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ज्ञान “अप्लाय” कीजिए “ सप्लाय” नहीं : अर्चना

ज्ञान “अप्लाय” कीजिए “ सप्लाय” नहीं : अर्चना
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*नवीन सविता

अर्चना शर्मा, आज विश्व विख्यात संस्था आर्ट ऑफ़ लिविंग की एक प्रतिष्ठित शिक्षिका है। आप उनसे मिलेंगे तो प्रथम दृष्टया आपको लगेगा कि उनकी उम्र काफी कम है, पर जब आप उनसे बातचीत करेंगे, तो उनका अनुभव, बातचीत की गहराई यह दर्शाएगी कि वे अपनी वास्तविक उम्र से कहीं अधिक परिपक्व गंभीर सहज सरल हैं। यह अदभुत संतुलन उनकी जीवनशैली का ही संभवतः एक हिस्सा है। यही कारण है की जहाँ घर में वह आदर्श पत्नी, वात्सल्य से पूर्ण माँ एवं आज्ञाकारी बहू हैं। वहीँ अपने सामाजिक क्षेत्र में आज वह एक प्रेरणा भी हैं। स्वदेश न्यूज़ से बात चीत में श्रीमति अर्चना शर्मा ने कहा की जीवन का सार एक ही है और यह मैं नहीं कह रहीं हूं, यह भारत का मूल चिंतन हैं। जिसे श्री श्री रविशंकर ने विश्व को दिया हैं. श्री मति अर्चना ने बेहद अनोखे अंदाज़ में एक बात कही- वे कहती है की ज्ञान “सप्लाय” के लिए नहीं है “अप्लाय” के लिए है अपनी बात को वे बेहद नपे तुले स्वरों में स्पष्ट करती है वे कहती हैं कि आज हर कहीं अनुभव में आता है लोग अच्छी बातें, दर्शन की बातें दूसरों को बताते है वह भी अच्छा है पर इस “सप्लाय” को स्वयं “अप्लाय” भी करना चाहिए। गायत्री परिवार की तरह हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा। श्रीमति शर्मा ने कहा की आर्ट ऑफ़ लिविंग सही अर्थों में जीने की एक राह है इसमें ध्यान भी है इसमें संगीत भी है और मस्ती भी. श्री मति अर्चना जी ने बताया की वो ग्वालियर सहित देश के कई हिस्सों में आर्ट ऑफ़ लिविंग के लगभग 80 – 85 प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षण दे चुकीं श्रीमति अर्चना जी ने कहा की वे बच्चों को प्रशिक्षण देती हैं साथ ही व्यावसायिक वर्ग के व्यवसायिओं और बुजुर्गो को भी।

परिवार और सामाजिक कार्य के बीच के संतुलन किस प्रकार के सवाल पर श्रीमती अर्चना जी ने कहा जब आप एक अच्छे कार्य के लिए कदम बढ़ाते हैं तो ईश्वर मदद करता है। आपने कहा कि जब बच्चे छोटे थे तब थोड़ी दिक्कत आई पर परिवार का विशेषकर पति ने पूरा सहयोग दिया जिसके कारण मैं यह सब कर पाई।

राजनीती विज्ञान में स्नातकोत्तर श्रीमती अर्चना से जब यह पूछा गया की आपने अपने लिए करियर क्यूँ नहीं चुना, नौकरी क्यों नहीं की, इसका सवाल आपने बेहद नम्रता से दिया। श्रीमती अर्चना शर्मा कहती हैं बचपन से मेरे मन में समाज के लिए कुछ करने की इच्छा थी आर्ट ऑफ़ लिविंग से मुझे मेरे भाई ने जोड़ा और आज वे प्रसन्न हैं। आपने कहा कि प्रसन्नता, ख़ुशी, आनंद बाहर नहीं हैं, यह मेरा अपना अनुभव है जीवन में नकारात्मकता आपको हर छण तोडती है और मेरा प्रयास रहता है कि में हर क्षण सकारत्मकता भाव से जीऊँ । श्रीमती शर्मा ने कहा की वे मानती है कि जीवन में एक गुरु होना ही चाहिए श्री श्री के सानिध्य में प्रशिक्षण ले चुकी श्रीमती शर्मा ने कहा कि श्री श्री रविशंकर जी हमें यही बताते है कि एक आस्था का केंद्र होना चाहिए। जहाँ आप अपना सर्वस्व समर्पित कर सकें तभी आपका व्यक्तित्व निखर कर आएगा और आप समाज को कुछ दे सकोगे।

श्रीमति शर्मा ने कहा की उनके अपने परिवार में भी आर्ट ऑफ़ लिविंग है, एक बेटा और एक बेटी है, मुंबई आईआईटी से बेटा राहुल शर्मा एम. टेक कर रहा है और बेटी ऋचा शर्मा ग्वालियर में एम.ए कर रही है, उनके पति जो शिक्षा विभाग में अधिकारी हैं आर्ट ऑफ़ लिविंग का प्रशिक्षण ले चुके हैं। यह प्रशिक्षण यक़ीनन घर में भी एक सकारात्मक वातावरण की निर्मिती करता हैं इसका अनुभव शब्दों में नहीं बताया जा सकता।

भविष्य की योजनाओं पर श्रीमती शर्मा ने कहा आर्ट ऑफ़ लिविंग आज वर्तमान में जीने की सीख देता हैं, बाकी ईश्वर मुझसे और बेहतर कार्य कराए मैं सहज समाधि का ( आर्ट ऑफ़ लिविंग का एक प्रशिक्षण) भी प्रशिक्षण दे सकूं इसकी इच्छा हैं।


Updated : 31 March 2017 12:00 AM GMT
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