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वर्तमान गढ़ने का काम कर रही है संस्कार भारती

वर्तमान गढ़ने का काम कर रही है संस्कार भारती
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अलाव पर अलाप कार्यक्रम में 100 कलाकारों का सम्मान


ग्वालियर, न.सं.। हमारी संस्कृति विश्व में सबसे प्राचीन है। हमारी संस्कृति और परिवार व्यवस्था से विदेशी लोग भी प्रभावित हैं और वे इसे अपना भी रहे हैं। यह हमारे लिए गौरव की बात है। संस्कार भारती साहित्य, कला, संस्कारों को सहेजने के साथ युवाओं में संस्कार जगाकर वर्तमान गढ़ने का काम कर रही है। भाऊ साहब देवरस और बाबा योगेन्द्र जी जैसे मनीषियों ने अपने विचार, व्यक्तित्व, कृतित्व से आज संस्कार भारती को पूरे देश में जिस ऊंचाई पर पहुंचाया है, वह आज की आवश्यकता है। यह बात नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती मायासिंह ने बुधवार शाम को संस्कार भारती महानगर ग्वालियर द्वारा विद्या भारती, जयविलास परिसर, नदीद्वार, जयेन्द्रगंज में आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह एवं अलाव पर अलाप कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से कही।

इस अवसर पर अखिल भारतीय संस्कार भारती के संरक्षक बाबा योगेन्द्र जी ने कहा कि संगीत के मामले में ग्वालियर प्रसिद्ध है। इस साल ग्वालियर के टप्पा शैली के सिद्धहस्त कलाकार स्व. पं. बाला साहेब पूछवाले का जन्म शताब्दी वर्ष है। मैं चाहता हंू उनकी टप्पा गायकी पर एक वृहद प्रतियोगिता कराई जाए। ऐसे आयोजनों से कला साधक शक्ति जीवंत बनी रहगी। उन्होंने लोगों को जोड़ने पर जोर देते हुए कहा कि बुजुर्गों का काम परिवार को जोड़ने का होता है, इसलिए संस्कार भारती के बुजुर्ग सदस्य अधिक से अधिक कलाकारों को संगठन से जोड़ने का काम निरंरत करते रहें।

महापौर विवेक शेजवलकर ने कहा कि हमेशा कला साधना में रत रहते हुए संस्कृति और संस्कारों को आगे बढ़ाने में कलाकारों की बड़ी भूमिका है। ऐसे कला साधकों के बीच आने से मुझे शांति और सुकून मिलता है। उन्होंने स्व. कामतानाथ वैशम्पयान को याद करते हुए कहा कि संस्कार भारती को ऊंचाइयों पर ले जाने में उनका बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि समाज में कलाकार ऐसे व्यक्तित्व हैं, जो परमात्मा से विशेष प्रतिभा लेकर आए हैं, इसलिए हमारा यह प्रयास रहे कि स्वस्थ मनोरंजन हो, जिससे नई पीढ़ी को अच्छे संस्कार मिलते रहें। अपसंस्कृति से हमें बचने की जरूरत है। इस अवसर पर मंच पर संस्कार भारती के जिलाध्यक्ष डॉ. धीरेन्द्र सिंह चंदेल एवं महामंत्री दिनेश मिश्र भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में संगीत विश्वविद्यालय के डॉ. योगेन्द्र चौबे ने संस्कार भरती के संबंध में अपने अनुभव सुनाने के साथ कबीर नाटक के लिए तैयार किया गया गीत भी सुनाया, जिसके बोल थे- झीनी झीनी बीने रे चदरिया...। इसी क्रम में आशीष अग्रवाल एवं नरेश अहिरवार ने भी अपने अनुभव सुनाए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संस्कार भारती के कार्यकर्ता, कलाकार और कला प्रेमी नागरिक उपस्थित थे।

ऐ री सखी मंगल गाओ री...

अतिथियों के उद्बोधन से पहले ‘अलाव पर अलाप’ कार्यक्रम के तहत सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुर्इं, जिसकी शुरूआत रविन्द्र मंडल के निर्देशन में माधव महाविद्यालय के संगीत विभाग के छात्र-छात्राओं ने ध्येय गीत से की। इसके बाद छात्र-छात्राओं ने भजन की प्रस्तुति दी, जिसके बाल थे- जब-जब संत हैं आते, दुनिया को जगाते, जागो हुआ सेबेरा...। इसके बाद साजन शर्मा ने मंगल भजन प्रस्तुत किया, जिसके बोल थे- ऐ री सखी मंगल गाओ री, धरती अम्बर सजाओ री, आज मेरे पिया घर आए रे...। इसी क्रम में डॉ. नीतू प्रसाद ने तुलसीदास कृत भजन प्रस्तुत किया, जिसके बोल थे- ऐसो को उदार जगमाही... एवं दर्शन दो बनवारी हे गोविंद मुरारी युग युग से प्यासे दो नैना...। अंत में सुनीति बैस ने शेर-शायरी प्रस्तुत की। उनका एक शेर देखें- आके बैठे तो हैं आचमन के लिए, शुद्ध मन तो करें हम हवन के लिए...।

अतिथियों सहित कलाकारों का किया सम्मान

कार्यक्रम में नगरीय विकास मंत्री श्रीमती मायासिंह, महापौर विवेक शेजवलकर एवं बाबा योगेन्द्र जी सहित अंतर्राष्ट्रीय कलाकार ख्याल गायक सुमित्रा गुहा दिल्ली, बांसुरी वादक चेतन जोशी, धु्रपद गायक डॉ. रित्विक सान्याल बाराणसी, सितार वादक प्रो. सरोज घोस चंडीगढ़, तबला वादक पं. किरण देशपांडे एवं नाट्य कलाकार विपिन कुमार सिक्किम को शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर उनका सम्मान किया गया। सम्मान पत्र का वाचन अशोक आनंद ने किया। इनके अलावा स्थानीय कलाकारों का भी सम्मान किया गया। इस प्रकार कार्यक्रम में 100 कलाकारों को सम्मानित किया गया। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत संस्कार भारती के कार्यकारी प्रांत अध्यक्ष अतुल अधोलिया, दीप्ति मिश्रा, मोहन सिंह बैस, श्रीमती अनीता करकरे आदि ने किया। कार्यक्रम का संचालन चन्द्रपताप सिंह सिकरवार ने किया।

Updated : 11 Jan 2018 12:00 AM GMT
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