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संभावना को संभव बनाता है शिक्षक: मुकुल कानिटकर

संभावना को संभव बनाता है शिक्षक: मुकुल कानिटकर
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मध्य भारत शिक्षा समिति के स्थापना दिवस पर ‘वर्तमान शिक्षा-भविष्य दृष्टि’ विषय पर हुआ व्याख्यान

ग्वालियर। शिक्षा में परिवर्तन और उसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए आज केवल दो ही बातों पर ध्यान देने की जरूरत है, जिनमें पहली बात शिक्षक की मानसिकता में परिवर्तन और दूसरी बात समाज में शिक्षक का सम्मान। समाज में एक शिक्षक ही है, जो संभावना को संभव बनाता है। मुख्य वक्ता की आसंदी से यह बात भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने शुक्रवार को मध्य भारत शिक्षा समिति के 77वें स्थापना दिवस पर भारतीय पर्यटन एवं प्रबंधन संस्थान (आईआईटीटीएम) सभागार में ‘वर्तमान शिक्षा-भविष्य दृष्टि’ विषय पर अपने व्याख्यान में कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद प्रभात झा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में आईआईटीटीएम के निदेशक डॉ. संदीप कुलश्रेष्ठ एवं मध्य भारत शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र बांदिल उपस्थित थे।
श्री कानिटकर ने कहा कि राष्ट्र में जब तक शिक्षक का सम्मान था, तब तक भारत परतंत्र नहीं हुआ। समाज में जब तक शिक्षक को सम्मान नहीं मिलेगा। जब तक शिक्षक स्वयं के शिक्षक होने पर अपने आपको गौरवान्वित महसूस नहीं करेगा, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता ठीक नहीं हो सकती। उन्होंने शिक्षक का दायित्व मिलने को तीन गुना पुण्यों का प्रताप बताते हुए कहा कि मां केवल शरीर को जन्म देती है, जबकि शिक्षक व्यक्तित्व को जन्म देता है, इसलिए शिक्षक मां से भी बड़ा होता है। शिक्षक के आचरण से शिक्षा मिलती है, इसलिए भारतीय संस्कृति में शिक्षक को आचार्य कहा गया है। श्री कानिटकर ने कहा कि जहां शिक्षक को पढ़ाने में रस नहीं, छात्रों को पढ़ने में रस नहीं, वहां सरस्वती नहीं आ सकती तो फिर शिक्षा में गुणवत्ता कैसे आएगी, इसलिए शिक्षा आनंद केन्द्रित और आचार्य केन्द्रित होना चाहिए। ऐसी शिक्षा केवल गुरुकुल ही दे सकते हैं। आने वाला समय गुरुकुलों का है। भाशिमं ने इसकी शुरुआत सावरमती में गुरुकुल की स्थापना के साथ कर दी है। अगले एक दशक बाद गुरुकुल शिक्षा मुख्य धारा बनेगी और पूरा विश्व गुरुकुल शिक्षा की ओर भागता नजर आएगा।

श्री कानिटकर ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा के लिए सबसे बड़ी समस्या आचार्यों की है। अगले पांच सालों में हमें 500 आचार्य तैयार करना हैं। गुरुकुल शिक्षा के माध्यम से भारत को एक बार फिर विश्व गुरु के सिंहासन पर आसीन करना है। उन्होंने उपस्थित लोगों से आचार्य बनने का आव्हान करते हुए कहा कि युग परिवर्तन के लिए यह सबसे बड़ा अवसर है। उन्होंने विश्वास भरे शब्दों में कहा कि भारत तेजी से बदल रहा है, इसलिए निराश होने का कोई कारण नहीं है। आज प्राथमिक शिक्षा में छह साल तक के बच्चों की प्रवेश संख्या 95 प्रतिशत है। आज गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है। ये आंकड़ा भारत की बदलती मानसिकता का परिचायक है, इसलिए आज स्कूलों में बच्चों की संख्या पर नहीं बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. संदीक कुलश्रेष्ठ ने कहा कि आज का विद्यार्थी यह सोचने के लिए मजबूर हो रहा है कि वह जो शुल्क दे रहा है, क्या उसे उसका प्रतिफल मिल रहा है, इसलिए शिक्षक वर्ग को सोचना पड़ेगा कि इस देश को आगे बढ़ाने में वह क्या भूमिका निभा सकते हैं। मध्य भारत शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र बांदिल ने एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि मिट्टी में खेलने से बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, लेकिन हमने घरों को इतना सुन्दर बना दिया है कि बच्चों के खेलने के लिए दूर-दूर तक मिट्टी बची ही नहीं है। हमने शिक्षा तंत्र से खेलों को भी गायब कर दिया है। इस तरह हम बच्चों को रोगी बना रहे हैं। आज हमारे छात्र भारतीयता और व्यवहार शून्य शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। शोध शून्य पीएचडी की डिग्री लेने वालों की लाइन लगी हुई है। व्यापमं हम सभी के सिर पर छाया हुआ है। डिग्रियां चंद पैसों में बिक रही हैं। क्या शिक्षा का यह रूप उचित है। इस पर चिंतन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मध्य भारत शिक्षा समिति अपनी शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से व्यवसाय को भुलाकर केवल विद्यार्थियों को एक अच्छी शिक्षा और एक अच्छा व्यवाहर देने का प्रयास कर रही है।

लोकतंत्र का पाठ्यक्रम भी हो शिक्षा में: प्रभात झा

अध्यक्षीय उद्बोधन में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने कहा कि पूरी दुनिया में लोकतंत्र का पाठ्यक्रम नहीं है, लेकिन हां, मौखिक रूप से लोकतंत्र का एक पाठ्यक्रम जरूर चलता है और वह यह है कि हम यदि विरोध में हैं तो हमें सत्ता में कैसे आना है और यदि हम सत्ता में हैं तो विरोध या विपक्ष को कैसे कुचलना है। उन्होंने कहा कि जो देश लोकतंत्र के पाठ्यक्रम के बिना ही चल रहे हैं, वे खतरे में हैं। मेरा विचार है कि मैं निकट भविष्य में इस विषय पर दिल्ली में वृहद स्तर पर एक सेमीनार आयोजित करूं। मैं चाहता हूं कि भारतीय राजनीति बिना पाठ्यक्रम के न चले। श्री झा ने शिक्षा के भारतीयकरण की पैरवी करते हुए कहा कि हम पाठ्यक्रमों में भारत का पृष्ठ तलाशते हैं, लेकिन वह नहीं मिलता। आज जरूरत इस बात की है कि हम राष्ट्र को शिक्षा प्रणाली से जोड़ें क्योंकि राष्ट्रीयता का बोध न होना राष्ट्रीयता को कमजोर करता है। इस दौरान श्री झा ने मध्य भारत शिक्षा समिति द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों के विकास में अपनी ओर से भी और मध्यप्रदेश के अन्य चार राज्यसभा सांसदों की ओर से भी हरसंभव आर्थिक मदद दिलाने का आश्वासन दिया।

वरिष्ठ सदस्यों व सेवानिवृत्त कर्मचारियों का किया सम्मान

कार्यक्रम में मध्य भारत शिक्षा समिति के वरिष्ठ सदस्यों एवं समिति द्वारा संचालित माधव महाविद्यालय एवं पार्वती बाई गोखले विज्ञान महाविद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का सम्मान भी किया गया, जिनमें समिति के पूर्व उपाध्यक्ष सदाशिव शंकर इंदापुरकर, सदस्य ओमप्रकाश गुप्ता, सेवानिवृत्त प्राध्यापक चन्द्रदेव अष्ठाना, सहायक प्राध्यापक डॉ. के.के. माहेश्वरी, सहायक प्राध्यापक डॉ. आर. तिवारी, सहायक प्राध्यापक डॉ. रमा दीक्षित, लिपिक लक्ष्मीनारायण सैन्या, लिपिक शिरीष सावरकर, लिपिक राजेश दीक्षित, भृत्य रमेश कुशवाह एवं महेश बाबू सोनी शामिल हैं। इन सभी को शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। प्रारंभ में आर.एस. शर्मा, प्रांशु शेजवलकर, नरेन्द्र कुंटे, राजेन्द्र वैद्य, डॉ. के.के. कल्याणकर, आनंद करारा ने शॉल व श्रीफल भेंटकर अतिथियों का स्वागत किया। अंत में सभी अतिथियों को प्राचार्य सुनील पाठक, प्रदीप वाजपेयी, विवेक भदौरिया, नीति पाण्डे, नरेश अग्रवाल, अल्पना करकरे ने स्मृति चिन्ह भेंट किए। प्रारंभ में स्वागत भाषण एवं वार्षिक प्रतिवेदन मध्य भारत शिक्षा समिति के सचिव डॉ. राकेश कुशवाह ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन नीति पाण्डे एवं त्रिष्टुप चंसौलिया ने तथा आभार प्रदर्शन कार्यक्रम संयोजक नरेन्द्र कुंटे ने किया। इससे पहले कार्यक्रम का प्रारंभ बाबा साहब सदाशिव गणेश गोखले के चित्र पर दीप प्रज्जवलन एवं सुमधुर सरस्वती वंदना से किया गया। अंत में राष्ट्रगान वंदेमातरम के गायन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के विभिन्न विद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षक, शिक्षाविद्, प्रबुद्धजन एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

Updated : 22 July 2017 12:00 AM GMT
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