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राष्ट्रपति चुनाव : UPA उम्मीदवार गोपाल को समर्थन पर बंगाल माकपा में उबाल

राष्ट्रपति चुनाव : UPA उम्मीदवार गोपाल को समर्थन पर बंगाल माकपा में उबाल
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कोलकाता। उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी का समर्थन करने के केन्द्रीय नेतृत्व के फैसले से पश्चिम बंगाल माकपा का एक तबका असंतुष्ट है। गौरतलब है कि प्रदेश का राज्यपाल रहते हुए गांधी ने सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन के दौरान तत्कालीन बुद्धदेव सरकार और पार्टी की भूमिका पर सवाल खड़े किये थे| इसे लेकर सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

माकपा राज्य समिति के कई सदस्य गांधी को समर्थन देने के निर्णय से नाराज हैं। कुछ नेताओं ने पार्टी फोरम पर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है जबकि कुछ सोशल मीडिया के जरिये अपनी नाखुशी जाहिर कर रहे हैं।

इन असंतुष्ट नेताओं ने हुगली जिले के सिंगूर में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ तत्कालीन राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के कड़े रुख का हवाला देकर उन्हें समर्थन देने पर सवाल उठाया है। यह अधिग्रहण टाटा मोटर्स की नैनो कार की फैक्टरी लगाने के लिए किया गया था| इस दौरान नंदीग्राम में भू-अधिग्रहण विरोधी अभियान शुरू हो गया था। उन्होंने गांधी को तृणमूल कांग्रेस का पक्ष लेने वाला भी करार दिया। माकपा की राज्य समिति के एक नेता ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया, हमें बिल्कुल अंदाजा नहीं है कि हमारा नेतृत्व क्या करना चाहता है। पहले उन्होंने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का फैसला लिया और अब उन्होंने गांधी का समर्थन करने का फैसला लिया है।

उक्त नेता ने कहा कि पार्टी वर्ष 2006 से 2009 के बीच गांधी की पक्षपातपूर्ण भूमिका को कैसे भूल सकती है? भाजपा को रोकने के नाम पर यह पागलपन है। पार्टी अपनी कब्र खुद खोद रही है। पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ समर्थन का कड़ा विरोध करने वाले माकपा राज्य-समिति के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, पिछले वर्ष पार्टी नेतृत्व ने उदारवादी नीतियों और आपातकाल के दौरान कांग्रेस के अत्याचारों को भूल कर उनके साथ गठजोड़ करने को कहा। अब हमने भाजपा का रोकने के मद्देनजर गांधी को माफ करने का फैसला लिया|

पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ समर्थन का कड़ा विरोध करने वाले माकपा राज्य-समिति के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, पिछले वर्ष पार्टी नेतृत्व ने उदारवादी नीतियों और आपातकाल के दौरान कांग्रेस के अत्याचारों को भूल कर उनके साथ गठजोड़ करने को कहा। अब हमने भाजपा का रोकने के मद्देनजर गांधी को माफ करने का फैसला लिया है। शायद अगले साल पार्टी भाजपा को रोकने के लिए तृणमूल के साथ गठबंधन करने को कह दे। हालांकि पार्टी के शीर्ष नेताओं के फैसले का बचाव करते हुए पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने कहा कि कुछ फैसले बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखते हुए लिए गए हैं| फिर चाहे उनसे गुस्सा या असंतोष ही क्यों न उत्पन्न हो।

इसी तरह माकपा के राज्य सचिवालय के सदस्य नेपालदेब भट्टाचार्य ने कहा, जो पार्टी के फैसले का विरोध कर रहे हैं वह बंगाल को ध्यान में रखते हुए ऐसा कर रहे हैं। वह शायद अपने दृष्टिकोण से सही हों। लेकिन अगर आप भारत के हिसाब से देखेंगे तो आप समझ पाएंगे कि पार्टी के दृष्टिकोण से यह निर्णय एकदम सही है। गोपालकृष्ण गांधी दिसंबर 2004 से दिसंबर 2009 के बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे। माकपा नीत सरकार और राज्यपाल के बीच संबंध उस दौरान खराब हो गए क्योंकि गांधी ने तत्कालीन राज्य सरकार के सिंगूर में जबरन भू-अधिग्रहण करने के फैसले का विरोध किया था। इसके बाद वर्ष 2007 में नंदीग्राम में पुलिस की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत की घटना को लेकर भी गांधी ने तत्कालीन बुद्धदेव सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े किये थे।

Updated : 19 July 2017 12:00 AM GMT
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