मैं कौन हूँ ?
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कभी कुछ दबा सा था मैं,
हवाओं से भी डरा था मैं,
आत्मविश्वास की कुछ कमी से,
अपनें में ही बँधा था मैं।
न मैं किसी से कुछ कहता,
मन ही मन रोता और सहता,
भीड़ में भटका हुआ था मैं,
खुद को ही खोजता रहता ।
भूल - भूलैया जैसा मन था,
रास्ता ज़रा भी न कम था,
बस इक तलाश न पता किसकी ,
मैं सारथी या फिर रथ था ।
आत्म ज्ञान का पृष्ठ दिखा तब,
पथ प्रदर्शित कोई था न जब,
"मैं कौन हूँ ?" की खोज थी वो बस,
उपहार थी हीरे सी दमक अब ।
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लेखक - सत्यम् अग्रवाल
Updated : 5 March 2017 12:00 AM GMT
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