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जीवित है जवाहर बाग कांडका खलनायक रामवृक्ष

आखिर कहां छिपा है खूनी संघर्ष का नायक
मथुरा। जवाहर बाग नरसंहार के लिये जिम्मेदार रामवृक्ष यादव के जीवित होने का खुलासा उसके बेटे डीएनए मैच न होने से हो गया है। इस खुलासे से पुलिस के दावे की पोल खुलने के साथ ही कई सवाल खड़े हो गये हैं कि आखिर जवाहर बाग हिंसा का मास्टर माइंड कहां छिपा है।

बहुचर्चित जवाहर बाग कांड में सोमवार को नया मोड़ आ गया है। न्यायालय के आदेश पर हुई डीएनए जांच में रामवृक्ष के बेटे का डीएनए मैच नहीं हुआ है। इससे रामवृक्ष यादव का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है। 2 जून की हिंसा का सूत्रधार व कथित सत्याग्रहियों का नेता रामवृक्ष यादव के मारे जाने की गुत्थी उलझ गई है।

बताते चलें कि करीब दो साल तक जवाहर बाग में जमे कथित सत्याग्रहियों को हटाने के दौरान एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी व एसओ फरह संतोष यादव सहित 29 लोगों की मौत हुई थी। पुलिस रिपोर्ट में कथित सत्याग्रहियों के स्वयंभू नेता रामवृक्ष यादव के मारे जाने की पुष्टि की थी। जिस लाश को पुलिस रामवृक्ष यादव का होना बता रही थी, उसकी शिनाख्त कर पाना मुश्किल था। रामवृक्ष यादव की मौत की पुष्टि के लिए हो-हल्ला भी मचा।
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने हाईकोर्ट में याचिका डाली। न्यायालय ने रामवृक्ष यादव के वैज्ञानिक साक्ष्य के लिए उसके बेटों की डीएनए जांच कराने के आदेश कर दिए। रामवृक्ष यादव के बेटे राजनारायण ने कुछ माह पहले कोर्ट ने समर्पण किया, जिसके बाद उसका डीएनए टेस्ट को लिया गया। जांच के लिए यह सैंपल हैदराबाद की एफएसएल लैबोरेटरी भेजा गया था। एफएसएल हैदराबाद की रिपोर्ट ने भूचाल ला दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक कथित शव रामवृक्ष यादव का नहीं था, जांच में बेटे राजनारायण का डीएनए मैच नहीं हुआ है। इस रिपोर्ट के बाद पुलिस के उन दावों को भी धक्का लगा है जिनमें रामवृक्ष यादव के मारे जाने की पुष्टि की थी। यह जांच रिपोर्ट सीबीआई को सौंपी जा रही है।

रामवृक्ष के जीवित होने की पुष्टि से तरह-तरह के सवाल खड़े हो गये हैं। अगर कथित शव रामवृक्ष यादव का नहीं था, तो रामवृक्ष यादव का क्या हुआ? कुछ लोगों का कहना है कि हिंसा होते ही वह पीछे वाले रास्ते से भाग निकला था। इन चर्चाओं की डीएनए रिपोर्ट से पुष्टि हो गयी। माना जा रहा है कि रामवृक्ष यादव अपने कमांडर वीरेश यादव, राकेश यादव व चंदन बोस के साथ भाग निकला था। सवाल यह है कि पुलिस की नाक में नकेल डालने वाला छरहरे बदन का वृद्ध कहां छिपा है तथा आगे क्या करने वाला है?

यह है जवाहर बाग कांड का पूरा मामला
मथुरा। 2 जून 2016 में जवाहर बाग में अवैध रूप से डेरा डाले लोगों से पार्क को खाली कराने में 2 पुलिस अफसरों सहित 29 से ज्यादा लोग मारे गए थे। रामवृक्ष यादव इस मामले का मास्टरमाइंड था। उसकी अगुवाई में ही 15 मार्च 2014 से तकरीबन 200 लोगों ने यहां डेरा जमाया था जिनकी संख्या दो वर्ष में हजारों तक पहुंच गयी।

प्रशासन से रामवृक्ष ने यहां रहने के लिए 2 दिन की इजाजत ली थी, लेकिन वो यहां से नहीं हटा था। इसके बाद 270 एकड़ क्षेत्र में फैले पार्क पर उसके सहयोगियों ने कब्जा जमा लिया था। धीरे-धीरे पार्क में आटा चक्की मिल, राशन की दुकानें, सब्जी मंडी और ब्यूटी पार्लर तक खुल गया। अधिवक्ता विजयपाल तोमर ने इसके विरुद्ध पिटीशन इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया तो कोर्ट ने पार्क को खाली कराने का आदेश दिया। जब 2 जून 2016 को पुलिसफोर्स जवाहरबाग को खाली कराने पहुंची तो रामवृक्ष के नेतृत्व में अतिक्रमणकारियों ने पुलिसवालों पर हमला बोल दिया।

इस हमले में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष कुमार यादव शहीद हुए थे। उस समय पुलिस अफसरों ने इस हिंसक झड़प में रामवृक्ष की मौत का दावा किया गया था।

सीबीआई से जांच कराने की उठी थी मांग
एसपी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना और भाई प्रफुल्ल ने मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की एक बेंच ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया।

हाईकोर्ट ने कहा, ये मसला बहुत गंभीर है। इसमें पुलिसकर्मियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी। मामले में तेजी और स्वतंत्र रूप से जांच हो, ताकि दोषियों को सजा मिल सके।

क्या सीखचों में पहुंचेगा रामवृक्ष?
मथुरा। जवाहर बाग पर कब्जा जमाने वाले कथित सत्याग्रहियों ने रामवृक्ष के जीवित होने की पुष्टि होने से सरगना से यह चर्चा आम हो गयी है कि क्या सीबीआई उसे गिरफ्तार कर सीखचों तक पहुंचा पायेगी?

जवाहर बाग काण्ड की जांच कर रही सीबीआई टीम के समक्ष रामवृक्ष को तलाश करने की चुनौती और खड़ी हो गयी है। अब देखना यह होगा कि इस मामले को लेकर सीबीआई टीम का अगला कदम क्या होगा?

Updated : 18 April 2017 12:00 AM GMT
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