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आरोपी नप अध्यक्ष ने सात खदानों को परिषद से दिलाई हरी झंडी

आरोपी नप अध्यक्ष ने सात खदानों को परिषद से दिलाई हरी झंडी
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-स्थानीय अधिकारियों ने उच्च न्यायालय और शासन के आदेश खंटी पर टांगे
-मामला बिलौआ नगर परिषद में अस्थाई दखलकर की वसूली में हुए गबन का

ग्वालियर। बिलौआ नगर परिषद में अस्थाई दखलकर की वसूली में हुए 22 लाख से अधिक के गबन के मामले में आरोपी नगर परिषद अध्यक्ष सुनील चौरसिया को हटाए जाने सहित अन्य दोषियों पर विधिवत रूप से शीघ्र कार्रवाई किए जाने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश और आरोपियों पर शीघ्र कार्रवाई किए जाने के संबंध में शासनादेश को स्थानीय अधिकारियों ने खूंठी पर टांग दिया है। आरोपियों को बचाने के फेर में अधिकारी करीब एक माह पूर्व जारी शासनादेश को जहां फाइलों में दबाए बैठे हैं वहीं आरोपी नगर परिषद अध्यक्ष सुनील चौरसिया ने गुरुवार 28 दिसम्बर को नगर परिषद की साधारण सभा की बैठक बुलाकर 12 में से सात खदानों को अनापत्ति प्रमाण-पत्र दे दिया। बैठक में करीब एक दर्जन से अधिक खरीदी और निर्माण कार्यों को भी स्वीकृति दी गई। उल्लेखनीय है कि नगर परिषद में अस्थाई दखलकर के नाम पर नगर परिषद अध्यक्ष सुनील चौरसिया सहित कुछ पार्षदों, सीएमओ सहित कुछ कर्मचारियों द्वारा अवैध वसूली कर घोटाला किए जाने की शिकायत स्थानीय नागरिकों द्वारा प्रशासन से की गई थी। तत्कालीन जिलाधीश डॉ. संजय गोयल के आदेश पर इस शिकायत की जांच तत्कालीन डबरा एसडीएम अमनवीर सिंह बैश ने एक प्रशासनिक दल गठित कर कराई थी। जांच में चार माह की अवधि में 22 लाख से अधिक राशि अवैध रूप से वसूलकर गबन किए जाने का मामला उजागर हुआ था। इस मामले में नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से नगर परिषद अध्यक्ष को पद से हटाए जाने सहित अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई के संबंध में नोटिस जारी हुआ था। इस नोटिस पर कार्रवाई नहीं किए जाने पर स्थानीय नागरिक महेन्द्र चतुर्वेदी द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने इस याचिका का निराकरण इस आदेश के साथ किया था कि शासन इस मामले का विधिवत रूप से एवं शीघ्र निराकरण करे। विधिवत निराकरण की आड़ में प्रशासन इस मामले को नोटिस और जवाब के फेर में लटका रहा है। सूत्र बताते हैं कि राजनीतिक दबाव में अधिकारी नगर परिषद अध्यक्ष को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। खास बात यह है कि बिलौआ में अस्थाई दखलकर के नाम पर अभी भी धड़ल्ले से अवैध वसूली जारी है। यहां अब भी प्रतिदिन 30 से 40 हजार रुपए चोरी किए जा रहे हैं।

डूडा अधिकारी ने नहीं माना जिलाधीश का आदेश

जिलाधीश राहुल जैन ने बिलौआ गबन मामले में आरोपियों के विरुद्ध पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश शहरी विकास अभिकरण के जिलाधिकारी श्री दण्डोतिया को दिए थे। श्री दण्डोतिया जिलाधीश के इस आदेश का पालन करने की वजाय अपने स्तर पर इस मामले में प्राथमिकी से बचने की संभावनाएं तलाशने विधिक सलाहाकार के पास पहुंचे। विधिक सलाहाकार ने मौखिक रूप से उन्हें बताया कि इस प्रकरण में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई जा सकती है क्योंकि प्रथम दृष्टया आरोपियों के विरुद्ध कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। इस मौखिक सलाह के बाद उन्होंने लिखित रूप में विधिक अधिकारी का अभिमत नहीं लेकर जिलाधीश के आदेश को ही फाइल में दबा दिया। उल्लेखनीय है कि गबन के कई मामले ऐसे विचाराधीन हैं, जिनमें प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद पुलिस जांच में आरोप सिद्ध हुए हैं।

इनका कहना है

‘‘बिलौआ नगर परिषद में हुए गबन के मामले में नोटिस के विरुद्ध नप अध्यक्ष द्वारा शासन से कुछ दस्तावेज मांगे गए थे। इस मामले में शासन की ओर से संयुक्त संचालक को जारी पत्र अथवा आदेश की हमें जानकारी नहीं हैं। इस संबंध में संयुक्त संचालक से जानकारी लेकर शासनादेश के परिपालन में शीघ्र कार्रवाई कराई जाएगी।’’

राहुल जैन, जिलाधीश, ग्वालियर

‘‘पद से हटाए जाने तक नप अध्यक्ष परिषद की बैठक बुला सकते हैं। बिलौआ नगर परिषद में हुए गबन में अध्यक्ष को हटाए जाने की कार्रवाई एवं विभागीय जांच के संबंध में शासन से पत्र प्राप्त हुआ है। शीघ्र ही इस पत्र में उल्लेखित बिन्दुओं की जांच कर रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।’’

हिमांशु सिंह
संयुक्त संचालक
नगरीय प्रशासन विभाग, ग्वालियर

Updated : 29 Dec 2017 12:00 AM GMT
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