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कानपुर में हिन्दुओं का पहला कब्रिस्तान

कानपुर में हिन्दुओं का पहला कब्रिस्तान
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इन्टरनेट डेस्क। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार हिन्दुओं के मृतक शरीर को आग के हवाले किया जाता है। लेकिन यूपी के कानपुर शहर में हिंदुओं के शवों को दफनाया जाता है तो आपको विश्वास नहीं होगा। लेेकिन यह एकदम सही हैं। यह परम्परा आज से नहीं बल्कि 86 साल पुरानी हैं।

कानपुर में हिन्दुओं का पहला कब्रिस्तान 1930 में बना था। इसके पीछे एक कहानी है कि स्वामी अच्युतानंद जी एक बच्चे के अंतिम संस्कार में शामिल होने भैरव घाट आए थे। जब अंतिम संस्कार के लिए दक्षिणा मांगी।

जब पण्डों को दक्षिणा नहीं मिली तो उन्होंने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। इस पर अच्युतानंद महाराज ने उस दलित बच्चे का अंतिम संस्कार खुद विधि-विधान के साथ पूरा किया। उन्होंने बच्चे की बॉडी को गंगा में प्रवाहित कर दिया।

इसके बाद स्वामी जी ने हिंदुओं के लिए कब्रिस्तान बनाने की सोची और अपनी बात अंग्रेज अफसरों के सामने रखी। अंग्रेजों ने बिना किसी हिचक के कब्रगाह के लिए जमीन दे दी। तभी से इस कब्रिस्तान में हिंदुओं को दफनाया जा रहा है।

1932 में अच्युतानंद जी की मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शारीर को भी इसी कब्रिस्तान में दफनाया गया। पहले यहां सिर्फ दलित हिन्दुओं को दफनाया जाता था। लेकिन अब यहां हर उम्र और जाति के शवों को दफनाया जाता हैं।

Updated : 13 May 2017 12:00 AM GMT
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