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इन महिलाओं ने दिखाया समाज को रास्ता

इन महिलाओं ने दिखाया समाज को रास्ता
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जज्बे को ‘सलाम’
अक्सर समाज अपनी खामियों को आसानी से स्वीकार नहीं करता। और अगर कमियां स्वीकार न की जाएं तो उन्हें ठीक करना भी संभव नहीं। भले ही हम देवियों की पूजा करें लेकिन महिलाओं का सम्मान नहीं करते। देवियों की पूजा अपने फायदे के लिए है, इसी तरह परिवार और समाज में वर्चस्व भी अपने ही फायदे के लिए है। नहीं तो महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने में इतने निरुपाय नहीं होते। देशभर में तेजाब हमले से पीड़ित कुछ महिलाओं ने स्वाबलंबी बनने का जो विकल्प चुना है वह दूसरे लोगों के लिए भी मिसाल बनेगा। आर्थिक आजादी आत्मसम्मान के अलावा फैसला लेने की हिम्मत भी देती है, आत्मनिर्भर बनाती है, सामाजिक सत्ता के दायरे में स्थिति मजबूत करती है। शायद इसी से हालात बदलेंगे। और वे लोग भी बदलेंगे जो बात न माने जाने की स्थिति में हिंसा का सहारा लेते हैं। ऐसे ही महिलाओं के आत्मसम्मान को वापिस दिलाने की कोशिश में उन पीड़िताओं को रैंप पर सजा संवार कर उतारा देश के नामचीन फैशन डिजाइनरों ने। नौ मासूम लड़कियां जिनके ऊपर उनके पति और परिवार के ही दूसरे लोगों ने तेजाब से हमला किया था, हाल ही में शानदार तरीके से रैंप वॉक करती नजर आयीं। इन लड़कियों को देश के चंद नामचीन फैशन डिजाइनर्स ने एक चैरिटी आॅग्रेनाइजेशन के इवेंट में फैशन शो के लिए तैयार किया।

तेजाब हमले की पीड़िताओं का खास शो

चैरिटी संस्था जिसका नाम है मेक लव नॉट स्कार संस्था, तेजाब हमला से बच कर आई लड़कियों के विकास के लिए ही काम करती है। इसी ने पिछले दिनों एक फैशन शो आयोजित किया। इस शो में नौ सरवाइवर्स को बेस्ट लुक में रैंप वॉक करने के लिए तैयार किया गया। इनमें से कई को इस एनजीओ ने आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनने में भी मदद की है।

प्रतिष्ठित डिजाइनर्स ने किया सहयोग

इन सरवाइवर्स के लुक को बेहतरीन बनाने में रोहित बल, राना गिल और अर्चना कोच्चर जैसे देश के मशहूर फैशन डिजाइनर्स ने अपना योगदान दिया। कपड़ों से लेकर पूरे स्टाइल तक को इन डिजाइनर्स ने अपना बेस्ट दिया था।

खुद को साबित करना था

इन मॉडल्स ने बताया कि हालाकि रैंप वॉक के पहले तैयार होने के दौरान वो काफी नर्वस थीं। इसके बावजूद अपने आपको साबित करने के लिए वे ऐसा करना चाहती थीं। इनमें कुछ ने बताया कि हमले के बाद अक्सर जब वो सड़क पर निकलती थीं तो लोग या तो उनको देख कर रास्ता बदल लेते थे या मुंह घुमा लेते थे। इसीलिए उन्हें साबित करना था कि वो इसकी परवाह नहीं करतीं और अपने हालात से लड़ने की हिम्मत रखती हैं।

Updated : 2 Dec 2017 12:00 AM GMT
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