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दूसरे मेडिकल कालेज के चिकित्सक बचा रहे बीआरडी में भर्ती मासूमों की जान

दूसरे मेडिकल कालेज के चिकित्सक बचा रहे बीआरडी में भर्ती मासूमों की जान
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गोरखपुर। बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत से खौफजदा सरकार अब ज्यादा सतर्कता बरतने लगी है। नियोनेटल वार्ड में वार्मर की कमी को पूरा करने के लिए 15-15 वार्मर केंद्र व राज्य सरकार ने उपलब्ध कराए हैं। इतना ही नहीं, दूसरे मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों की टीम को बीआरडी मेडिकल कालेज से सम्बद्ध कर इलाज कराया जा रहा है। दो दर्जन चिकित्सकों को बीआरडी से संबद्ध किया गया है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लगातार हो रही बच्चों की मौत पर जागी सरकार अब चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है। ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों और संसाधन की कमी का भी मामला सामने आया था। हालांकि, ऑक्सीजन की सप्लाई सुचारू होने के बाद भी मौतों में कोई कमी नहीं आयी। सबसे भयावह स्थिति नियोनेटल में रही। यहां केवल 8 महीने में 1100 के आसपास नवजातों ने दम तोड़ा है। मेडिकल कॉलेज में इन्सेफेलाइटिस से हुई मासूमों की मौतों की तुलना में मौत का यह आंकड़ा छह गुना अधिक है।

मौतों पर घिरी सरकार अब अन्य मेडिकल कॉलेजों से चिकित्सकों भेज रही है। कुछ दिनों पूर्व यहां 12 चिकित्सकों को तैनाती मिली थी। छह चिकित्सकों की दूसरी टीम रविवार को बीआरडी पहुंची। कुछ और चिकित्सकों के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। मेडिकल कॉलेज के सूत्रों की मानें तो जालौन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आरपी सिंह की अगुवाई में 10 चिकित्सकों की टीम इनमें शामिल है। ये लोग अपना काम संभाल चुके हैं।

नियोनेटल वार्ड का भी विस्तार जारी है। दो और कमरों का विस्तार नियोनेटल आईसीयू (एनआईसीयू) के रूप में हो रहा है। 46 अतिरिक्त वार्मर की व्यवस्था भी हुई है। इसमें केंद्र सरकार ने 15 व राज्य सरकार ने 15 वर्मर्स उपलब्ध कराया है। जिला महिला अस्पताल से डीएम ने मेडिकल कॉलेज को 8 वार्मर भेजवाया है। 8 वार्मर बांदा मेडिकल कॉलेज से भी उधर लिया गया है। गोरखपुर स्थित मेडिकल कालेज में पहले से ही 14 वार्मर उपलब्ध थे।

जानकारों की मानें तो मेडिकल कॉलेज में संसाधन की कमी पूरा नहीं होने तक स्थिति असामान्य ही रहेगी। चिकित्सकों व ट्रेंड स्टॉफ की कमी सबसे बड़ी त्रासदी है। मेडिकल कॉलेज के सीनियर स्टॉफ का मानना है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सारी व्यवस्थाएं स्थायी होनी चाहिए।

Updated : 4 Sep 2017 12:00 AM GMT
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