Home > Archived > दूसरा कार्यकाल हथियाने कुलपति कर रहीं नियम विरूद्ध कार्य

दूसरा कार्यकाल हथियाने कुलपति कर रहीं नियम विरूद्ध कार्य

दूसरा कार्यकाल हथियाने कुलपति कर रहीं नियम विरूद्ध कार्य
X

मामला जीवाजी विश्वविद्यालय का, कई प्राध्यापक और ईसी सदस्य विरोध में उतरे

ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय की वर्तमान कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला का कार्यकाल आगामी अक्टूबर में पूर्ण होने जा रहा है, लेकिन कुलपति पद की मलाई चख चुकीं प्रो. शुक्ला इस पद को छोड़ने के लिए कतई तैयार नहीं हैं, जिसके लिए वह नित्य नए हथकंडे अपनाने में लगी हुई हैं, जिस कारण जीवाजी विवि इन दिनों राजनैतिक अखाड़ा बना हुआ है, और विवि के तमाम प्रोफेसर और ईसी सदस्य अब खुलकर कुलपति की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि जीवाजी विवि की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला का कार्यकाल अक्टूबर माह में पूर्ण हो रहा है, यूं तो विवि में तमाम लोगों की नजरें उक्त सीट पर लगी हुई हैं, वहीं प्रो. शुक्ला भी पूरी दमदारी से अपना कार्यकाल बरकरार रखवाने के लिए साम-दाम-दण्ड-भेद की नीति अपनाने में लगी हुई हैं, जिसके चलते यहां विगत् दिनों उन्होंने बड़ी चतुराई के साथ फार्मेसी संस्थान में संविदा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आयोजित ईसी की बैठक में कार्य परिषद सदस्य हुकुम सिंह यादव के माध्यम से कुलपति चयन समिति के लिए संगीत विवि की पूर्व कुलपति प्रो. स्वतंत्र शर्मा का नाम रखवाया था, चूंकि उक्त मुद्दा एजेंडे में शामिल नहीं था, इसलिए यह प्रस्ताव सुनकर कार्यपरिषद सदस्य चौंक गए, लेकिन इक्का-दुक्का को छोड़कर किसी भी कार्यपरिषद सदस्य ने इसका अधिक विरोध दर्ज नहीं कराया, हालांकि राज्यपाल कोटे की कार्यपरिषद सदस्य सुनीता बरादिया और कविता रायकवार ने इस मामले की शिकायत राजभवन तक कर दी, जिस पर मुख्य सचिव ने भी इसे लेकर कुलपति को फटकार लगाई थी।

प्रो. शुक्ला दोबारा कुलपति बनीं तो मैं हर स्तर पर विरोध करूंगा: प्रो. चौहान
जीवाजी विवि के कुछ कार्यपरिषद सदस्य यहां कुलपति की खिलाफत पर उतर आए हैं, वहीं जीवाजी विवि के राजनैतिक विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. एपीएस चौहान ने तो खुले शब्दों में कह दिया है, कि यदि प्रो. शुक्ला को दोबारा कुलपति बनाया गया, तो वह हर स्तर पर उनका विरोध करेंगे। प्रो. चौहान का कहना है कि कुलपति बनने के लिए दस वर्ष का प्रोफेसर का कार्यकाल होना आवश्यक है, लेकिन पिछली बार जीवाजी विवि के कुलपति चयन में उक्त नियम की अवहेलना की गई, क्योंकि प्रो. शुक्ला की नियुक्ति ही वर्ष 2008 में हुई है, साथ ही उनका कहना है कि मैंने उनसे वादा किया था कि उनके कार्यकाल में किसी तरह का कोई विघ्न नहीं डालूंगा, इसलिए मैं इतने दिनों तक शांत रहा, लेकिन अक्टूबर में उनका कार्यकाल पूर्ण होने के बाद एक दिन भी और उन्हें सहन नहीं करूंगा, यदि वह दोबारा कुलपति बनती हैं, तो मैं राजभवन, कुलाधिपति, राष्ट्रपति के साथ ही माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाऊंगा, क्योंकि उच्च न्यायालय ने हाल ही में ऐेसे कई कुलपतियों को हटाया है, जिनका दस वर्ष का प्रोफेसर के पद का कार्यकाल पूर्ण नहीं था। बहरहाल प्रो. चौहान के इस उग्र रूप ने कुलपति प्रो. शुक्ला की राह में खासी मुश्किलें पैदा कर दी हैं, क्योंकि अपने अड़ियल एवं दबंग रवैए के लिए पहचाने जाने वाले प्रो. चौहान एकेडमिक रिकॉर्ड के साथ ही हर मायने में प्रो. शुक्ला से काफी भारी-भरकम हैं।

Updated : 18 July 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top