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सेना की ताकत बनेगा स्वदेशी रॉकेट ‘पिनाक’

सेना की ताकत बनेगा  स्वदेशी रॉकेट ‘पिनाक’
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नई दिल्ली। बरसों के परीक्षण और उतार-चढ़ाव के बाद देश का पहला स्वदेशी रॉकेट पिनाक मार्क-1 सेना की हर परीक्षा में खरा उतरा है। 28-29 नवंबर को पोखरण में हुए अंतिम परीक्षण में अद्वितीय प्रदर्शन के बाद सेना ने इसे अपने बेड़े में शामिल करने को मंजूरी दे दी। इस सफलता से कानपुर आर्डिनेंस फैक्ट्री (ओएफसी) और डीआरडीओ में जश्न का माहौल है। ओएफसी को इस वित्त वर्ष मार्च तक 800 रॉकेट सेना के बेड़े में पहुंचाने हैं। साथ ही अगले वर्ष 2,500 पिनाक देने का आर्डर मिला है, जिसे बढ़ाकर 5,000 भी किया जा सकता है। परीक्षण वैज्ञानियों के लिए चुनौती था दो साल पहले परीक्षण में फेल होने के बाद पिनाक को नए सिरे से तैयार करना वैज्ञानिकों के लिए चुनौती था। लगातार बदलाव के बाद नई पिनाक का इटारसी में स्टेटिक फायरिंग टेस्ट हुआ, जिसमें सफलता हासिल हुई। 28 और 29 नवंबर को पोखरण में डायनमिक प्रूफ फायरिंग टेस्ट किया गया, जिसमें भी पिनाक खरा उतरा।

रिसर्च टीम और सैन्य अधिकारी उस समय खुशी से उछल पड़े जब उन्होंने देखा कि एक्यूरेसी टेस्ट में 1.5 मीटर के बजाय पिनाक की एक्यूरेसी .6 मीटर ही थी। इसी के साथ देश के पहले स्वदेशी राकेट की राह की सारी रुकावटें खत्म हो गईं हैं।

अमेरिका, रूस और चीन की बराबरी

आर्डिनेंस फैक्ट्री कानपुर के संयुक्त महाप्रबंधक सुभाष चंद्रा के मुताबिक अभी तक पिनाक की टक्कर के रॉकेट बनाने की टेक्नोलॉजी अमेरिका, रूस और चीन जैसे दिग्गजों के पास ही थी। अब भारत भी इस फेहरिस्त में शामिल हो गया है। पिनाक सियाचीन के ग्लेशियर से लेकर राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी तक में फायर करने में सक्षम है। चूंकि सीमा पर 40 किलोमीटर तक ही मार करने की जरूरत सबसे ज्यादा होती है, इसलिए सेना पिनाक की लंबे समय से मांग कर रही थी।

Updated : 6 Dec 2017 12:00 AM GMT
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