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पाकिस्तानपरस्ती कब बंद करेंगे अलगाववादी

पाकिस्तानपरस्ती कब बंद करेंगे अलगाववादी
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कश्मीर घाटी में प्रशासन द्वारा अलगाववादियों को हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी के आवास पर बैठक करने से रोक दिया गया। वहां मीरवाइज उमर फारूक सहित कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि हैदरपोरा इलाके में स्थित गिलानी के आवास के बाहर पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया जहां अलगाववादी बैठक और बाद में संवाददाता सम्मेलन करने वाले थे। किसी को गिलानी के आवास में दाखिल होने की इजाजत नहीं दी गई। मीरवाइज उमर फारुख को नजरबंद रखा गया है, उन्हें गिलानी के आवास पर संयुक्त प्रतिरोध बैठक में शामिल होना था। जेकेएलएफ प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक को ऐहतियातन हिरासत में लेकर थाने में रखा गया। अलगाववादियों ने अपने कुछ नेताओं के यहां एनआईए की छापेमारी पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई थी।
एक स्टिंग ऑपरेशन में अलगाववादी नेता नईम अहमद खान द्वारा कश्मीर वादी में पाकिस्तान से आतंकी फंडिंग और सैयद अली शाह गिलानी के हाफिज सईद से संबंधों के खुलासे के बाद एनआइए ने कार्रवाई शुरू की है। एफआइआर दर्ज कर कई अलगाववादी नेताओं, आतंकियों व पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के हवाला नेटवर्क से जुड़े व्यापारियों के घरों में छापेमारी शुरू की गई।। इससे अलगाववादी खेमे और उसके समर्थकों में खलबली मची हुई है। एनआइए के छापों से परेशान अलगाववादियों ने अपनी रणनीति तय करने के लिए सैयद अली शाह गिलानी के घर में बैठक बुलाई थी।

अलगाववादियों ने छापों को कश्मीरियों की आजादी की तहरीक को दबाने, कश्मीरी व्यापारियों को बदनाम कर कश्मीरियों की अर्थव्यवस्था को चौपट करने की नई दिल्ली की साजिश करार दिया था। सुबह अलगाववादी नेताओं को गिलानी के घर जमा होने से रोकने के लिए पुलिस ने सबसे पहले उदारवादी हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को नगीन स्थित उनके घर में नजरबंद कर दिया। हालांकि मीरवाइज ने अपने चार साथियों संग मकान से बाहर निकल गिलानी के घर जाने का प्रयास किया, लेकिन घर के बाहर खड़े पुलिसकर्मियों ने उन्हें अंदर लौटने को मजबूर कर दिया। सही मायने में कहा जाए तो अलगाववादियों के प्रति प्रशासन का रवैया औचित्यपूर्ण ही है, क्यों कि अलगाववादियों द्वारा पाकिस्तानपरस्ती की सभी सीमाओं को लांघा जा रहा है। कश्मीर में फैली अराजकता के लिए अलगाववादी ही जिम्मेदार हैं, जो पाकिस्तान के इशारे पर कश्मीर को तहस-नहस करने का सपना पाले हुए हैं तथा अपने इस सपने को पूरा करने के उद्देश्य से वह कश्मीरी आवाम के लिये सिरदर्द बने हुए हैं।

कश्मीर घाटी में स्थिति लगातार बेकाबू है तथा देशवासी यह मानते हैं कि कश्मीरी हित, सुख, समृद्धि एवं खुशहाली की दृष्टि से यह हालात बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं। वह घाटी में जल्द से जल्द शांति बहाल होते देखना चाहते हैं। इसके विपरीत पाकिस्तान के हाथों की कठपुतली बने अलगाववादियों को कश्मीरी आवाम के हितों की कोई चिंता नहीं है। वह तो बस राज्य केा अपने आतंक से यू ही दहलाते रहना चाहते हैं तथा कश्मीरियों में अपनी दहशत कायम रखने के लिये नित नये हथकंडे अपनाते रहते हैं। कश्मीरी अलगाववादियों में अगर जरा भी नैतिकता होती तो बुरहान वानी जैसे युवा इस तरह रास्ते से भटकते नहीं। अलगावादियों द्वारा कश्मीरी युवाओं को गुमराह करने तथा कई बार उन्हें डरा धमकराकर अपने पाले में शामिल करने तथा उन्हें हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल होने के लिये अभी भी मजबूर किया जा रहा है। केन्द्र्र तथा जम्मू-कश्मीर सरकार के कदम ॉपिलहाल अलगाववादियों पर शिकंजा कसने में नाकाम साबित हो रहे हैं। केन्द्र सरकार अलगगावादियों से कभी बातचीत की पेशकश करती है तो कभी उन पर सख्ती बरतने की बातें सामने आती हैं। यही कारण है कि कश्मीर में हालात विकट हैं। अलगाववादियों के आर्थिक स्त्रोतों की जांच व उन पर प्र्रतिबंध लगाया जाना भी नितांत आवश्यक है लेकिन यह कार्रवाई रस्म अदायगी के लिये नहीं, बल्कि सही मायने में होनी चाहिये।

लेखक - सुधांशु द्विवेदी

Updated : 8 Jun 2017 12:00 AM GMT
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