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राष्ट्र विरोधी विचार रखने वालों को दें तर्कपूर्ण जवाब: ठाकुर

राष्ट्र विरोधी विचार रखने वालों को दें तर्कपूर्ण जवाब: ठाकुर
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-समसामयिक मुद्दों पर नागरिक पत्रकारिता की भूमिका विषय पर हुई कार्यशाला
-तात्कालिक पत्र व समाचार लेखन प्रतिस्पर्धा के विजेताओं का किया सम्मान
ग्वालियर| सोशल मीडिया ने आज हर व्यक्ति को पत्रकार बना दिया है। आज हर व्यक्ति सोशल मीडिया का उपयोग कर अपने विचार रखता है। चूंकि आज राष्ट्रीय विचार और राष्ट्र विरोधी विचार के बीच जो संघर्ष चल रहा है, उसमें एक तरफ बे्रकिंग इंडिया वाले हैं तो दूसरी तरफ मेकिंग इंडिया वाले हैं। विचारों के इस संघर्ष में सोशल मीडिया पर राष्ट्र विरोधी विचार रखने वाले ज्यादा सक्रिय हैं। इस संघर्ष में नागरिक पत्रकारिता की बड़ी भूमिका हो सकती है। सोशल मीडिया पर प्रभावी तरीके से राष्ट्रीय और सकारात्मक विचार ज्यादा चलें। तर्क पूर्ण और तथ्यों के आधार पर नकारात्मक विचार का तुरंत जवाब मिले। इसके लिए हमें पत्रकारिता के सभी माध्यमों का उपयोग करने के साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षण देने की जरूरत है।

यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर ने मामा माणिकचन्द वाजपेयी स्मृति सेवा न्यास ग्वालियर द्वारा रविवार को ग्वालियर के मूर्धन्य पत्रकार, राष्ट्रवादी चिंतक एवं समाजसेवी स्व. मामा माणिकचन्द वाजपेयी की स्मृति में नई सड़क स्थित माधव महाविद्यालय के सामने राष्ट्रोत्थान न्यास भवन के विवेकानंद सभागार में आयोजित प्रदेश स्तरीय पत्र लेखन एवं नागरिक पत्रकारिता सम्मान समारोह तथा कार्यशाला में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर उपस्थित थे। अध्यक्षता न्यास के अध्यक्ष दीपक सचेती ने की।

समसामयिक मुद्दों पर नागरिक पत्रकारिता की भूमिका विषय पर अपने विचार रखते हुए मुख्य वक्ता श्री ठाकुर ने कहा कि सोशल मीडिया पर नकारात्मक बातें ज्यादा चलती हैं। देश और समाज के विरोध में जो खबरें वायरल होती हैं, उनकी चर्चा ज्यादा होती है। उन्होंने बैंगलौर में हुई पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि इस हत्या की घटना के तुरंत बाद बड़ी तेजी से इस आशय की खबरें वायरल होने लगीं कि गौरी लंकेश की हत्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कराई है, लेकिन जब अपराधी पकड़े गए और जो सच्चाई सामने आई तो उसकी कतर्इं चर्चा नहीं हुई। इसी प्रकार वर्ष 2014 में देश विरोधियों की ओर से पहली बार असहिष्णुता शब्द आया और पूर्व तैयारी के साथ इसको लेकर सोशल मीडिया पर खबरें चलीं। ऐसे में राष्ट्रीय विचारों को प्रभावी तरीके से चलाने की जरूरत है। पत्रकारिता के सभी माध्यमों में राष्ट्रीय विचार हावी होना चाहिए। राष्ट्र विरोधी विचार रखने वालों की क्या तैयारी है, उसे समझकर हमें अपनी तैयारी करना होगी।

श्री ठाकुर ने कहा कि जो लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पत्रकारिता से जुड़े हैं। ऐसे लोगों को जोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचार विभाग पत्र लेखन, समाचार लेखन, फोटो पत्रकारिता, सोशल मीडिया का प्रशिक्षण देकर नागरिक पत्रकारिता को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। उन्होंने मामा जी को याद करते हुए कहा कि मामा जी से मेरा कभी सीधा परिचय तो नहीं हुआ, लेकिन सौभाग्य से इन्दौर में उनकी स्मृति में आयोजित ऐसे ही एक कार्यक्रम में उनके संस्मरण सुनने को मिले। ऐसे विराट व्यक्तित्व को स्मरण करना और उनके दिखाए मार्ग पर चलना, यह हम सभी के जीवन का सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि पत्र लेखन का भी बड़ा महत्व है, लेकिन यह विधा धीरे-धीरे समाप्त हो रही है क्योंकि आज अपनी बात रखने के लिए मोबाइल, वाट्सएप, फेसबुक आदि नए माध्यम आ गए हैं। ऐसे में एक समय ऐसा आएगा, जब नई पीढ़ी को म्यूजियम के अंदर बताना पड़ेगा कि पत्र ऐसा होता है। ऐसे में इस प्रकार के पत्र लेखन स्पर्धा के आयोजन होते रहना चाहिए। न्यास पिछले 12 सालों से यह प्रशंसनीय कार्य करता आ रहा है। इससे निश्चित रूप से अनेक पत्र लेखक तैयार हुए होंगे। पत्र लेखन के साथ हमें बांकी तीन माध्यमों ‘समाचार लेखन, फोटो पत्रकारिता और सोशल मीडिया’ से जुड़े लोगों को भी अपने साथ जोड़कर सभी को सामूहिक रूप से संगठित करने का प्रयास करना चाहिए।
इनका हुआ सम्मान
प्रारंभ में ‘स्वामी विवेकानंद और युवाओं के लिए उनकी सोच’ विषय पर तात्कालिक पत्र लेखन एवं ‘स्वच्छ भारत और ग्वालियर महानगर’ विषय पर समाचार लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की गर्इं। पत्र लेखन में अमित सिंह कटारिया प्रथम, ज्योति दौहरे द्वितीय, समाचार लेखन में विनोद दुबे प्रथम, गौरव वाजपेयी द्वितीय स्थान पर रहे। आमंत्रित सर्वश्रेष्ठ पत्र लेखन प्रविष्टियों में उदयभान रजक प्रथम, वीरेन्द्र सिंह विद्रोही द्वितीय, रमेश कटारिया तृतीय, सर्वश्रेष्ठ स्तम्भ लेखन में जावेद खान, सर्वश्रेष्ठ फोटो पत्रकारिता में मनीष शर्मा, आॅनलाइन स्पर्धा में ट्यूटर पर अतुल गर्ग एवं यूट्यूब वीडियो में देवाशीष सोनी प्रथम स्थान पर रहे। इन सभी को अतिथियों द्वारा शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। प्रारंभ में अतिथियों ने मामा जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात पियूष ताम्बे ने राष्ट्रगीत वंदेमातरम प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत दीपक भार्गव, दिनेश चाकणकर, डॉ. निशांत शर्मा ने किया। कार्यक्रम की प्रस्तावना कार्यक्रम संयोजक सुधीर शर्मा ने रखी। अंत में न्यास के अध्यक्ष दीपक सचेती ने अतिथियों को शॉल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह भेंटकर उनका सम्मान किया। कार्यक्रम में अतिथियों ने हिन्दू गर्जना विशेषांक का विमोचन भी किया । कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम सह संयोजक राजेश वाधवानी ने किया। अंत में स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्ध नागरिक एवं पत्रकारिता और पत्र लेखन से जुड़े लोग उपस्थित थे।
कमल के समान था मामा जी का जीवन: पराड़कर
‘कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हंसे हम रोये, ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे जग रोये।’ संत कबीरदास जी की इन पंक्तियों के साथ मुख्य अतिथि अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने मामा माणिकचन्द वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि व्यक्ति को जीवन में अच्छे कर्म करना चाहिए, ताकि जब वह इस संसार से जाए तो लोग उसे अच्छे कर्मों के लिए हमेशा याद करें। उन्होंने कहा कि व्यक्ति की बात में तब दम आता है, जब उसका आचरण और चरित्र श्रेष्ठ हो। मामा जी एक ऐसा व्यक्तित्व थे, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि कमल का पत्ता, जो पानी में डूबा रहता है, उसे बाहर निकालो तो उस पर पानी की एक बूंद भी नजर नहीं आती है। मामा जी का जीवन भी ऐसा ही था। उन पर एक भी दाग नहीं लगा। श्री पराड़कर ने कहा कि एक बड़े समाचार पत्र का संपादक होना, बड़े-बड़े लोगों से परिचय होना और उनसे किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ न लेना, यह किसी के लिए आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी न तो किसी के पैर छूते थे और न ही किसी से अपने पैर छुलवाते थे, लेकिन वे मामा जी का सम्मान करते थे और उनके पैर भी छूते थे। अटल जी से इतना गहरा रिश्ता होने के बाद भी मामा जी तीन साल तक दिल्ली में रहे, लेकिन कभी अटल जी से मिलने नहीं गए। उन्होंने कहा कि शिक्षा और चिकित्सा पवित्र क्षेत्र माने जाते हैं। पत्रकारिता जगत भी इससे बाहर नहीं है। मामा जी ग्रहस्थ थे, लेकिन उन्होंने न तो अपना मकान बनाया और न ही संपत्ति एकत्रित की। उनके पास साइकिल भी अपनी नहीं थी। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में एक आदर्श स्थापित किया। उन्होंने कहा कि पत्र लेखक मंच भी मामा जी की ही देन है। पत्र लेखन के माध्यम से मामा जी ने अगली पीढ़ी को दिशा देने का काम किया। पत्र लेखकों का सम्मान भी उन्हीं के सामने शुरू हो गया था। न्यास ने इसे और विस्तृत रूप में आगे बढ़ाया है। हम मामा जी का हमेशा स्मरण करते रहें। आदर्शों से भरा उनका जीवन हम सभी को निरंतर प्रेरणा देता रहेगा।

न्यास ने किया आॅनलाइन स्पर्धा का नया प्रयोग
मामा माणिकचन्द वाजपेयी स्मृति सेवा न्यास द्वारा इस बार आॅनलाइन स्पर्धा का नया प्रयोग शुरू किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए न्यास के नितिन शुक्ला ने बताया कि आॅनलाइन स्पर्धा में ओमान से शिखा अग्रवाल, अमेरिका से पुष्पेन्द्र त्रिपाठी के अलावा जर्मनी सहित भारत के विभिन्न राज्यों से कई लोगों ने वाट्सएप, ट्यूटर, यूट्यूब, फेसबुक आदि के माध्यम से अपनी भागीदारी की।

Updated : 15 Jan 2018 12:00 AM GMT
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