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पैसे लेकर बनाई जा रही हैं जीविवि की फर्जी डिग्रियां

पैसे लेकर बनाई जा रही हैं जीविवि की फर्जी डिग्रियां
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पंजीयन कराने पहुंचे छात्र के दस्तावेज किए जब्त होगी पुलिस कार्रवाई

ग्वालियर। दलाल व शिक्षा माफिया मोटी रकम लेकर छात्रों को जीवाजी विश्वविद्यालय की फर्जी अंकसूची व सर्टिफिकेट बांटने का काम कई वर्षों से करते आ रहे हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन ऐसे लोगों पर लगाम नहीं कस पा रहा है। जीवाजी विश्वविद्यालय एक ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है, जहां बिना शिक्षा ग्रहण किए ग्रेजुएट व प्रोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री मोटी रकम की दम पर मिल जाती है। ऐसा ही एक मामला मंगलवार को तब सामने आया, जब चैन्नई का एक व्यक्ति एलएलबी की फर्जी अंकसूची के साथ पंजीयन कराने के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय पहुंचा, जहां परीक्षा नियंत्रक ने अंकसूची व सर्टिफिकेट देखते ही फर्जी बता दिया। विश्वविद्यालय प्रबंधन अब छात्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कर रहा है।

जानकारी के अनुसार मंगलवार को गांधीपुरम कोयम्बटूर निवासी एडवोकेट एन. भास्करन अपने मित्र वी. शिवराजू की एलएलबी की अंकसूची एवं सर्टिफिकेट लेकर महात्मा गांधी महाविद्यालय आॅफ लॉ के निदेशक चन्द्रप्रताप सिंह के पास पहुंचा और बताया कि उसे बीसीआई में पंजीयन कराना है, इसलिए उसे माईग्रेशन एवं अन्य डिग्री चाहिए, लेकिन छात्र के दस्तावेज देखते ही निदेशक श्री सिंह को फर्जी होने का शक हुआ तो वह छात्र के साथी को लेकर जीवाजी विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. राकेश कुशवाह के पास पहुंचे, जहां प्रो. कुशवाह ने छात्र के दस्तावेज देखते ही सर्टिफिकेट व अंकसूची फर्जी बताई तो एन. भास्करन दंग रहे गया और उसने अपने मित्र वी. शिवराजू को फोन कर पूरी बात बताई। इस पर वी. शिवराजू ने बताया कि उसने फर्जी अंकसूची व दीक्षांत समारोह का सर्टिफिकेट दलाल को पैसे देखकर बनबाया है। उसने यह तक बताया कि वह कभी भी महाविद्यालय में पढ़ाई करने नहीं गया है। इसके बाद निदेशक संबंधित व्यक्ति को कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला के पास लेकर पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी दी। कुलपति ने दस्तावेजों को जब्त कर पुलिस कार्रवाई का आश्वासन निदेशक को दिया है।

Updated : 12 July 2017 12:00 AM GMT
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