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विदाई समारोह : संसद में कामकाज के घटते स्तर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने जताई चिंता

विदाई समारोह : संसद में कामकाज के घटते स्तर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने जताई चिंता
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नई दिल्ली।
अपने कार्याकाल के आखिरी दिन की पूर्व संध्या पर संसद भवन में आयोजित विदाई समारोह में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसद में कम हो रहे कामकाज पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि संसद में कामकाज कम हो रहा यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि 13वें राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर संसद में 37 साल का सफर ख़त्म हुआ था, फिर भी जुड़ाव वैसा ही रहा।

रविवार को राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी का विदाई समारोह संसद के केंद्रीय कक्ष में हुआ। मुखर्जी को विदाई देने के लिए आयोजित समारोह में लोकसभा एवं राज्‍यसभा के सदस्‍य शामिल हुए। समारोह में लोकसभा अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय मंत्रिमंडल समेत विपक्षी पार्टियों के नेता मौजूद रहे।

लोकसभा अध्यक्ष ने मुखर्जी को सांसदों द्वारा हस्‍ताक्षरित एक पुस्‍तक भेंट की। साथ ही समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि अगर मैं यह दावा करूं कि मैं इस संसद की रचना हूं तो शायद इसे अशिष्‍टता नहीं समझा जाएगा। मुझे लोकतंत्र के इस मंदिर ने, इस संसद ने तैयार किया है । मुखर्जी ने कहा कि संसद में मेरा करियर इंदिरा गाँधी से प्रभावित रहा। मैंने 22 जुलाई 1969 को पहली बार राज्यसभा सत्र में हिस्सा लिया था। तब से संसद में 37 साल का सफर 13वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने के बाद ख़त्म हुआ था, फिर भी संसद में मेरा जुड़ाव पहले जैसा ही रहा ।

राष्ट्रपति ने कहा कि संसद में पक्ष और विपक्ष में बैठते हुए मैंने समझा कि सवाल पूछना और उनसे जुड़ना कितना ज़रूरी है। जब संसद में किसी व्यवधान की वजह से कार्रवाई नहीं हो पाती तो लगता है कि देश के लोगों के साथ गलत हो रहा है। मैंने बहुत से बदलाव देखे, हाल ही में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का लागू होना भी गरीबों को राहत देने की दिशा में बड़े कदम का उदाहरण है।

इससे पूर्व समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने राष्ट्रपति के राजनीतिक जीवन की चर्चा करते हुए कहा कि जन महत्त्व के मुद्दों पर आपकी नज़र हमेशा रही और यही आपके सम्मान को बढ़ाता है। राष्ट्रपति बनने से पहले आप विश्व के सर्वश्रेष्ठ विदेश मंत्री रहे और पद्म विभूषण का सम्मान भी प्राप्त किया। इतना ही नही, आपने विविधता में एकता को हमारी ताक़त माना है और आप चिंतक भारत में विश्वास रखते हैं, न कि असहनशील भारत में। आपका राजनीतिक सफर हम सभी को हमेशा सबक देता रहेगा।

वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ने विदाई भाषण में कहा कि राष्ट्रपति से ज़्यादा लेखक और चिंतक के रूप में आपने हमेशा मार्गदर्शन किया है। उन्होंने मुखर्जी के कार्यकाल की सराहना करते हुए कहा आपने राष्ट्रपति भवन का लोकतांत्रीकरण किया है और इसके लिए कई कदम उठाए हैं। हमें आशा है कि आप हमेशा देश के हित के लिए हमारे सहायक की भूमिका में रहेंगे।

भारत के 13वें राष्ट्रपति के तौर पर मुखर्जी सोमवार को अपने उत्तराधिकारी राम नाथ कोविंद को इस पद का दायित्व सौंपेंगे।

Updated : 23 July 2017 12:00 AM GMT
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