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छोटे नपे, बड़े बचे, कलेक्टर ने बनाई जांच समिति

राशन दुकानों से राशन निकालने का घोटाला
भोपाल| जिले की ३७ राशन दुकानों में पीओएस मशीनों में छेड़छाड़ कर आधार नंबर से २८ हजार बार राशन निकालने के मामले में ३७ राशन दुकानों के विक्रेता और सहायक विक्रेता को हटाने की तैयारी प्रशासन ने शुरू कर दी। पहले चरण में १९ दुकानों के विक्रेता और सहायक विक्रेता को हटाया गया है। अफसरों के अनुसार इन लोगों के रहने से जांच में प्रभाव पड़ सकता था, इस कारण इन्हें हटाया गया है। हालांकि इस हाई प्रोफाइल मामले में डीएसके कंपनी और खाद्य अधिकारियों पर अभी गाज नहीं गिरी है। सूत्रों के अनुसार इतनी बड़ी गड़बड़ी बिना अफसर और कंपनी के इंजीनियरों के होना मुश्किल है। कलेक्टर निशांत वरवड़े का कहना है मामला तकनीकी से जुड़ा है, इसके चलते जांच कमेटी बनाई गई है। इसकी जांच रिपोर्ट के बाद ही मामले का खुलासा हो सकेगा। १९ विक्रेताओं के मामले में फाइल आई है। इस फाइल को देखने के बाद ही कुछ बता सकूंगा। रिपोर्ट १० दिन में आएगी।

खाद्य आयुक्त द्वारा कराई जा रही जांच में यह गड़बड़ी तकनीकी मानी गई है। इसमें कंपनी के साथ अधिकारियों, दुकानदारों की भूमिका शंका में हैं। इसके बाद प्रशासन ने दुकानदारों पर कार्रवाई कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। वहीं सर्वर से प्राप्त रिपोर्ट में जिस तरह से ८३ आधार से २८ हजार बार राशन की एंट्री दिखाई गई है, उससे ये पूरा मामला हाईटेक हो गया है।

चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है, जिसमें ई-गवर्नेंस सोसायटी प्रभारी मैनेजर अमित मिश्रा, एनआईसी के एडीआईओ भास्कर राव, एनआईसी की डीईओ शुभा दत्त, सहायक खाद्य आपूर्ति अधिकारी विवेक सक्सेना शामिल है।

Updated : 22 May 2017 12:00 AM GMT
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