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कालेजों में रेगिंग से छात्र हलाकान, जिम्मेदार मौन

झांसी। शिक्षण संस्थाओं में रेगिंग बंद नहीं हो पा रही है। जब कि रैगिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन धरातल पर अभी रैगिंग जोरों पर चल रही है। पॉलीटेक्निक कालेज में आये दिन मारपीट की घटनायें रैगिंग को लेकर होती रहती है। वहीं मेडिकल कालेज में रैंगिग के त्रस्त एक छात्र ने अपनी पीड़ा को व्यक्त किया है। यहां तक वहां की लचर प्रशासनिक व्यवस्था का भी उसने जिक्र किया है।

रैगिंग पर रोक सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहुत पहले लगाई गई है। यहां तक कालेजों में एंटी रैगिंग स्काट बनाये गये, फिर कालेजों में रैगिंग की घटनाएं आए दिन सुनने को मिलती है। पालीटेक्निक कालेज में अक्सर रैगिंग की वारदात होती रहती है। सीनियर छात्र जूनियर के साथ बहुत बुरा बर्ताव करते हैं। अगर कोई जूनियर बाहर मिल जाए तो उसके साथ मारपीट की जाती है। उनके उपर कालेज प्रशासन लगाम लगाने में असमर्थ है। इसी प्रकार महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज में भी रेगिंग का चलन तेजी से फलफूल रहा है। मेडिकल जैसे कालेज में इस प्रकार का बर्ताव अजीब सा लगता है। एक छात्र ने अपनी पीड़ा को बया करते हुए बताया कि वह मेडिकल के प्रथम वर्ष का छात्र है। जब प्रवेश लिया तो बड़ी खुशी हुई कि वह डाक्टर बनेगा। यहां आते ही कुछ दिनों में सभी सपने चकनाचूर हो गये। उसे रैगिंग का देश झेलना पड़ रहा है। छात्र के अनुसार सीनियर छात्र बहुत ही अभद्रता से पेश आते हैं।
यहां तक अनायास की गालियां बकते हैं। जब गार्ड और अन्य जिम्मेदारों से बात की जाती है तो उनका कहना होता है कि कालेज में पढना है तो रेगिंग करनी ही पड़ेगी। कोई जूनियर की पीड़ा को नहीं समझता है। छात्र का कहना है कि हालात यही रहे तो वह पढ़ाई छोड़ देगा। उसके मन में अब डाक्टर बनने की जिज्ञासा खत्म होती जा रही है। जब शासन से रैगिंग पर रोक लगी है तो आखिर क्यों नहीं पूरी तरह से इसे समाप्त किया जा रहा है। वहीं, मेडिकल कालेज प्रशासन ने छात्र की शिकायत को गंभीरता से लिया है। वहीं, एंटी रैगिंग स्काट को इसकी जांच सौंपी गई है। अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद दोषी पाये गये लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, कालेज में रैगिंग किसी भी छात्र के साथ नहीं होने दी जाएगी।

Updated : 5 Sep 2017 12:00 AM GMT
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