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लालू प्रसाद यादव दोषी करार

लालू प्रसाद यादव दोषी करार
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बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव को सीबीआई न्यायालय द्वारा दोषी करार दिया जा चुका है। इससे यह प्रमाणित हो चुका है कि लालू प्रसाद यादव देश के बहुत बड़े अपराधी हैं, लेकिन सवाल यह आता है कि उनको अपराध बोध कतई नहीं हो रहा है। वर्तमान राष्ट्रीय जनता दल के अघोषित मुखिया के रुप में अपनी राजनीति करने वाले लालू प्रसाद यादव इस पूरे घटनाक्रम को भाजपा की राजनीति करार दे रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि यह पूरा मामला न्यायालय में चला और न्यायालय से ही उनको दोषी करार दिया गया है, इसमें भारतीय जनता पार्टी की बिलकुल भूमिका नहीं है। लालू प्रसाद यादव के वक्तव्य से यह आशय निकाला जा सकता है कि उनका न्यायिक प्रक्रिया पर अविश्वास है और अपनी ओर से बयान देकर देश की जनता को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। हम यह जानते हैं कि लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले के एक या दो नहीं, पूरे छह प्रकरण चल रहे हैं। अभी केवल एक ही प्रकरण का पटापेक्ष हुआ है। इसके बाद लालू प्रसाद यादव को सीधे जेल भेज दिया है। इस मामले में सजा का निर्णय तीन जनवरी को सुनाया जाएगा। हालांकि लालू प्रसाद यादव जेल पहली बार नहीं गए हैं, उनका जेल से पुराना नाता रहा है, वह पहले भी 375 दिन जेल की हवा खा चुके हैं। इस सजा के कारण उनके चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है। यहां एक सवाल यह भी आता है कि लालू प्रसाद यादव पर जहां चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है, वहीं उनकी राजनीतिक सक्रियता पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। क्योंकि अगर वह राजनीतिक रुप से सक्रिय रहते हैं तो फिर वे अपने भाषणों में सीधे तौर पर अपने बचाव के लिए सीबीआई की न्यायालय को भी कठघरे में खड़ा करने का पुयास करेंगे और अपने जेल जाने की कहानी को भाजपा की साजिश बताकर प्रचारित करेंगे, जो एकदम झूठी कहानी ही मानी जाएगी। न्यायिक प्रक्रिया पर इस प्रकार से सवाल उठाने को लेकर वह देश की जनता के समक्ष भ्रम की स्थिति का निर्माण भी कर सकते हैं। जो बहुत बड़ा अपराध ही कहा जाएगा।

हम जानते हैं कि तीन अक्टूबर 2013 को चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में लालू को दोषी ठहराया गया था। इस मामले में 37 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। अदालत ने मामले में लालू यादव को पांच साल की जेल की सजा और 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके बाद लालू यादव को रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद किया गया था, लेकिन दिसंबर 2013 में उनको न्यायालय से जमानत मिल गई थी। इसके बाद लालू यादव को रांची की बिरसा मुंडा जेल से रिहा कर दिया गया था। इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में 1996 में पशुपालन विभाग के कार्यालयों में छापेमारी की गई थी। इस दौरान कुछ फर्जी कंपनियों द्वारा पैसों की हेराफेरी करने का मामला सामने आया। इसके बाद 11 मार्च 1996 को पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया था। साल 1996 में सीबीआई ने चाईबासा खजाना मामले में प्राथमिकी दर्ज की और 23 जून 1997 को सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया और लालू प्रसाद यादव को आरोपी बनाया। 30 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद ने सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया। इसके बाद उनको न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था। कुल मिलाकर अब यह तो सिद्ध हो चुका है कि बिहार में चारा घोटाला हुआ था, जब घोटाला हुआ है तो लालू प्रसाद यादव को इसकी सत्यता को उजागर करना चाहिए, जिससे जनता सही स्थिति को जान सके।

Updated : 25 Dec 2017 12:00 AM GMT
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