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हमारे मौन से बड़ा क्या कोई धमाका हो सकता है?

हमारे मौन से बड़ा क्या कोई धमाका हो सकता है?
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-कश्मीरी पंडितों की घाटी से दूरी पर आगरा बुक क्लब में चर्चा

पुस्तक की समीक्षा करते पर्यटन व्यवसायी अरूण डंग, लेखक संचित गुप्ता व आगरा बुक क्लब की संस्थापिका व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवानी चतुर्वेदी

आगरा। देश में असहिष्णुता के माहौल का बहाना बनाकर बेशक अवॉर्ड लौटाने की होड़ मची है, लेकिन कश्मीरी पंडितों के दर्द पर कोई बुद्धिजीवी एक आंसू तक नहीं बहाना चाहता। अगर कोई आपको अपने घर से जबरदस्ती बाहर निकाल दे तो आपको गुस्सा आना जायज है। अगर कोई आपको अपमानित करे तो आपका गुस्सा होना लाजिमी है। लेकिन क्या कभी आपने उन लोगों के बारे में सोचा है जिन्हें आज से 27 वर्ष पहले, अपने ही घर से, अपने राज्य से, अपने कश्मीर से डरा धमकाकर बाहर निकाल दिया गया था। कश्मीरी पंडितों के मौन से बड़ा क्या बड़ा धमाका हो सकता है। वेदना से भरी यह बातें साहित्य व कला जगत के प्रतिष्ठित मंच आगरा बुक क्लब की गोष्ठी में विचारकों के मुख से अंकुरित हुईं।

जाने माने लेखक संचित गुप्ता ने अपनी पुस्तक ‘द ट्री विद ए थाउजेंट एप्पल’ पर चर्चा करते हुए बताया कि उक्त पुस्तक तीन कश्मीरी दोस्तों की काल्पनिक कहानी पर आधारित है, जिनमें एक हिंदू है और दो मुस्लिम और 1990 के कश्मीर से हिंदूओं के सामूहिक पलायन के बाद उनकी जिंदगी में किस तरह बदलाव आते हैं।

इस सभी बिन्दुओं को कलमबद्ध किया गया है। 20 साल बाद किस्मत उन्हें एक चैराहे पर ले आती है, जब वे यह नहीं जान पाते कि क्या सही है और क्या गलत। गोष्ठी में आगरा बुक क्लब की संस्थापिका व वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ. शिवानी चतुर्वेदी ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि जिस जगह को स्वर्ग कहा जाता था, वह आज एक युद्धस्थल बन गया। असहिष्णुता का राग अलापने वाले कश्मीरी पंडितों की वेदना पर मौन क्यों हैं?। गोष्ठी में पर्यटन व्यवसायी अरूण डंग, सोनाली खन्डेलवाल, रेखा कपूर, स्वप्ना गुप्ता, रुनु दत्ता, श्रद्धा गर्ग, अनुपमा बोहरा, मोहित महाजन, संचित गुप्ता, श्वेता बंसल की उपस्थिति रही। धन्यवाद पूजा बंसल ने दिया।

Updated : 13 May 2017 12:00 AM GMT
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