विश्व धरोहर दिवस पर लुप्त हो चली असि नदी का दुग्धाभिषेक, चढ़ी आरपार की माला
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वाराणसी। विश्व धरोहर दिवस पर मंगलवार को धर्म नगरी वाराणसी के प्रमुख धरोहरों को संरक्षित करने और इसको लेकर आमजन में जागरूकता अभियान चलाने का संकल्प युवाओं ने लिया। इस क्रम में जागृति फाउण्डेशन की ओर से अस्सी लंका रोड स्थित सहोदर बीर बाबा पुल के निकट असि नदी का दुग्धाभिषेक कर और नदी में आर-पार की माला चढ़ा कर इसे बचाने का संकल्प लिया गया। अस्सी डुमरावबाग स्थित काशी सुमेरूपीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती के मुख्य आतिथ्य में असि नदी में दुग्धाभिषेक किया गया। इस मौके पर शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि काशी की पहचान असि नदी जिसका वर्णन शिव पुराण, काशी पुराण, काश्ाी महात्म्य वर्णन है। वह आज विलुप्त होने के कगार पर है। इस स्थिति और नदी के दुर्दशा के लिए हम सब जिम्मेदार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग किया कि गंगा के साथ-साथ असि व वरूणा में भी स्वच्छता निर्मलता अभियान शुरू कराये। इस दौरान स्वामी जी ने नागरिकों से अपील किया कि लुप्त हो रही नदी को बचाने के लिए आगे आये। आये हुए अतिथियों का स्वागत फाउण्डेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने किया।
सारनाथ पुरातात्विक खंडहर परिसर में उमड़ी भीड़
विश्व धरोहर दिवस पर ही भगवान बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां स्थित पुरातात्विक खंडहर परिसर को देखने के लिए बच्चों और छात्रो में जबरदस्त उत्साह रहा। वर्ष में एक दिन आज यहां पुरातात्विक खंडहर परिसर में शुल्क आगंतुकों से नहीं लिया गया। इस दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से स्मारक व प्राचीन धरोहरों के संरक्षण के लिए आने वाले स्कूली बच्चों को जागरूक भी किया गया। वरिष्ठ संरक्षण सहायक पीके त्रिपाठी ने बच्चों को सारनाथ के प्राचीन धरोहरों की जानकारी विस्तार से दी। यहां घुमने आये लोगों ने ऐतिहासिक-पुरातात्विक महत्व के अवशेषों और धरोहरों के साथ धमेख स्तूप भी देखा।
बतादें, पूरे वर्ष में एक दिन विश्व धरोहर दिवस पर सारनाथ स्थित संग्रहालय में प्रवेश नि:शुल्क रहता है। देसी-विदेशी सैलानियों से कोई टिकट नहीं लिया जाता। सामान्य दिनों में म्यूजियम में भारतीय सैलानियों से पांच और खंडहर में 15 रुपये शुल्क लिया जाता हैं। वहीं विदेशी सैलानियों से खंडहर में 100 और म्यूजियम में पांच रुपये लिए शुल्क लिया जाता है।