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जयारोग्य में अनोखी बीमारी का पहली बार हुआ आॅपरेशन

जयारोग्य में अनोखी बीमारी का पहली बार हुआ आॅपरेशन
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चिकित्सक का दावा, संभवत: प्रदेश का यह पहला आॅपरेशन

ग्वालियर/सुजान सिंह। अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य चिकित्सालय में अंचल भर से मरीज बड़ी संख्या में उपचार के लिए पहुंचते हैं। जिनमें से कई मरीज ऐसे भी होते हंै जिनकी बीमारी देख चिकित्सक भी दंग रह जाते हैं। जिसका एक मामला विगत दिनों ही सामने आया जब एक 55 वर्षीय महिला अपने उपचार के लिए सर्जरी के सहायक प्राध्यापक डॉ. अनुराग चौहान के पास पहुंची तो चिकित्सक भी उसकी बीमारी देख दंग रह गए, क्योंकि महिला को जो बीमारी थी वह बहुत ही कम लोगों में होती है और इस तरह का मरीज आज तक जयारोग्य में उपचार के लिए नहीं आया था। लेकिन मरीज की स्थिति व विश्वास को देखते हुए डॉ. चौहान ने महिला का आॅपरेशन किया और आज महिला एक दम स्वस्थ है। जानकारी के अनुसार 55 वर्षीय रामवती को दाहिने कंधे के ऊपर गठान हो गई थी, जिस कारण महिला को हाथ से लेकर गर्दन तक असहनीय दर्द होता था। जिसके उपचार के लिए महिला अपने परिजनों के साथ विगत माह जयारोग्य चिकित्सालय पहुंची और सर्जरी के डॉ. अनुराग चौहान को दिखाया। डॉ. चौहान ने रामवती को देख उसे पहले जांच कराने की सलाह दी। लेकिन जब महिला अपनी जांच रिपोर्ट लेकर दुबारा चिकित्सक के पास पहुंची, जिसे देख खुद चिकित्सक भी दंग रह गए। जांच रिपोर्ट में रामवती को लेफ्ट एक्सटर्नल जुगुलर वीन एन्यूरिज्म नामक बीमारी निकली, जो आमतौर पर हार्ट की नसों में पाई जाती है, लेकिन गर्दन की नसों में यह बहुत ही कम पाई जाती है। इसी के चलते चिकित्सकों ने महिला के परिजनों को बीमारी के बारे में बताते हुए कहा कि इस बीमारी का आॅपरेशन बहुत बड़ा है अगर वह अपने मरीज को दिल्ली ले जाना चाहते हैं तो ले जा सकते हैं। लेकिन महिला के परिजनों के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उसे उपचार के लिए दिल्ली ले जा सकें। परिजनों ने डॉ. चौहान के प्रति विश्वास जताते हुए जयारोग्य में ही आॅपरेशन करने की सहमति दी। इसके बाद डॉ. चौहान, डॉ.अजय गंगजी सहित अन्य चिकित्सकों की टीम ने महिला का सफल आॅपरेशन किया। आॅपरेशन करीब डेढ़ घण्टे तक चला और महिला की दो दिन बात छुट्टी कर दी गई, अब महिला एक दम स्वस्थ है।

2.50 से 3 लाख होता है खर्चा : इस आॅपरेशन के लिए अगर मरीज के परिजन दिल्ली जाते तो उन्हें 2.50 से 3 लाख रूपए खर्च करने पड़ते। लेकिन जयारोग्य में यह आॅपरेशन नि:शुल्क हुआ है बस मरीज को कुछ दवाएं ही बाहर से लानी पड़ी थी।

कार्यशाला हुई आयोजित : इस आॅपरेशन के बाद शनिवार को गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ. चौहान व उनके साथियों ने इस आॅपरेशन के बारे में अन्य चिकित्सकों के साथ-साथ चिकित्सा छात्रों को भी इस आॅपरेशन के बारे में प्रोजेक्टर के माध्यम से बताया व उनकी जिज्ञासाओं का भी समाधान किया।

नहीं तो जा सकती थी जान

डॉ. चौहान ने बताया कि इस बीमारी में अगर महिला का आॅपरेशन नहीं किया जाता तो एन्यूरिज्म रप्चर हो सकता था। जिससे गठान बढ़ने के कारण मरीज की नस फट सकती थी और मरीज को बचाने की संभावना बहुत कम हो जाती। डॉ. चौहान ने बताया कि इस तरह की बीमारी देश में बहुत ही कम पाई जाती है, इसलिए इस बीमारी का आॅपरेशन पहले नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर प्रदेश व देश की बात करे तो संभवत: ही किसी सर्जन ने इस तरह का आॅपरेशन किया हो।

इनका कहना है

देश भर में इस तरह की बीमारी की संभावना बहुत ही कम होती है, संभवत: इस तरह के आॅपरेशन अभी हुए नहीं हैं, लेकिन मरीज की स्थिति व चिकित्सकों के प्रति विश्वास को देखते हुए उसका सफल आॅपरेशन कर उसे घर भेज दिया गया और महिला अब स्वस्थ है।


डॉ. अनुराग चौहान

सहायक प्राध्यापक

Updated : 16 July 2017 12:00 AM GMT
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