Home > Archived > कार्रवाई के दौरान बंद हुईं क्लीनिक फिर से खुलीं

कार्रवाई के दौरान बंद हुईं क्लीनिक फिर से खुलीं

कार्रवाई के दौरान बंद हुईं क्लीनिक फिर से खुलीं
X

ग्वालियर, न.सं.। शहर में इन दिनों झोलाछाप चिकित्सकों के विरूद्ध की जा रही छापेमार कार्रवाई सवालों के घेरे में है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खाना-पूर्ती की जा रही है, जिसके चलते शहर में झोलाछाप चिकित्सक बैखोफ अपनी क्लीनिक संचालित कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं। जिसका उदाहरण स्वास्थ्य विभाग द्वारा सील की गई झोलाछाप क्लीनिकों को देख कहा जा सकता है। स्वास्थ्य महकमे द्वारा विगत माह झोलाछाप चिकित्सकों के खिलाफ अभियान चलाया गया, जिसके अंतर्गत शहर की तमाम क्लीनिक को सील भी किया गया। कार्रवाई के दौरान कई क्लीनिकों में ऐसे चिकित्सक सामने आए जिनके पास न तो डिग्री थी और न ही पंजीयन। उसके बाद भी झोलाछाप चिकित्सक एलौपैथी दवाओं का इस्तेमाल करते हुए पकड़े गए थे, जो गैरकानूनी है। इसी के चलते स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित किए गए दलों ने कई क्लीनिकों को सील भी किया, लेकिन कार्रवाई के बाद भी बैखोफ झोलाछाप चिकित्सक क्लीनिकों की सील खोल कर अपनी क्लीनिक चला कर मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं। वहीं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.जादौन सील हुई क्लीनिकों के खुलने पर अपना पल्ला झाड़ते हुए प्रशासन को जिम्मेदार बता रहे हैं। डॉ. जादौन का कहना है कि शहर में की जा रही कार्रवाई के दौरान जिला प्रशासन का सहयोग नहीं मिल रहा है, जिस कारण इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है। लेकिन जो क्लीनिकें खुल गई हैं, उनकी जांच करवा कर धारा 188 के तहत कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग की आयुक्त ने सीएमएचओ को पत्र लिखते हुए निर्देश दिए थे कि 31 दिसम्बर तक झोलाछाप चिकित्सकों पर सघन अभियान चला कर सख्त कार्रवाई की जाए। उसके बाद भी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दिखावा किया गया।

29 दिनों में सिर्फ 14 क्लीनिकों को ही कर सके सील

जिलाधीश के निर्देशों पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा 3 दिसम्बर को झोलाछाप चिकित्सकों पर कार्रवाई के लिए 9 दल गठित किए गए थे। लेकिन गठित किया गया दल शहर में 29 दिनों में सिर्फ 14 क्लीनिकों को ही सील कर पाया है।

शिकायत के 16 दिन बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

गड्डे वाला मोहल्ला निवासी मजदूर नीरज कुशवाह आंंख में दर्द व जलन होने के चलते सिकंदर कंपू कब्रिस्तान के समीप स्थित बंगाली क्लीनिक पर उपचार के लिए पहुंचा था। जहां मौजूद चिकित्सक ने उसे आंख में ड्रॉप डालने के साथ ही खाने के लिए भी कुछ दवा दी। ड्रॉप डालने के बाद से ही नीरज को धुंधला दिखाई देने लगा। जिसकी शिकायत उसने डॉ. जादौन से 15 दिसम्बर को की थी। लेकिन 17 दिन बीत जाने के बाद भी डॉ. जादौन कार्रवाई के लिए नहीं जा सके।

ये बंद क्लीनिकें फिर हुईं शुरू

स्वास्थ्य विभाग का दल सात दिसम्बर को घासमण्डी और चंदन नगर क्षेत्र में कार्रवाई के लिए पहुंचा था, जहां किला गेट घासमण्डी में संचालित भगवती क्लीनिक को सील किया गया था। भगवती क्लीनिक पर डॉ. भगवती प्रसाद एक लड़की को इंजेक्शन लगाते हुए पकड़े गए थे। इसी तरह चन्दन नगर स्थित अन्य क्लीनिक को भी सील किया गया था, जिस पर डॉ. सुनील शर्मा मरीजों का उपचार करते हुए मिले। डॉ. एस.एस. जादौन के नेतृत्व में 19 दिसम्बर को दल मानसिक आरोग्यशाला तिराहा स्थित राठौर क्लीनिक पर भी पहुंचा। जहां डॉ. बीके राठौर एलौपैथी की दवाओं से उपचार करते हुए मिले थे। इस पर डॉ. नायक ने डॉ. बीके राठौर की क्लीनिक को सील किया था, लेकिन दो दिन बाद ही इनकी क्लीनिक खुल गई।

Updated : 2 Jan 2018 12:00 AM GMT
Next Story
Top