 आते आते इनकी संख्या 25 लाख से अधिक हो गई। जानकारों का मानना है कि अगर यह रुख आगे भी जारी रहा तो देश में डिजिटल लेनदेन की संख्या में और तेज वृद्धि हो सकती है।

Updated : 8 Nov 2017 12:00 AM GMT
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