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पंचायत राज व्यवस्था के सशक्तिकरण में अंतरिक्ष विज्ञान की अहम भूमिका

अभिशासन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका'' पर अधिवेशन में इसरो चेयरमैन

भोपाल ब्यूरो। मध्यप्रदेश का स्थान देश के उन कुछ राज्यों में है, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने में अग्रणी हैं। अंतरिक्ष विभाग (इसरो) ने यहां अपना सुदूर संवेदन उपयोग केन्द्र स्थापित किया है। केन्द्र ने प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों की सूचना सम्पदा को जुटाने की दिशा में प्रशंसनीय काम किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमेन और अंतरिक्ष विज्ञान विभाग, भारत सरकार के सचिव डॉ. एएस किरण कुमार ने यह बातें 'अभिशासन और विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित साधनों एवं अनुप्रयोगों का संवर्धन'' पर राज्य अधिवेशन में कही।

डॉ. किरण कुमार ने कहा कि मध्यप्रदेश में पंचायत राज व्यवस्था के सशक्तीकरण के लिये जियोस्पेशियल टेक्नालॉजी, 'नाविक' उपग्रहों और जीपीएस तकनीक का उपयोग हो रहा है। पंचायत राज व्यवस्था के सशक्तीकरण में अंतरिक्ष आधारित साधनों की भूमिका दिखायी दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का पहला देश है, जिसने मंगल की कक्षा में पहले ही प्रयास में अपना यान सफलता से स्थापित कर दिया। 'इसरो' ने बीते वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के विभिन्न उपयोगों का लाभ समाज तक पहुंचाने और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्म-निर्भर होने की दिशा में योगदान किया है। डॉ. किरण कुमार ने कहा कि सुदूर संवेदन और 'नाविक' उपग्रहों ने प्राकृतिक संसाधनों के मानचित्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंतरिक्ष विभाग के 'सिस-डिप' प्रोजेक्ट की चर्चा करते हुए कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान ने प्राकृतिक आपदाओं के नियंत्रण और देश के सामाजिक उत्थान में प्रशंसनीय योगदान किया है। उन्होंने मप्र में भुवन-पंचायत मोबाइल एप से परि-सम्पत्तियों के वर्गीकरण की भी चर्चा की। मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने कहा कि अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य अधिकारियों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आधारित साधनों एवं उपयोगों से परिचित करवाना है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में सुशासन और विकास में अंतरिक्ष विज्ञान की बड़ी भूमिका सामने आयी है।

मुख्य सचिव ने कहा कि 'इसरो' ने देश में इस तरह के अधिवेशन के लिये प्रथम समूह में जिन राज्यों को चुना, उनमें मध्यप्रदेश भी है। मध्यप्रदेश के सुदूर संवेदन उपयोग केन्द्र ने प्रदेश की विकासात्मक गतिविधियों की दृष्टि से बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सुदूर संवेदन उपयोग केन्द्र के वैज्ञानिकों ने चन्द्रयान-प्रथम से प्राप्त डाटा और चित्रों का विश्लेषण किया है। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक चन्द्रकांत पाटिल ने कहा कि परिषद के सुदूर संवेदन उपयोग केन्द्र ने 'इसरो' की कई परियोजनाओं पर काम किया है। उन्होंने बताया कि परिषद ने विकेन्द्रीकृत नियोजन के लिये अंतरिक्ष आधारित सूचना समर्थन (सिस-डिप) परियोजना में योगदान किया है। 'इसरो' चेयरमेन डॉ. एएस किरण कुमार और मुख्य सचिव ने प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

Updated : 25 April 2017 12:00 AM GMT
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