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निजी विद्यालयों की मनमानी रोक ने हेतु दिया ज्ञापन

झांसी। नवीन सत्र पहली अप्रैल 2017 से प्रारम्भ होने जा रहा है निजी स्कूल अपने अपने स्तर से अपने विद्यालयों की फीस में मनमानी वृद्धि को रोका जाना आवश्यक है।

शिक्षा के नियमों के विपरीत निजी स्कूलों के छात्र छात्राओं को पुस्तक माफिया से मिलकर मनमाना कमीशन लेकर एक ही दुकान से स्कूल की पाठ्य पुस्तकें खरीदनें के लिए मजबूर किया जाता है। कोई भी स्कूल विद्यार्थियों से तीन माह की अग्रिम फीस जमा नहीं करा सकता। लेकिन कोई स्कूल त्रेमासिक फीस वसूल कर नियम तोड़ रहे हैं। यदि कोई अभिभावक अपनी आर्थिक परिस्थिति के कारण किसी माह की फीस जमा नहीं कर पाता है। तो उससे अगले माह या कुछ दिन बाद भी फीस वसूलने के साथ साथ विलम्ब शुल्क ले लिया जाता है। जबकि त्रैमासिक फीस लेने पर किसी प्रकार की छूट नहंीं दी जाती है। मानक के तहत कक्षा के अनुरूप छात्रांकन न रखने के कारण उच्च गुणवत्ता प्रदान नहीं कर पा रहे हैं।

प्राइवेट स्कूलो द्वारा छात्र छात्राओं से मनमानी फीस लेने के बाबजूूद भी, जो गाइड, लाइन सरकार द्वारा लागू की गयी है। उसका पालन नहीं किया जा रहा है। आये दिन विवाह एवं धार्मिक आयोजन हेतु विद्यालय परिसर किराये पर दिये जाते रहे हैं। और साथ साथ विलम्ब शुल्क ले लिया जाता है। सुबह विदा आदि के समय डीजे एवं ढोल बजते रहते और बच्चों की कक्षायें चलती रहती हैं। जिससे निश्चित रूप से छात्र छात्राओं को अध्ययन में बाधा उत्पन्न होती होगी। छात्र छात्राओं से प्रयोगात्मक परीक्षाओं के समय अवैध रूप से धनराशि की वसूली की जाती है। निजी विद्यालयों में अभिभावक संघ का गठन अनिवार्य रूप से किया जाना आवश्यक है। किन्तु विद्यालयों में अभिभावक संघ का गठन नहीं किया गया है। शिक्षा माफियाओं की मनमानी रोक ने के लिए माननीय न्यायालय के आदेश के अनुपालन में प्रत्येक जिले में शिक्षा अनुश्रवण समिति का गठन किया गया है। उक्त समस्याओं का निस्तारण करने की मांग की गयी है।

Updated : 28 March 2017 12:00 AM GMT
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