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"इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे" पर अल्पविराम कार्यक्रम सम्पन्न

भोपाल। मध्यप्रदेश के सभी जिला कल्केट्रेट कार्यालय में सोमवार "इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे" के अवसर अल्पविराम कार्यक्रम आयोजित किए गए। भोपाल में कलेक्टर निशांत वरवड़े के साथ कलेक्ट्रेट के अधिकारी-कर्मचारियों के लिये किया गया। वहीं, ग्वालियर के कार्यक्रम में आनंदम सहयोगी डॉ. सत्यप्रकाश शर्मा और एके वशिष्ठ ने अल्पविराम की अवधारणा के बारे में विस्तार से बतलाया। आनंदम सहयोगी डॉ. सत्यप्रकाश शर्मा ने कहा कि इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे के अवसर पर मध्यप्रदेश राज्य आनंद संस्थान के तत्वावधान में प्रत्येक जिले में अल्पविराम कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों को आनंदम कार्यक्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है।

डॉ. शर्मा ने बताया कि अल्पविराम वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य को करने या निर्णय लेने से पूर्व उस विषय में गंभीरता से सोचता और समझता है जिसमें उसके द्वारा किए जा रहे कार्य के परिणाम और उसके प्रभाव को महसूस करता है। इस प्रक्रिया को अपनाने के उपरांत सामान्य परिप्रेक्ष्य में किसी भी व्यक्ति से कोई गलत निर्णय होने की संभावना कम होती हैं और व्यक्ति अपनी अंतरआत्मा की आवाज को सुन सकता है। कार्यक्रम के दौरान डॉ. सत्यप्रकाश ने आनंद प्राप्ति के लिये अपनाए जाने वाले विधियों और टूल्स के बारे में भी बतलाया। अलिराजपुर में विश्व आनंदम दिवस के अवसर पर अल्प विराम कार्यक्रम कलेक्टर गणेश शंकर मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। कलेक्टर ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कहा कि अधिकारियों-कर्मचारियों के व्यवहार और विचारों को अधिक सकारत्मक करने के लिए अल्प विराम कार्यक्रम आयोजित किया गया है। कलेक्टर के निर्देशानुसार सभी कार्यालयों में शाम 4 से 5 बजे एक घन्टा अल्प विराम रखा गया।

नरसिंहपुर में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस मनाया गया। आनंद विभाग के अंतर्गत आयोजित हुए कार्यक्रम में मास्टर ट्रेनर आनंदक सुनील कोठारी और संजय चौबे ने आनंद की अवधारणा से अधिकारियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आनंद एक अनुभूति है, जो दूसरों की निस्वार्थ भाव से सहायता करने से होती है। कार्यक्रम में अधिकारियों को चिंतन- मनन के लिए अल्पविराम की विधि का अभ्यास भी कराया गया। अल्पविराम का आशय है कि स्वयं के बारे में जानना, अपने कार्य के बारे में विचार करना और अपनी कमियों, गल्तियों को स्वीकार करना व इनमें सुधार करना। यदि व्यक्ति अपनी गल्तियों के लिए माफी मांगना और दूसरी की गल्तियों के लिए माफ करना सीख जाए तो उसका जीवन सरल और आनंदमय हो जायेगा। प्रत्येक दिन प्रयास किया जाये कि कम से कम तीन व्यक्तियों की सहायता की जाये। हम यह भी कह सकते हैं कि अपने कार्यों से किन्ही तीन व्यक्तियों के चेहरे पर प्रसन्नता लाई जाये। इसी प्रकार प्रदेश के अन्य सभी जिला मुख्यालयों में यह कार्यक्रम आयोजित किए गए।

Updated : 21 March 2017 12:00 AM GMT
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