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मप्र को मिल सकता है ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा

मप्र को मिल सकता है ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा
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भोपाल। एक दशक बाद मध्य प्रदेश ‘टाइगर स्टेट’ का तमगा पाने की स्थिति में आ गया है। प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों (नेशनल पार्क एवं अभयारण्य) से मिले संकेतों के आधार पर वन अधिकारी दावा कर रहे हैं कि इसी माह से देशभर में शुरू हो रही बाघों की गिनती में प्रदेश पहला नंबर ला सकता है, क्योंकि पिछले चार सालों में संरक्षित क्षेत्रों में 75 से ज्यादा बाघ बढ़े हैं। वर्ष 2014 में कराई गई गिनती में प्रदेश में 308 बाघ थे, जबकि कर्नाटक 406 बाघों के साथ पहले स्थान पर था।

वर्ष 2002 की गणना में प्रदेश में 700 से ज्यादा बाघ थे। दिसंबर 2017 से फरवरी 2018 तक देशभर में तीन चरणों में बाघों की गिनती होगी। प्रदेश में जनवरी में कैमरा ट्रेप पद्धति और फरवरी में बाघों के पगमार्क लेकर गिनती की जाएगी। इस गिनती का परिणाम साल के अंत तक आएंगे, लेकिन अफसर पहले से आश्वस्त हैं कि इस बार उनकी स्थिति बेहतर है, क्योंकि इस बार मैदानी अमले को गिनती की सही से ट्रेनिंग दी गई है। इस कारण अफसरों को बाघों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है।

सात जोन में बंटा क्षेत्र

बाघों की गिनती के लिए प्रदेश को सात जोन में बांटा गया है। हर जोन में अफसर और कर्मचारियों को गिनती की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। वे तय तारीखों में टीम के साथ अपने क्षेत्र में बाघों की उपस्थिति के प्रमाण तलाशेंगे। ये रिकॉर्ड प्रदेश स्तर पर एकजाई कर डब्ल्यूआईआई देहरादून को भेजा जाएगा। वहां पगमार्क और फोटो का मिलान कर अनुमानित आंकड़े जारी किए जाएंगे।

एक बार फिर होगी ट्रेनिंग

बाघों की गिनती सही तरीके से करने की ट्रेनिंग प्रदेश के वन कर्मचारियों को एक बार दी जा चुकी है। अब गिनती शुरू होने से पहले दूसरे चरण की ट्रेनिंग होगी। वाइल्ड लाइफ मुख्यालय फिलहाल इसी की तैयारी में जुटा है।

तैयारी में जुटे

बाघों की गिनती का कार्यक्रम घोषित हो गया है। हम उसी की तैयारी में जुटे हैं। इस बार हम अच्छी स्थिति में हैं।

Updated : 7 Dec 2017 12:00 AM GMT
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