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महज 120 भारतीय जवानों ने पाक को चटाई थी धूल

महज 120 भारतीय जवानों ने पाक को चटाई थी धूल
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-भारतीय जवानों के पराक्रम की शौर्यगाथा
-1971 आज ही के दिन पाकिस्तान ने खाई थी मुंह की...
नई दिल्ली। पांच-छह दिसंबर की तारीख यूं तो हर साल आती है लेकिन इस तारीख के बेहद खास मायने हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि 5 दिसंबर की रात में राजस्थान में पाकिस्तान से लगती सीमा और लोंगेवाल पोस्ट पर वो हुआ था जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है। यह महज एक कहानी नहीं बल्कि भारतीय फौज के जांबाज जवानों के पराक्रम की शौर्यगाथा है। आपको बता दें कि 1971 के दिसंबर माह में भारत पाकिस्तान के साथ कई मोर्चों पर लड़ रहा था। इसके अलावा चीन की तरफ से भी लगातार माहौल तनावपूर्ण हो रहा था। कश्मीर में भी पाकिस्तान के सामने भारतीय फौज दो-दो हाथ कर रही थी। इसी दौरान पाकिस्तान ने राजस्थान में हमले कर जैसलमेर पर कब्जा करने के लिए अपनी पूरी टैंक रेजिमेंट को लोंगेवाल पोस्ट की तरफ रवाना कर दिया था।

धीरे-धीरे नजदीक आ रहे पाक टैंक

इसकी जानकारी पोस्ट पर तैनात 23वीं पंजाब बटालियन के कमांडिंग आॅफिसर मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को 4-5 दिसंबर की रात को उनके जवानों से लगी थी। इन जवानों ने बॉर्डर पार टैंकों की आवाज सुनी थी जो धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। पाकिस्तान की तरफ से आ रही 22 कैवलरी इंफैंटरी बटालियन में चीनी निर्मित टी 35 और अमेरिकन शर्मन टैंक शामिल थे।

पोस्ट छोड़ने का मिला था आदेश

मेजर कुलदीप सिंह को अपने अधिकारियों से पोस्ट को खाली करने का आदेश दिया गया था, जिसको मानने से उन्होंने इंकार कर दिया था। मेजर के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि जहां उनके सामने पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट थी वहीं उनके पास महज 120 जवान थे, जिनके पास कुछ स्वचालित मशीनगनें, आरसीएल जीप के ऊपर लगाई गई 106 एमएम की रिकोइल्लस राइफल्स, हैंड ग्रेनेड और राइफल्स थी। एक पूरी टैंक रेजिमेंट के सामने यह सभी कुछ बेहद छोटी और कमतर थीं। यह भारतीय जवानों का साहस ही था कि उन्होंने अपने साहस के दम पर पूरी टैंक रेजिमेंट को भागने पर मजबूर कर दिया था। इस लड़ाई में जीत हासिल करने पर मेजर कुलदीप सिंह को महावीर चक्र से नवाजा गया था। इसके अलावा उनकी टुकड़ी को छह और गैलेंट्री अवार्ड से नवाजा गया था।

पूरी रात दुश्मन को रोककर रखा

लोंगेवाला पोस्ट की लड़ाई को याद करते हुए उन्होंने कहा कि टी 35 टैंकों के साथ आये पाकिस्तान के सैकडों जवानों को रोककर रखने और लोंगेवाला से आगे नहीं बढ़ने देने में मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े जवानों की सर्वाधिक प्रशंसनीय भूमिका रही। मौत सामने देखकर भी पांव पीछे नहीं खींचने वाले इन जवानों की बहादुरी की वजह से ही दुश्मन को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि एक सैनिक के तौर पर मैं उन जवानों को ही इस जीत का श्रेय देना चाहूंगा। फिल्मकार जे पी दत्ता की 1997 में आई हिट फिल्म 'बार्डर' लोंगेवाला की लड़ाई पर ही बनी थी जिसमें सनी देओल ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का किरदार निभाया था।

भारतीय वायुसेना को सलाम

उन्होंने बताया कि 'हमारे पास टैंक नहीं थे, हम चारों तरफ से घिरे थे। सर्द रात भयावह लंबी लग रही थी। हम दिन चढ़ने की प्रार्थना कर रहे थे ताकि वायु सेना के विमान आ सकें।' अंतत: वायुसेना के लडाकू विमानों ने आकर दुश्मन के कई टैंकों को तबाह कर दिया और लोंगेवाला के रास्ते राजस्थान के अंदर तक आने और यहां बड़े हिस्से पर कब्जा करने की पड़ोसी देश की साजिश नाकाम हो गयी। मेजर चांदपुरी ने कहा, 'भारतीय वायुसेना को मेरा सलाम। उनकी अपनी समस्याएं और सीमाएं थीं लेकिन उनके आते ही पाकिस्तान के टैंक तबाह हो गये।'

इसलिए भी खास थी यह लड़ाई

5-6 दिसंबर की रात लड़ी गई यह लड़ाई इसलिए भी बेहद खास थी क्योंकि दुश्मन का इरादा न सिर्फ जैलसमेर जीतना था बल्कि वह जोधपुर और फिर दिल्ली पर कब्जा करना चाहता था। ऐसे में यदि इस पोस्ट को छोड़कर भारतीय फौज पीछे हट जाती तो दुश्मन के लिए आगे बढ़ने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो जाता। इस जीत के नायक रहे मेजर और बाद में ब्रिगेडियर के पद से रिटायर हुए कुलदीप सिंह चांदपुरी चंडीगढ़ में रहते हैं।

Updated : 6 Dec 2017 12:00 AM GMT
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