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पढ़िए एक राष्ट्र, एक कर - जीएसटी से जुड़े आपके सारे सवालों के आसान जवाब

पढ़िए एक राष्ट्र, एक कर - जीएसटी से जुड़े आपके सारे सवालों के आसान जवाब
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जीएसटी कब क्या हुआ

वस्तु और सेवा कर यानी जीएसटी विधेयक को लेकर बुधवार को लोक सभा में बहस जारी है। पास होने के बाद ये कुछ इस तरह काम करेगा और टैक्स ढांचा कुछ ऐसा होगा-

पहला चरण: फैक्ट्री

आइए हम एक रेडीमेड कपड़े का उदहारण लेते हैं। तैयार करनेवाले को कपड़े और सिलाई जैसे कच्चे माल पर सौ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इसमें उसने 10 रुपए बतौर टैक्स दिए हैं।
फिर उस कपड़े को पूरी तरह तैयार करने पर 30 रुपए और खर्च होते हैं। इससे कपड़े की कीमत 130 रुपए हो जाती है। दस फीसद की दर से इस कपड़े पर 13 रुपए बतौर टैक्स देने पड़ते हैं। चूँकि उत्पादनकर्ता ने कच्चे माल पर टैक्स पहले ही दे दिया है, इसलिए अब उसे टैक्स के रूप में सिर्फ तीन रुपए ही देने पड़ेंगे।

दूसरा चरण: थोक

थोक विक्रेता इस कपड़े को 130 रुपए में खरीदता है। उसमें 20 रुपए मुनाफा जोड़कर वह 150 रुपए इसकी कीमत लगाता है। इस पर 10 फीसद टैक्स अगर जोड़ा जाए तो 15 रुपए और जुड़ जाएंगे। मगर जीएसटी लागू होने के बाद थोक विक्रेता को केवल दो रुपए ही बतौर टैक्स देने पड़ेंगे, क्योंकि कपड़े पर उत्पादन के समय 13 रुपए का टैक्स दिया जा चुका है।

तीसरा चरण: दुकानदार

खुदरा व्यापारी यह रेडीमेड कपड़ा अगर 150 रुपए में खरीदता है। फर्ज कीजिए वो इसमें और खर्चे जोड़कर कीमत 10 रुपए बढ़ा देता है, तो यह कपड़ा 160 रुपए का हो जाएगा। इसपर 10 फीसद की दर से टैक्स 16 रुपए होना चाहिए। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद अब खुदरा विक्रेता को सिर्फ एक रुपया टैक्स के रूप में देना पडेगा, क्योंकि उत्पादनकर्ता ने 10 रुपए बतौर टैक्स सामान खरीदते वक़्त ही दे दिए थे। कपड़े को जब उसने थोक विक्रेता को बेचा तो तीन रुपए और टैक्स के रूप में दिए। फिर थोक विक्रेता ने इसपर दो रुपए बतौर टैक्स दिए और बाद में खुदरा विक्रेता ने एक रुपया बतौर टैक्स दिया।

इन वस्तुओं पर पड़ेगी महंगाई की मार

0 बैंकिंग और टेलिकॉम जैसी सेवाएं महंगी हो जाएंगी। इसके अलावा फ्लैट्स, रेडिमेट गारमेंट्स, मंथली मोबाइल बिल और ट्यूशन फीस पर भी टैक्स बढ़ जाएगा।

0 अब आप एसी रेस्तरां में जाएं तो 18 फिसदी टैक्स के लिए तैयार रहें। हां, यदि आप गैर-एसी रेस्तरां में जाते हैं तो 6 फीसदी की बचत करते हुए सिर्फ 12 फीसदी ही चुकाना होगा।

0 मोबाइल बिल, ट्यूशन फीस और सलून पर भी आपको 18 फीसदी टैक्स देना होगा। अब तक इन पर 15 फीसदी टैक्स ही रहा है।

0 1,000 रुपए से अधिक की कीमत के कपड़ों की खरीद पर भी अब आपको 12 फीसद टैक्स देना होगा। अब तक इस पर 6 फीसदी स्टेट वैट ही लगता था। ध्यान दें कि 1,000 से कम के परिधानों पर 5 पर्सेंट की दर से ही टैक्स लगेगा।

जीएसटी की व्यवस्था में दुकान या फ्लैट खरीदने पर 12 फीसदी टैक्स देना होगा। फिलहाल यह करीब 6 पर्सेंट है।

ये वस्तुए हो जाएंगी सस्ती

0 81 फीसदी आइटम्स 18 फीसदी से कम के स्लैब में होंगे। खासतौर पर वेइंग मशीनरी, स्टैटिक कन्वर्टर्स, इलेक्ट्रिक ट्रांसफॉर्मर्स, वाइंडिंग वायर्स, ट्रांसफॉर्मस इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स और डिफेंस, पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्सेज द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले टू-वे रेडियो सस्ते हो जाएंगे।

0 पोस्टेज और रेवेन्यू स्टांप्स भी सस्ते हो जाएंगे। इन पर 5 फीसदी ही टैक्स लगेगा।

0 कटलरी, केचअप, सॉसेज और अचार आदि भी सस्ते होंगे। इन्हें 12 फीसदी के स्लैब में रखा जाएगा।

0 सॉल्ट, चिल्ड्रंस पिक्चर, ड्रॉइंग और कलर बुक्स को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। प्लेइंग कार्ड्स, चेस बोर्ड, कैरम बोर्ड और अन्य बोर्ड गेम्स को घटाकर 12 फीसदी के स्लैब में रखा गया है।

कारोबारियों पर होगा क्या असर?

20 लाख रुपए से कम के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी की व्यवस्था से छूट दी गई है। अब तक यह छूट 10 लाख तक ही सीमित थी। 75 लाख रुपए से अधिक के सालाना टर्नओवर वाले ट्रेडर्स, मैन्युफैक्चरर्स और रेस्तरां कंपोजिशन स्कीम के तहत क्रमश: 1, 2 और 5 फीसदी अदा कर सकते हैं। हालांकि इन बिजनस को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल सकेगा।
अन्य कारोबारियों को हर महीने तीन रिटर्न भरने होंगे। इनमें से दो आॅटोमेटिक होंगे।

1 जुलाई के बाद आने वाले किसी भी माल पर जीएसटी लगेगा।
हालांकि 30 जून से पहले आने वाले स्टॉक की बिक्री पर कारोबारियों को कॉम्पेन्सेशन भी मिलेगा।

जानें, किन वस्तुओं पर लगेगा कितना टैक्स

इन वस्तुओं पर नहीं लगेगा कोई टैक्स

फ्रेश मीट, फिश चिकन, अंडा, दूध, बटर मिल्क, दही, शहद, फल एवं सब्जियां, आटा, बेसन, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टांप. न्यायिक दस्तावेज, प्रिंटेड बुक्स, अखबार, चूड़िया और हैंडलूम जैसे तमाम रोजमर्रा की जरूरतों के आइटम्स को जीएसटी के दायरे से ही बाहर रखा गया है।

इन पर लगेगा 5 फीसदी का कर

फिश फिलेट, क्रीम, स्किम्ड मिल्ड पाउडर, ब्रैंडेड पनीर, फ्रोजन सब्जियां, कॉफी, चाय, मसाले, पिज्जा ब्रेड, रस, साबूदाना, केरोसिन, कोयला, दवाएं, स्टेंट और लाइफबोट्स जैसे आइटम्स को टैक्स की सबसे निचली 5 पर्सेंट की दर में रखा गया है।

कुछ वस्तुआें पर 12 फीसदी कर

फ्रोजन मीट प्रॉडक्ट्स, बटर, पैकेज्ड ड्राई फ्रूट्स, ऐनिमल फैट, सॉस, फ्रूट जूस, भुजिया, नमकीन, आयुर्वेदिक दवाएं, टूथ पाउडर, अगरबत्ती, कलर बुक्स, पिक्चर बुक्स, छाता, सिलाई मशीन और सेल फोन जैसी जरूरी आइटम्स को 12 फीसदी के स्लैब में रखा गया है।

मिडिल क्लास की इन चीजों पर 18 फीसदी टैक्स

फ्लेवर्ड रिफाइंड शुगर, पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स, पेस्ट्रीज और केक, प्रिजर्व्ड वेजिटेबल्स, जैम, सॉस, सूप, आइसक्रीम, इंस्टैंट फूड मिक्सेज, मिनरल वॉटर, टिशू, लिफाफे, नोट बुक्स, स्टील प्रॉडक्ट्स, प्रिंटेड सर्किट्स, कैमरा, स्पीकर और मॉनिटर्स पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया है।

इन पर लगेगा सबसे ज्यादा 28 फीसदी कर

चुइंग गम, गुड़, कोकोआ रहित चॉकलेट, पान मसाला, वातित जल, पेंट, डीओडरन्ट, शेविंग क्रीम, हेयर शैम्पू, डाइ, सनस्क्रीन, वॉलपेपर, सेरेमिक टाइल्स, वॉटर हीटर, डिशवॉशर, सिलाई मशीन, वॉशिंग मशीन, एटीएम, वेंडिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, शेवर्स, हेयर क्लिपर्स, आॅटोमोबाइल्स, मोटरसाइकल, निजी इस्तेमाल के लिए एयरक्राफ्ट और नौकाविहार को लग्जरी मानते हुए जीएसटी काउंसिल ने 28 फीसदी का टैक्स लगाने का फैसला लिया है।

Updated : 1 July 2017 12:00 AM GMT
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