पदमावती फिल्म विवाद: हाईकोर्ट के समक्ष दिखाने के निर्देश
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जोधपुर। विवादित फिल्म पद्मावती का भले ही संजय लीला भंसाली ने नाम परिवर्तन कर पद्मावत कर दिया हो लेकिन इस फिल्म से विवाद का रिश्ता है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा।
राजस्थान उच्च न्यायालय के जस्टिस संदीप मेहता की कोर्ट में फिल्म निर्माता व निर्देशक संजय लीला भंसाली व अन्य की 482 की याचिका पर सुनाई करते हुए। कोर्ट ने इस फिल्म को कोर्ट के समक्ष आगामी 23 जनवरी से पूर्व प्रदर्शित करने के निर्देश दिए है। फिल्म निर्माता व निर्देशक संजय लीला भंसाली, फिल्म अभिनेता रणवीरसिंह व अभिनेत्री दीपिका पादूकोण पर नागौर के डीडवाणा के थाने में एक एफआईआर आईपीसी की धारा 153 ए व 295 ए में दर्ज की गई थी। इस एफआईआर को रद्द करवाने के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय में 482 की एक याचिका पेश की।
जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट में यह दलील दी कि ना ही तो फिल्म प्रदर्शित की गई है और ना ही उसका टेलर रिलीज किया गया है। फिल्म को प्रदर्शन करने से पूर्व सिनेमाटोग्राफी अधिनियम 1952 के तहत बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन सेक्शन 5 ए के तहत सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। जिस पर कोर्ट के कहा कि चूंकि एफआईआर में फिल्म में भद्दे सीन और इतिहास के साथ छेड़छाड़ का आरोप है इसलिए कोर्ट इस एफआईआर को निरस्त फिल्म को देखे बगैर कैसे कर सकती है। इसलिए आगामी 23 जनवरी या उससे पूर्व इस फिल्म को कोर्ट के समक्ष दिखाए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता निशांत बोड़ा ने पैरवी की वहीं सरकार की ओर से जे पी भारद्वाज ने पक्ष रखा। विरेन्द्रसिंह व नागपालसिंह ने यह एफआईआर दर्ज करवाई थी। कोर्ट के आदेश पर अधिवक्ता ने कोर्ट को कहा कि वह निर्माता संजय लीला भंसाली से पूछकर बताएंगे कि कब फिल्म का प्रदर्शन कोर्ट के समक्ष केरेंगे।