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व्यंग्य - 'आप' का क्या होगा ?

व्यंग्य - आप का क्या होगा ?
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* आकाश अरोरा


गीत के बोल हैं 'चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाये, जब सावन आग लगाये तो कौन बुझाये!'.... स्वयं जल मंत्री आग लगा देंगे ये किसने सोचा था? पर अब इस आग का क्या उपाय जब मंत्रिमंडल के नेता ऐसा कर रहे हैं। वैसे ये कॉमन है। आप दो करोड़ खा गये और उनसे सौ का नोट भी न बांटा। और तो और पानी मुफ्त जैसे वादे करके उनका जल बेचकर आने वाला पैसा भी आपने काट दिया। हम उस से आधी आइसक्रीम न बांटे तो बात ब्रेक अप तक आ जाती है। जाहिर सी बात है की कपिल मिश्रा कुछ तो करेंगे। भड़केंगे, चहकेंगे, चौकेंगे या कम से कम एक दो बातें लीक तो कर ही देंगे। अरविन्द जी को समझना चाहिए, कॉमेडी हो या क्रिकेट, जमाना कपिल का है। सुनिए, एक संगठन जब खड़ा होता है तो वो एक बड़ी गेंद जैसा होता है, एक भी सदस्य गया तो गेंद में छेद हो जाता है। और जब छेद हो जाता है गेंद में, तो समझ नहीं आता की सांस कहाँ से लें और... खैर गलती केजरीवाल की कुछ तो होगी, दो करोड़ नहीं तो दो सौ ही सही, खाए तो होंगे। माना कि ये एक सरकारी दफ्तर वाला आसानी से खा जाता है, पर फिर एक भाजपा के समर्थक कहते हैं कि मुख्यमंत्री पद की कुछ गरिमा तो रख लेते, जैसे एक पार्टी ने 3जी के जमाने में 2जी किया और अब 4जी के जमाने में कम से कम... अब क्या बोलें।

बदनामी भी हुई और मिले भी तो बस दो करोड़। आम आदमी के लिए दो करोड़ सपना होता है, 'कौन बनेगा करोड़पति' में सवाल का जवाब देकर कितनी बार हनुमान चालीसा पड़ लेता है। हम मैकेनिकल इंजीनियरिंग वाले क्या नहीं बना सकते हैं, पर दो करोड़ बड़ी चीज है बॉस। पर जिस देश में घोटाले की कीमत लाख करोड़ों की हो वहां दो करोड़ खा जाना कोई बड़ा खुलासा नहीं है। पर लोगों को केजरीवाल से सच कहें तो उम्मीद ही नहीं है कुछ.... ऐसा भी लोग बोल रहे हैं। ये बिलकुल वैसा है कि भंडारे में पूरी-आलू बन रहे हैं पर दूर की चाची को अपना अलग ही हलवा बनाने का मन है। गीत की आगे की पंक्तियाँ हैं 'मंझधार में नैय्या डोले, तो मांझी पार लगाये, मांझी जब नाव डुबोये, उसे कौन बचाए?' वैसे इस किस्से ने इतना डरा दिया है कि अब तो हर चीज मिल बाँट कर खायेंगे, उसके साथ, वरना क्या पता कब पांच बज जाएँ।

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Updated : 9 May 2017 12:00 AM GMT
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