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सम्मान को विष की तरह लें: तारे

सम्मान को विष की तरह लें: तारे
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सिंधु सभा संगोष्ठी व युवा समाजसेवी सम्मान समारोह का हुआ आयोजन


ग्वालियर, न.सं.। समाज जीवन में कार्य करते समय सम्मान की अपेक्षा या आकांक्षा विष के समान है जबकि अपमान अमृत के समान है। आज सम्मानित समाजसेवी अभिनंदनीय हंै। पर वे सम्मान से प्रभावित न हों, इसे विष की तरह लें। यह बात मुख्य वक्ता की आसंदी से स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे ने स्वामी विवेकानंद जयन्ती के अवसर पर राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय सिंधु सभा की युवा शाखा द्वारा आयोजित संगोष्ठी व युवा समाजसेवी सम्मान में कही। कार्यक्रम का आयोजन नई सड़क स्थित राष्ट्रोत्थान न्यास भवन में शुक्रवार को किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सिंधु हिन्दु जनरल पंचायत ग्रेटर ग्वालियर के अध्यक्ष सुदामालाल पहिलाजवानी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में एमआईसी सदस्य खेमचंद गुरवानी उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय सिंधु सभा युवा शाखा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश वाधवानी ने की। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 11 युवाओं का सम्मान शॉल व स्मृति चिन्ह से किया गया। स्वागत भाषण श्रीचन्द जैसवानी ने दिया। संगोष्ठी का विषय ‘स्वामी विवेकानन्द युवाओं के सर्वकालिक प्रेरणा स्त्रोत’ था।

कार्यक्रम की शुरूआत भारतीय सिंधु सभा के ध्येय गीत एवं स्वामी विवेकानन्द के चित्र पर माल्यार्पण कर की गई। श्री तारे ने कहा कि हम लोग सामाजिक जीवन में हैं। हमारे यहां भारतीय दर्शन में सेवा का अत्यंत महत्व है। भारतीय दर्शन में कहा गया है कि अगर हम दाएं हाथ से भी कुछ देते हैं तो बाएं हाथ को खबर ना हो। हमें इस रूप में दान करना चाहिए। श्री तारे ने कहा कि सम्मान कहीं न कहीं विष के समान है जो हमें आगे बढ़ने से रोकता है। आपने कहा कि रेल में मोहनदास करमचंद गांधी का अपमान नहीं होता तो वह आज गांधी नहीं होते। धनानंद राजा ने जब चाणक्य का अपमान किया तभी चाणक्य बने। स्वामी विवेकानंद जी को भी कई जगह अपमान झेलना पड़ा। तभी आज हम इन विभूतियों को जान पा रहे हैं। आपने कहा कि अपमान को अमृत की तरह लें। श्री तारे ने युवा शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि युवा अगर अनियंत्रित हो जाए तो यह तूफान तक ला सकता है। अत: हमें युवा शक्ति को सहेजने की आवश्यकता है।

श्री तारे ने स्वामी विवेकानंद जी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके पीछे चरित्र व साधना थी तभी वह शिकागो में मंच पर भाषण से पहले अद्भुत शब्द ‘मेरे प्यारे भाइयों और बहिनों’ बोल पाए जिस पर वह हॉल लगातार दो मिनट तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। श्री तारे ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के जीवन का जीवन दर्शन अद्भुत है। हमें उनका सिर्फ पूजन नहीं करना चाहिए अपितु स्वयं को उनके समान बनाने का प्रयास करना है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से सुदामालाल पहिलाजवानी ने स्वामी विवेकानन्द जी के जीवन चरित्र पर बोलते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद एक संत के रूप में थे। स्वामी जी वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरू थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजेश वाधवानी ने कहा कि अगर हम भी स्वामी जी के वचनों को आत्मसात कर लें तो महापुरूष की श्रेणी में आ सकते हैं। इसी के साथ हम समाज, राष्ट्र और विश्व को श्रेष्ठ दिशा में ले जा सकते हैं। उन्होंने इस अवसर पर स्वामीजी की चार बातें आत्मसंयम, सेवा, त्याग और बल पर भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर भारतीय सिंधु सभा युवा शाखा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक श्रीचन्द जैसवानी, प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश बत्रा, भारतीय सिंधु सभा महिला शाखा की अध्यक्ष भावना गुरू वक्षाणी, मुख्य शाखा अध्यक्ष शंकरलाल कारड़ा, सुभाष बत्रा, केशव हेमराजानी एवं सपना पंजवानी सहित कई गणमान्यजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन भा.सि.स.युवा शाखा के महामंत्री धीरज दिसेजा ने किया।

इनका हुआ सम्मान

इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने पर कमल किशोर सेतपालानी समाज सेवा, निर्मल संतवानी रक्तदान, निशिकांत मोघे समाजसेवा , मेघा गुप्ता मूक बधिर बच्चों को प्रशिक्षण, विजेता सिंह चौहान महिला सशक्तीकरण, उमर कुरैशी शिक्षा के प्रति जागरूक करना, अमित द्विवेदी पुस्तकालय स्थापना, मनीष मांझी, मांझी समाज के लिए सेवा कार्य, सरदार गुरमोहन नेशनल अवार्ड विजेता, केयर अवेयर फाउण्डेशन ट्रस्ट बीमार लोगों की सेवा एवं तरूण प्रेमानी को पत्रकारिता हेतु सम्मानित किया गया।

Updated : 13 Jan 2018 12:00 AM GMT
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