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एलोपैथी की तरह आयुर्वेद की जेनेरिक दवाएं भी बाजार में

भोपाल। सरकार ने राजधानी के हमीदिया और जयप्रकाश सहित प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक, कम्पाउंडर और नर्सिंग स्टाफ को लिपिकीय कार्य से मुक्त करने की तैयारी कर ली है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि चिकित्सकों को 'नॉन कोर सर्विस से हटाने से मरीजों को बेहतर सेवा मिलेगी। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया में पिछले दिनों सीएम शिवराज सिंह चौहान को आकस्मिक दौरे में ढेरों खामियां मिली थीं। इसके बाद से अस्पतालों की सेवाएं सुधारने का दौर शुरू हुआ है। बड़े अस्पतालों में तीन से पांच और छोटे में एक या दो चिकित्सक नॉन कोर सेवाओं में लगाए जाते हैं। इनका मरीजों से सीधा संवाद नहीं होता। हालांकि इनमें से ज्यादातर लिपिकों का सुपरविजन ही करते हैं।

सिलसिलेवार कम किए जाएंगे दायित्व: अस्पतालों में लंबे समय से लिपिकीय कार्य में लगे चिकित्सक, कम्पाउंडर और नर्सों से एक-एक कर काम हटाए जाएंगे।

अधिकारियों का मानना है कि अस्पताल के लिए योजनाएं बनाने, दवाओं और उपकरणों का मेजरमेंट तैयार करने और निविदा प्रक्रिया में इनका सबसे ज्यादा समय जाता है। ये काम साल में दो से तीन बार होते हैं और 12 महीने तैयारी चलती है। इसलिए इस काम में लगे चिकित्सक मरीजों से रूबरू नहीं हो पाते।
जरूरत पड़ने पर होगी भर्ती

नॉन कोर सेवा से चिकित्सक, कम्पाउंडर और नर्सों को हटाकर ये जिम्मेदारी लिपिकीय संवर्ग के कर्मचारियों को सौंपी जाएगी। सूत्र बताते हैं कि जरूरत पड़ने पर इसके लिए लिपिकों की भर्ती भी की जाएगी।

Updated : 19 March 2017 12:00 AM GMT
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