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कैग की रिपोर्ट : साढ़े 14 लाख बच्चों ने बीच में ही छोड़ दी पढ़ाई

कैग की रिपोर्ट : साढ़े 14 लाख बच्चों ने बीच में ही छोड़ दी पढ़ाई
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-पांचवीं से पहले ही 23 फीसदी बच्चे छोड़ देते हैं पढ़ाई
-अनिवार्य शिक्षा को प्रभावी बनाने में सरकार फेल

भोपाल।
प्रदेश में प्राथमिक कक्षा में प्रवेश लेने वाले 23 फीसदी बच्चे पांचवीं कक्षा पास करने से पहले ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। स्कूल शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में मप्र की राज्य पूरी तरह से फेल रही है। भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक द्वारा शिक्षा का अधिनियम कानून के परिपालन को लेकर पेश की आॅडिट रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आरटीई के तहत भारत सरकार से जो अनुदान मिलता है, उसे राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को वितरित करने में अनियमितता की है। ऐसे स्कूलों को भी अनुदान दे दिया गया था, जो मान्यता प्राप्त नहीं है।

कैग रिपोर्ट के अनुसार स्कूल चलें हम अभियान के तहत किए गए सर्वे में कमजोर वर्ग के बच्चों को शामिल नहीं किया गया। जिसकी वजह से शिक्षा विहीन बच्चों के सही आंकड़े सामने नहीं आ पाए। अनिवार्य शिक्षा के नाम पर राज्य में किस तरह से फर्जीवाड़ा हुआ, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नेशनल सेंपल सर्वे आॅन एस्टीमेशन आॅफ ओओएसी ने राज्य में 4.51 लाख बच्चों को स्कूल से बाहर पाया। जबकि मप्र सरकार के परिवार सर्वेक्षण में 2015-16 में 60 हजार बच्चों को स्कूल से बाहर चिह्नत किया।

कैग ने रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि वर्ष 2010 से 2016 के बीच 10.25 लाख बच्चों ने पांचवीं के बाद स्कूल छोड़ दिया। जबकि 4.09 बच्चों ने कक्षा सातवीं से पहले ही स्कूल छोड़ दिया था। कैग ने माना कि मप्र प्रारंभिक शिक्षा में काम नहीं कर पाया। आरटीई के तहत अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों को फीस प्रतिपूर्ति का प्रावधान नहीं है, लेकिन मप्र सरकार ने भोपाल, इंदौर और बुरहानपुर के स्कूलों को पैसा दिया। इसी तरह बुरहानपुर, धार एवं झाबुआ के 303 फर्जी स्कूलों को फीस प्रतिपूर्ति दी गई।

एक शिक्षक के भरोसे स्कूल

कैग रिपोर्ट के अनुसार आरटीई लागू होने से 3 साल के भीतर स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात सुनिश्चित करने का लक्ष्य था। लेकिन वर्ष 2016 में 18940 प्राथमिक एवं 13763 माध्यमिक स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे हैं। मार्च 2016 की स्थिति में मप्र में प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में 64851 शिक्षकों के पद खाली थे। अभी तक पद नहीं भरे गए हंै। आरटीई के तहत स्कूलों में दाखिला लेने वाले 71 फीसदी बच्चों के माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चों को अतिरिक्त शैक्षणिक सहायता नहीं मिली।

मोदी ने आते ही रोक दिए थे 537 करोड़

केंद्र की मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए 13 वें वित्त आयोग की अनुदान राशि 537 करोड़ जारी नहीं की। क्योंकि मप्र सरकार अनुदान की शर्तों को पूरा करने में असफल रहा। जिससे मप्र को इस भारी राशि से हाथ धोना पड़ा।

Updated : 2 Dec 2017 12:00 AM GMT
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