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दूध को तरसे मासूम बच्चे और मरीज

शहर में 60 से 80 रुपए प्रति लीटर बिका दूध

भोपाल/जबलपुर। डेयरी से घर तक दूध पहुंचाने वाले फुटकर विक्रेताओं ने बुधवार को हड़ताल कर लोगों को दूध की उपयोगिता समझाई। इन विक्रेताओं की मांग है कि अगर जिला प्रशासन ने दूध का दाम 44 रु. तय किया है तो उन्हें कमीशन के रूप में चार रुपए मिलने चाहिए। डेयरी वालों के अलावा दूध बुधवार को कहीं भी उपलब्ध नहीं था। आलम यह रहा कि कुछ दूध विक्रय केन्द्र में 60 से 80 रुपए लीटर दूध ब्लैक में बेचा गया। साइकिल और मोटर साइकिल से दूध घर-घर बेचने वाले ज्यादातर परियट और गौर के आसपास जमे रहे। लोग की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित रही। कईयों के घर चाय नहीं बन पाई तो कई लोग बिना नाश्ता के ही कार्यालयों में चले गए। दोपहर चाय तक जिन होटल या चाय ठेले के पास दूध रहा। उन्होंने लोगों की चाय की तलब पूरी की।

सांची बूथों पर लगा रहा जमावड़ा
दुग्ध संघ जबलपुर ने शहर के अनेक इलाकों में मिल्क बूथ के रखे हैं। इनके जरिए सांची दूध एवं अन्य उत्पाद बेचा जाता है। बुधवार को इन मिल्क बूथ ने लोगों का बहुत साथ दिया। सुबह से ही सांची बूथ पर दूध के पाउच धड़ल्ले से बिकने लगे। हालांकि कई बूथों का माल जल्दी खत्म हो गया था। चूंकि जबलपुर दुग्ध सहकारी संघ भी आज की हड़ताल के लिए तैयार नहीं था। इसलिए मांग के विरुद्ध आपूर्ति कम पड़ गई। जिला प्रशासन ने बहुत कोशिश की मगर दोपहर तक मिल्क बूथ सन्नाटे में डूब गए।

इस संबंध में जिलाधीश महेश चंद्र चौधरी का कहना है कि दुग्ध आवश्यक वस्तु की श्रेणी में आता है। दूध विक्रेताओं की हड़ताल पूरी तरह से अवैध है। उनके खिलाफ राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। जिला प्रशासन की ओर से शहरवासियों को दूध की आपूर्ति उपलब्ध कराने हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने शहरवासियों से आव्हान किया है कि वह सांची का पैक दूध खरीदें जो पूर्णत: शुद्ध व पौष्टिक रहता है। डेयरी के दूध में मिलावट की संभावना रहती है। इतना ही नहीं जिला प्रशासन की कार्यवाही के दौरान डेयरियों से प्रतिबंधित आॅक्सीटोसिन के इंजेक्शन भी मिलें थे। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार जिन डेरी संचालकों ने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से एनओसी तथा नगर निगम से लायसेंस नहीं लिया है,तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अवैध रूप से संचालित डेयरियों को 31 मार्च के बाद प्रशासन द्वारा बलपूर्वक हटाया जायेगा।

जगह-जगह पुलिस की नाकेबंदी
छोटे दूध विक्रेता की हड़ताल के मद्देनजर पुलिस शहर के बाहर और अंदर भी सक्रिय नजर आई। किसी प्रकार का कोई विवाद न हो इसीलिए कुछ पुलिस अधिकारी परियट और अन्य स्थानों पर सुबह से ही पहुंच गये थे। इसी तरह बहुत सारे दूधवालों ने अपने केन वगैरह लाकर सड़क पर रख दिए थे।

कारोबार रहा प्रभावित
बड़े फुहारे में चाय की दुकान लगाने वाले प्रदीप जैन कहते हैं कि दूध की उपलब्धता न होने के कारण उन्हें अपनी दुकान बंद रखनी पड़ी। दूध विक्रेता की हड़ताल के कारण उसका कारोबार प्रभावित रहा। लोगों को अपनी थकान मिटाने के लिए काली चाय पीनी पड़ी।

Updated : 30 March 2017 12:00 AM GMT
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