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प्रदेश में कुपोषित बच्चों की होगी पहचान, घर—घर दी जाएगी दस्तक

प्रदेश में कुपोषित बच्चों की होगी पहचान, घर—घर दी जाएगी दस्तक
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भोपाल । प्रदेश के सभी शहरों में कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए घर-घर दस्तक दी जाएगी। यह काम अभियान के रूप में शुरू होगा। प्रदेश में स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही तमाम योजनाओं के बावजूद कुपोषण और एनीमिया वाले बच्चों की संख्या में कमी नहीं हो रही है। ऐसे बच्चे अब दस्तक अभियान में सामने आ रहे हैं।

दस्तक अभियान में घर-घर दस्तक देकर कुपोषित और एनीमिक बच्चों को खोजा जा रहा है। इस अभियान से दूरदराज में उपेक्षित हजारों बच्चों की जान बची है। अभियान के जून-जुलाई में चले पहले चरण में प्रदेश में 26 हजार गंभीर कुपोषित और 15 हजार गंभीर एनीमिक बच्चे मिले थे। इन बच्चों का इलाज होने के बाद इनकी हालत में काफी सुधार आया है। अब 18 दिसंबर से दस्तक अभियान का दूसरा चरण शुरू होने जा रहा है। यह 18 जनवरी 2018 तक चलेगा।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से 15 जून से 31 जुलाई तक दस्तक अभियान का पहला चरण चलाया गया था। इस दौरान दोनों विभागों के मैदानी अमले ने घर-घर जाकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों की जांच की। प्राप्त जानकारी के अनुसार डेढ़ माह में करीब 74 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग की गई।

संचालक एनएचएम के अनुसार अति कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराकर इलाज कराया गया। वहीं गंभीर एनीमिक बच्चों के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन की व्यवस्था की गई। 80 फीसदी बच्चे अब खतरे से बाहर हैं। कुछ बच्चे और उनके अभिभावक भर्ती कराने के लिए किसी भी हालत में तैयार नहीं होते, उनके इलाज में समस्या आती है।

Updated : 19 Dec 2017 12:00 AM GMT
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