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हाईप्रोफाइल मामलों में अक्सर सीबीआई क्यों हो जाती है ‘नाकाम’

हाईप्रोफाइल मामलों में अक्सर सीबीआई क्यों हो जाती है ‘नाकाम’
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नई दिल्ली। आर्थिक अपराध हों या फौजदारी के मामले जब उसे राज्य पुलिस पदार्फाश करने में नाकाम साबित होती है तो उस हालात में जनदबाव या किसी और वजह से उन मामलों को सीबीआई को रेफर किया जाता है। दरअसल पीड़ित पक्ष को यकीन होता है कि सीबीआई आधुनिक तरीके से मामले की तहकीकात कर सच लाएगी। ऐसा देखा भी गया है कि सामान्य मामलों में मसलन जिसकी प्रोफाइल थोड़ी सी कम हो उसमें जांच एजेंसी बेहतर काम करती है। लेकिन हाईप्रोफाइल मामलों में सीबीआई को अदालत की कड़ी फटकार का सामना भी करना पड़ा है।

2जी मामला और सीबीआई

गुरुवार को 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में जब न्यायाधीश ने फैसला सुनाना शुरू किया तो उनकी तरफ से सीबीआई के लिए तल्ख टिप्पणी आई। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने पुख्ता साक्ष्यों को पेश नहीं किया जिसकी वजह से आरोपियों को दोषी ठहराने का आधार नहीं है।

आरुषि-हेमराज मामला

इसके साथ ही सीबीआई जांच से जुड़े मामलों में जब अदालत फैसला करती है तो आरुषि-हेमराज हत्या मामला बरबस याद आता है। आप को याद होगा कि आरुषि हत्याकांड की जांच पहले उप्र पुलिस के हवाले थी। लेकिन पीड़ित पक्ष के ऐतराज के बाद ये मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने जांच की और विरोधाभाषी रिपोर्ट सामने आई। एक जांच में जहां तलवार दंपति को क्लीन चिट देकर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई। लेकिन गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट को आरोपपत्र मानकर मुकदमा चलाने का निर्देश दिया। निचली अदालत से राजेश तलवार और नुपूर तलवार को सजा हुई। लेकिन इलाहाबाद न्यायालय ने तलवार दंपति को रिहा करते हुए कहा कि कपोलकल्पित जांच और निष्कर्ष से किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। और इस तरह से सीबीआई को न्यायालय की फटकार का सामना करना पड़ा।

पिंजड़े में बंद सरकारी तोता है सीबीआई

उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकारी अफसरों ने कोयला घोटाले की जांच रिपोर्ट की आत्मा बदल दी। यही नहीं अदालत ने सीबीआई को पिंजड़े में बंद सरकारी तोता करार दिया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सरकारी अफसरों की सलाह पर घोटाले की स्टेट्स रिपोर्ट की आत्मा बदल दी गई। ये कैसे मान लिया जाए कि कोयला घोटाले की जांच निष्पक्ष होगी। सीबीआई पिंजड़े में बंद तोते की तरह है जो मालिक की बोली बोलता है। वो ऐसा तोता है जिसके कई मालिक हैं। कैसे मुमकिन है कि दो संयुक्त सचिवों की मौजूदगी में स्टेट्स रिपोर्ट देखी जा रही थी? सीबीआई क्या कर रही थी वो जांचकर्ता है या फिर इस केस में उसकी मिलीभगत है? उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को फटकार लगाते हुए कहा कि ध्यान रहे आगे से सीबीआई किसी को भी, न कानून मंत्री को, न किसी दूसरे केंद्रीय मंत्री को कोयला घोटाले की जांच की भनक तक न लगने दे।

Updated : 22 Dec 2017 12:00 AM GMT
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