Home > Archived > जेल ब्रेक की घटनाएं न हों इसलिए लगाया है प्रतिबंध

जेल ब्रेक की घटनाएं न हों इसलिए लगाया है प्रतिबंध

जेल ब्रेक की घटनाएं न हों इसलिए लगाया है प्रतिबंध
X

शासन के जवाब पर याचिकाकर्ता को देना है जवाब


ग्वालियर। उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ में जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों को आवश्यक सामग्री पर रोक लगाने की याचिका के मामले में बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान शासन ने अपना जवाब पेश करते हुए कहा है कि भोपाल में जेल ब्रेक की घटना फिर न हो इसके लिए गृह विभाग ने विचाराधीन बंदियों को मुलाकात करने या निजी स्त्रोतों से प्राप्त होने वाली बाहर की सामग्री पर पूरी तरह से रोक लगाई है। अब शासन के इस जवाब पर याचिकाकर्ता को अपना जवाब न्यायालय के समक्ष पेश करना है। उच्च न्यायालय ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। यहां बता दें कि भोपाल जेल से भागे सिमी आंतकियों की घटना के बाद जेल विभाग ने 9 दिसम्बर 2016 को प्रदेश की सभी जेलों में बंदियों को किसी भी तरह के बाहर के सामान देने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया । प्रदेश भर की जेलों में विचाराधीन कैदियों को बाहर की सामग्री पर रोक लगाने से ग्वालियर समेत भोपाल और अन्य शहरों की जेलों में भी बंदियों ने हंगामा किया था। इसी मामले को लेकर विजय तिवारी निवासी श्योपुर ने उच्च न्यायालय में एक याचिका प्रस्तुत की थी।

रोक लगाने के आदेश को दी थी चुनौती:- याचिकाकर्ता की अधिवक्ता संगीता पचौरी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा था कि नियम के अनुसार बंदी अपने खर्च पर जरूरत का सामान खरीदकर उसका प्रयोग कर सकता है। शासन का कहना था कि शासन को इस प्रकार के प्रतिबंध लगाने का पूरा अधिकार है।

शासन पर डाला 90 लाख रुपए का बोझ
अधिवक्ता का कहना था कि रोक लगाने के बाद जेल विभाग ने शासन पर 90 लाख रुपए का अतिरिक्त बोझ डाला है। जेल विभाग ने रोक लगाने के बाद शासन से 90 लाख रुपए के बजट का आवंटन मांगा है। उनका कहना था कि भोपाल की जेल से जो आतंकवादी भागे थे। उन्होंने जेल में भोजन के लिए मिलने वाले बर्तनों से कट्टन जैसे हथियार बनाए थे। वहीं बाहर से आने वाली सामग्री से कोई सामान तभी अंदर पहुंच सकता है जब जांच करने वाले प्रहरी या जेल पुलिस के जवान गड़बड़ करें।

Updated : 13 July 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top