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विकलांग भत्ता पाने के लिए - 4 साल से भटक रहा है नेत्रहीन शिक्षक

विकलांग भत्ता पाने के लिए - 4 साल से भटक रहा है नेत्रहीन शिक्षक
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ग्वालियर। चार साल पहले मिलने वाले 150 रुपये और वर्तमान में 350 रुपये प्रतिमाह मिलने वाले विकलांग भत्ते के हक को प्राप्त करने के लिए एक नेत्रहीन शिक्षक चार साल से विभागीय और प्रशासनिक अधिकारियों के यहां चक्कर लगा रहा है। एक दर्जन से अधिक बार जिलाधीश की जनसुनवाई में आवेदन कर चुका है, लेकिन परिणाम शून्य। भत्ते की जिस राशि को लेने की लड़ाई यह लड़ रहा है उससे तीन गुना से अधिक इसे प्राप्त करने के लिए खर्च कर चुका है। लेकिन हारा नहीं है। मंगलवार को जिलाधीश से मिलकर अपनी पीड़ा बताई, जिलाधीश ने उनके प्रकरण में कोषालय से जानकारी लेने एवं शीघ्र कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया है।

शासकीय प्राथमिक विद्यालय जमुनादाई तिकोनिया मुरार में पदस्थ सहायक अध्यापक अरविंद सिंह पाल ने बताया कि वह 2013 से अपना विकलांग भत्ता प्राप्त करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, जिलाधीश सहित अन्य संबंधित अधिकारियों के यहां चक्कर लगाकर परेशान हो चुका है, लेकिन उसके हिस्से के विकलांग भत्ते का आहरण खाते में नहीं हो पा रहा है। शिक्षक अरविंद बताते हैं उनके विकलांग भत्ते से संबंधित दस्तावेजों को जिला शिक्षा अधिकारी डीडीओ की ओर एवं डीडीओ द्वारा बीईओ की ओर भेजे जाने की बात कही जा रही है। बीईओ उनके भत्ता प्रकरण को कोषालय में भेजे जाने की बात कह रहे हैं, लेकिन भत्ते की राशि उनके खाते में नहीं डाली जा रही है।

तीन गुने से अधिक कर चुके हैं खर्च

नेत्रहीन सहायक अध्यापक अरविंद सिंह पाल ने बताया कि विकलांग भत्ते की राशि भलें बहुत ही कम है, लेकिन वह अपने हक को प्राप्त करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि इस लड़ाई को लड़ने के लिए वह अब तक 20 हजार से अधिक राशि खर्च कर चुके हैं, जबकि भत्ते की राशि कुल लगभग 6900 रुपये है। अरविंद बताते हैं कि अपने हक की लड़ाई वह जीतने तक लड़ते रहेंगे।

कोषालय चार माह से अटकाए है भत्ता

विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी प्राचार्य शा.उ.मा.वि. क्र. 2 मुरार के प्राचार्य ने विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में बताया है कि अरविंद सिंह पाल का विकलांग भत्ता बिल नं. 309/25.3.2017 को विकासखण्ड मुरार कार्यालय से कोषालय गोरखी में बिल पास हुआ है। लेकिन इसका भुगतान हितग्राही के बैंक खाते में 17 जुलाई तक प्राप्त नहीं हुआ। इस पत्र से स्पष्ट है कि बिल पास हो जाने के बाद अर्थात राशि शिक्षा विभाग द्वारा कोषालय को भेज दिए जाने के बावजूद जिला कोषालय इस विकलांग के भत्ता प्रकरण को चार महीने से अटकाए है। सूत्र बताते हैं कि कोषालय में बैठे अधिकारी और कर्मचारी बिना रिश्वत के चलते कोई काम नहीं करते हैं।

Updated : 19 July 2017 12:00 AM GMT
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