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चिकित्सक भगवान का रूप होते हैं गुन्डों की तरह बर्ताव न करें

चिकित्सक भगवान का रूप होते हैं गुन्डों की तरह बर्ताव न करें
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ग्लूकोज की बोतल लगी हुई हालत में मरीज को अधीक्षक कार्यालय के बाहर लिटाया


ग्वालियर/सुजान सिंह।
चिकित्सकों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन यहां के जूनियर चिकित्सकों ने हमारे साथ गुन्डों जैसा बर्ताव किया है। पिछले कई माह से हम मरीज योगेश को डॉ. अचल गुप्ता के निजी क्लीनिक पर दिखा रहे थे, उन्होंने आॅपरेशन की बात कहते हुए 70 से 80 हजार रूपए मांगे थे। लेकिन हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि हम निजी अस्पताल में उपचार करा सकें, इसी के चलते हमने जयारोग्य में भर्ती होने की बात कही थी। लेकिन यहां भी चिकित्सक लगातार पैसों की मांग करते रहे, हम बहुत गरीब हैं, हम अपनी मां के जेवर बेचकर उपचार कराएं क्या। यह बात योगेश के पिता भारत सिंह और भाई आकाश सिंह ने अस्पताल अधीक्षक डॉ. जे.एस. सिकरवार से गुरूवार को धरना देते हुए कही। मरीज योगेश को विगत रात सर्जरी विभाग से डरा-धमका कर डिस्चार्ज कर दिया था, इसी बात से गुस्साए परिजन गुरूवार को हाथ में ग्लूकोज की बोतल लगी हुई हालत में योगेश को अधीक्षक कार्यालय लेकर पहुंचे और बाहर लिटा दिया। धरने की सूचना मिलते ही अस्पताल अधीक्षक डॉ. सिकरवार मौके पर पहुंचे और परिजनों से चर्चा की। परिजनों का कहना था कि डॉ. गुप्ता के निजी अस्पताल में अगर आॅपरेशन कराते तो यह परेशानी नहीं आती, यहां चिकित्सक निजी अस्पताल में जाने के लिए मरीजों को परेशान करते हैं और जो इसका विरोध करते हैं तो उनके साथ अभद्रता व मारपीट की जाती है। जिस पर अधीक्षक ने परिजनों से मरीज के कागज मांगे तो परिजनों ने कहा कि हम कागज कहां से लाएं, जूनियर चिकित्सकों ने उनसे सारे कागज रात को ही छीन लिए हैं, जिसमें उनकी कई निजी पैथोलॉजी पर कराई हुई जांचे भी हैं, हमारे पास तो एक भी जांच नहीं है हम तो मरीज को किसी दूसरे अस्पताल में भी नहीं ले जा सकते।

परिजनों ने यह भी बताया कि जब उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सकों से कागज मांगे तो उन्होंने अभद्रता करना शुरू कर दी, जिसका उन्होंने विरोध किया तो छात्रावास से करीब 30 से 40 छात्रों को बुला लिया गया। अगर हम समय रहते पुलिस को सूचना नहीं देते तो हमारे साथ जमकर मारपीट की जाती। शासन द्वारा अस्पताल में करोड़ों रूपए का बजट दिया जाता है, लेकिन यहां के चिकित्सकों का व्यवहार देखते हुए हमे तो ऐसा लग रहा है कि हम हिन्दुस्तान में नहीं तालीबान में उपचार के लिए आए हैं। परिजनों ने अधीक्षक को अपनी पीड़ा सुनाते हुए यह तक कहा कि सर आपको पता नहीं है हमारी रात कैसे कटी है, मेरा भाई पूरी रात दर्द से तड़पता रहा है। चिकित्सक भगवान होते हैं, लेकिन डॉ. शैलेंद्र निरंजन ने तो हमें धमकी देते हुए कहा था कि अगर मरीज को लेकर नहीं जाओगे तो ऐसा केस लगवाएंगे की पूरा भविष्य तो खराब होगा ही साथ ही जमानत मिलना मुश्किल हो जाएगी। इस पर अधीक्षक ने सर्जरी के चिकित्सकों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मरीज के पैरों की नसें बंद हो चुकी हैं, जिसका पूरा उपचार यहां संभव नहीं है, इसलिए मरीज को रैफर किया गया था। मरीज को दुबारा भर्ती करके जो भी संभव उपचार होगा वह किया जाएगा। लेकिन परिजनों ने कहा कि वह इतना सब होने के बाद यहां उपचार नहीं कराएंगे, बस आप तो संबंधित चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करें और हमारे पूरे दस्तावेज वापस करवा दें। इस पर अधीक्षक ने एक जांच कमेटी गठित कर तीन दिन में चिकित्सकों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

ग्राहक पंचायत ने भी दिया ज्ञापन

इस मामले को लेकर ग्राहक पंचायत ने भी अधीक्षक को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि अगर तीन दिवस के अंदर चिकित्सकों पर कार्रवाई नहीं होगी तो अस्पताल परिसर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इसके साथ ही पंचायत ने मरीज को दि ल्ली तक पहुंचाने की व्यवस्था करने की भी मांग की, जिस पर अधीक्षक ने आश्वासन दिया।

Updated : 14 July 2017 12:00 AM GMT
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