अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन में भारत की भागीदारी बढ़ाएंगे राम-कृष्ण
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एक्सलुसिव
-धार्मिक पर्यटन व मेला संस्कृति को संरचना उपलब्ध कराएगी उप्र प्रदेश सरकार
-स्वदेश को दिए साक्षात्कार में पर्यटन मंत्री ने बताईं सरकार की योजनाएं
मधुकर चतुर्वेदी/आगरा। उप्र में पर्यटन के इतने संसाधन उपलब्ध है कि यदि गिना भी जाये तो संख्या खत्म ही न हो लेकिन, बात जब विदेशी पर्यटकों के बारे में बात होती है तो हम अपने आप को काफी पिछड़ा हुआ पाते है। ताजमहल जैसे स्मारक व नदियों के किनारे स्थापित स्थापत्यकला होने के बाद भी अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन में हमारी भागीदारी एक प्रतिशत से भी कम होती है। वर्षो से शासन-प्रशासन की उदासीनता का दंश झेल रहे प्रदेश के पर्यटन व्यवसाय में जान फूंकने की दृष्टि से मुख्यमंत्री महंत आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार नई योजना व नई ऊर्जा के साथ प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को आधार स्तंभ बनाने जा रही है।
विभागीय समीक्षा के लिए आगरा आईं प्रदेश सरकार की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने स्वदेश से विशेष वार्ता में बताया कि सरकार प्रदेश में जो भी धार्मिक स्थल हैं, उन्हें विकसित करने की योजनाओं पर काम कर रही है। चाहे वह श्रीराम की अयोध्या हो या श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा, बौद्ध परिपथ हो। आगरा, गोरखपुर, अवध, वाराणसी, प्रयाग आदि को लेकर हमारी वृहद योजना है। रीता बहुगुणा ने बताया कि अयोध्या, वाराणसी में घाटों के विकास, इलाहाबाद में पडिला महादेव, भारद्वाज आश्रम, लक्षागृह, करछना के कई मंदिरों को विकसित करने की योजना है। खासतौर पर श्रृगवेरपुर से लेकर चित्रकूट तक राम गमन मार्ग के लिए विशेष योजना है। मथुरा में गोवर्धन की परिक्रमा, बरसाना आदि धार्मिक स्थलों को एक सर्किट द्वारा विकसिक कर पर्यटकों को इन स्थलों की जानकारी दी जाएगी। यहां वर्षभर सांस्कृतिक कार्यक्रम कराने की भी योजना है।
पर्यटन के नक्शे पर दिखेगा नगला चंद्रभान
अंन्त्योदय व एकात्ममानव विचारों के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की मथुरा के फरह स्थित जन्मस्थली नगला चंद्रभान को पर्यटन के नक्शे पर प्रदेश सरकार दिखाने जा रही है। रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि विभाग के अधिकारी यहां प्रवास कर योजना को मूर्त रूप दे रहे हैं। पंडित जी के जन्मशताब्दी वर्ष में यह योजना क्रियान्वयित हो जाएगी।
बुंदेलखंड के महोत्सवों पर खास-जोर
रीता बहुगुणा ने बताया कि प्रदेश में मेला संस्कृति पर्यटन को बढ़ावा देने की महत्वपूर्ण कड़ी है और इसमें बुंदेलखंड के महोत्सव व मेलों को सरकार प्रचारित करेगी। क्योंकि बुंदेलखंड का इतिहास बहुत अधिक समृद्ध है।
नागर शैली से जानेंगे प्रदेश की स्थापत्य कला
प्रदेश का शायद ही कोई गांव या महानगर हो जहां हिन्दू स्थापत्य कला के चिन्ह ना मिलें और चिन्ह भी ऐसे ही पत्थरों पर की गई नागर शैली की बारीक कारीगरी व हस्तकमलों को देख पर्यटक दांते तेल उंगली दबाने को मजबूर हो जाए। प्रदेश सरकार मंदिरों के द्वारा प्रदेश में चारो ओर बिखरी स्थापत्य की नागर शैली को भी विश्व पटल पर स्थापित करने जा रही है।
Updated : 30 April 2017 12:00 AM GMT
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